अयोध्या का इतिहास – सरयू के तट पर बसी अयोध्या नगरी को भारत की आत्मा माना जाता है। अयोध्या का अर्थ अयुद्ध (युद्ध का विपरीत ) अर्थात जहां युद्ध नहीं होता। यहां के चप्पे-चप्पे में त्याग, वीरता और धार्मिकता का वास है। अयोध्या का राम मंदिर दुनिया के सबसे पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है। अयोध्या की पावन भूमि पर हिंदुओं के प्रमुख देवता भगवान श्री राम का जन्म हुआ। प्राचीन काल से ही अयोध्या अपने वैभव और यश के लिए दूर दूर तक जाना जाता है।

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पौराणिक ग्रंथो और स्थानीय इतिहासकारों से जानकारी मिलती है कि प्रभु श्री राम, हिन्दुओं के प्रमुख तीन देवताओं (ब्रम्हा, विष्णु और महेश) में से भगवान विष्णु का अवतार थे।

अयोध्या भारत में एक महत्वपूर्ण पौराणिक स्थल है जिसे हिंदू धर्मशास्त्र में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। रामायण के अनुसार, इसी जगह पर भगवान राम ने जन्म लिया था। अयोध्या भारत में सबसे ज्यादा यात्रियों की मुख्य आकर्षणों में से एक है। इस लेख में हम आपको अयोध्या के दस दर्शनीय स्थलों के बारे में विस्तार से बताएंगे जो आपको अयोध्या में जाने से पहले जानना जरूरी है।

अयोध्या का इतिहास – 

अयोध्या का इतिहास

भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित अयोध्या एक प्राचीन शहर है। भारतीय लोगों के लिए इस स्थान का इतिहास जानना बहुत महत्वपूर्ण है। 

अयोध्या का वैदिक इतिहास – 

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अयोध्या के इतिहास की शुरुआत वेदों के समय से होती है। वेदों में अयोध्या को “कौसल्या” के नाम से जाना जाता था। महाभारत काल में भी अयोध्या का उल्लेख होता है।

हिंदू धर्म में अयोध्या को भगवान राम की जन्मभूमि माना जाता है। रामायण के अनुसार, भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और वहां उनके पिता राजा दशरथ का राज्य था। राम ने अयोध्या को एक सुखद और समृद्ध नगर बनाया था।

अयोध्या एक प्राचीन शहर है जो संस्कृति, धर्म और इतिहास की दृष्टि से भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है। अयोध्या का संपूर्ण सनातन वैदिक इतिहास निम्नलिखित हैं:

महाभारत काल में अयोध्या का इतिहास – 

महाभारत काल में भी अयोध्या का उल्लेख मिलता है। महाभारत में अयोध्या को कोसल राज्य की राजधानी के रूप में वर्णित किया गया है। महाभारत काल में अयोध्या नगर काफी महत्वपूर्ण था।

बाल्मीकि रचित रामायण में मिलने वाला अयोध्या का वर्णन, इस नगर की महत्वता को दर्शाता है।

महाभारत काल में अयोध्या नगर कुरुक्षेत्र के पास स्थित था। महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को लेकर इसी राज्य से गुजरे थे। अयोध्या नगर में भी महाभारत के युद्ध के समय कई विविध घटनाएं हुई थीं।

इसके बाद अयोध्या नगर रामायण की केंद्रीय कहानी का स्थान बन गया था। रामायण के बाद भी अयोध्या नगर का महत्व बना रहा था।

महाभारत के बाद अयोध्या का इतिहास – 

महाभारत के बाद, अयोध्या नगर का इतिहास बहुत विस्तृत है। पृथ्वी के सबसे बड़े धर्मयुद्ध के बाद अयोध्या नगर में कई प्रतापी सूर्यवंशी क्षत्रीय राजाओं का उद्घोष हुआ। अयोध्या पर राज करने वाले मुख्य वंशो में गुप्त वंश, वर्ष्णी वंश, मैथिल वंश और काकुत्स्थ वंश के राजा शामिल थे। इन सभी वंशों के राजाओं में से वर्ष्णी वंश के राजाओं में से  एक राजा वसुदेव प्रभु श्री कृष्ण के पिता थे।

अयोध्या का नाम भारतीय इतिहास में रामायण के समय से ही उल्लेखित है। इस नगर में राजा दशरथ ने राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न जैसे वीर योद्धाओं को जन्म दिया था। संपूर्ण रामायण पवित्र अयोध्या नगरी की महिमा से ओतप्रोत है। 

महाभारतकालीन पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, अयोध्या नगर से जुड़े बहुत सारे ऐतिहासिक घटनाक्रम इस कालखंड से जुड़े हुए हैं।

अयोध्या के मंदिरों में से राम जन्मभूमि मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। इस मंदिर में भगवान राम का जन्म हुआ था। इसके अलावा, अयोध्या में हनुमान गढ़ी, कलिका मंदिर और अखंड ज्योति मंदिर आदि मुख्य धार्मिक स्थल है। 

रामायण काल में अयोध्या का स्वर्णिम इतिहास :

रामायण काल में अयोध्या का स्वर्णिम इतिहास

सनातन धर्म की प्रमुख धार्मिक ग्रंथ रामायण में बताया गया है कि सरयू नदी के किनारे पर बसी अयोध्या नगरी में जब राजा दशरथ के यहां प्रभु श्री राम का जन्म हुआ तो सम्पूर्ण अयोध्या में खुशियो की लहर दौड़ गयी। सभी अयोध्या बासी आनंद में सराबोर प्रभु राम के दर्शन मात्र के लिए लालायित थे। 

अर्थार्त वर्तमान में भी अयोध्या में वह जगह चिन्हित है राम जन्मभूमि मंदिर और राजा दशरथ का महल, आदि इस बात की साक्षात पुष्टि करते हैं। 

रामायण में बताई गई सरयू नदी ठीक अयोध्या से सटकर निकलती है। रामायण में जब प्रभु श्री राम राजा दशरथ के द्वारा 14 वर्ष के बनवास दिए जाने पर प्रभु राम उनके छोटे भाई लक्ष्मण और माता सीता अयोध्या की सरयू नदी पार करके ही आगे बढ़े थे। रामायण में यह संवाद “केवट संबाद” के नाम से चर्चित है। 

आज भी अयोध्या में सरयू का वह तट जहां से प्रभु राम बनवास गए “राम की पैड़ी” के नाम से जाना जाता है। 

प्रभु श्री राम का जीवन संपूर्ण मानव जाति के लिए आदर्शवादी विचारधारा का प्रेरणास्रोत है। रामायण के अनुसार प्रभु श्री राम के जीवन का अधिकांश हिस्सा अयोध्या नगरी में ही व्यतित हुआ। रामायण में अयोध्या को राजधानी के रूप में वर्णित किया गया है।

रामायण एक प्राचीन भारतीय ऐतिहासिक कथा है जो दोपहरी संस्कृति के समय में लिखी गई थी। यह कथा भगवान राम के जीवन के बारे में है, जिन्होंने अयोध्या के राजा दशरथ के बेटे के रूप में जन्म लिया था।

अयोध्या एक प्राचीन भारतीय शहर है, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या जिले में स्थित है। रामायण के अनुसार, राजा दशरथ का पुत्र प्रभु श्री राम अपने वचन के  थे कि अपने पिता के आदेशों के अनुसार 14 वर्ष के वनवास के लिए चले गए थे। 

उन्होंने अपना जीवन एक सच्चे क्षत्रीय के रूप में कठिनाइयों को पार करते हुए गुजारा। राम के वनवास के बाद, उन्होंने लंका के राजा रावण को मार गिराया था और फिर उन्हें अयोध्या लौटना पड़ा। 

प्रभु श्री राम के अयोध्या लौटने के बाद, उन्होंने वहां अयोध्या राज्य का प्रशासन संभाला और धर्म के मार्ग पर चलते हुए अपनी प्रजाओं के लिए एक न्यायपूर्ण शासन चलाया। इस प्रकार, रामायण में अयोध्या के इतिहास और उसके वासियों के जीवन का विस्तृत वर्णन है। अयोध्या का इतिहास भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

प्राचीन पौराणिक ग्रंथ स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या का इतिहास – 

अयोध्या का इतिहास

“Ayodhya seen from the river Ghaghara, Uttar Pradesh. Coloured etching by William Hodges, 1785.” is licensed under CC BY 4.0. To view a copy of this license, visit https://creativecommons.org/licenses/by/4.0/?ref=openverse.

स्कंदपुराण भारत के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। इस ग्रंथ में धर्म, संस्कृति, इतिहास और ज्योतिष जैसे विभिन्न विषयों पर संपूर्ण ज्ञान मिलता है। खास बात यह है कि प्रभू श्री राम की जन्म भूमि अयोध्या नगरी का जिक्र स्कंदपुराण में भी उल्लेखित है।

स्कंदपुराण के अनुसार, अयोध्या नगर का महत्व बहुत उच्च था। अयोध्या को रामायण के काल में राजधानी बनाया गया था। अयोध्या के राजाओं में से राजा श्रीराम सबसे महान और प्रख्यात थे। उनके नेतृत्व में अयोध्या नगर धर्म, नैतिकता, और सभ्यता के आदर्श स्थलों में से एक बन गया था।

अयोध्या के प्राचीन धार्मिक स्थान जो आज भी वही स्थित है – 

पुराणों में भी अयोध्या की महत्वपूर्णता का उल्लेख होता है। स्कन्द पुराण में इसे वैशाली, मिथिला और काशी के साथ समान महत्व दिया गया है। स्कंदपुराण में अयोध्या के मंदिरों का विस्तृत वर्णन भी है। 

इसमें अयोध्या के कुछ प्रमुख मंदिरों का उल्लेख मिलता हैं जो आज भी अयोध्या की पवित्र धरती पर स्थित हैं, जैसे राम जन्मभूमि मंदिर, हनुमान गढ़ी, सीता रामचंद्र स्वरूप मंदिर और श्री राम मंदिर आदि। 

स्कंदपुराण से अयोध्या के ऋषियों और संतों के बारे में भी विस्तृत स्तर की जानकारी प्राप्त होती है। इसमें उल्लेख है कि अयोध्या नगर की पवित्र भूमि में ऋषि वशिष्ठ, ऋषि महर्षि और ऋषि शतानंद जैसे विश्वविद्यालयों के समान ज्ञान के धनी ऋषियों ने वास किया था। पवित्र ग्रंथ से अयोध्या में स्थित विभिन्न  तीर्थ स्थल, आश्रम और समाधियाँ की जानकारी भी प्राप्त होती है।

स्कंदपुराण अयोध्या के इतिहास, मंदिरों, ऋषियों, संतों, तीर्थ स्थलों और संस्कृति के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। इस ग्रंथ के अनुसार, अयोध्या नगर का भारत के इतिहास एक मुख्य अंग है और यह धर्म, संस्कृति और इतिहास का एक अमूल्य संग्रहण स्थान भी है।

गुप्त वंश काल के दौरान अयोध्या का इतिहास :

गुप्त वंश काल के दौरान अयोध्या का इतिहास

गुप्त वंश काल (320 CE से 550 CE तक) में अयोध्या एक विकसित और महत्वपूर्ण शहर था। इस काल में अयोध्या का नाम “सकेत” था। गुप्त वंश के राजा समुद्रगुप्त ने अपने शासनकाल में अयोध्या पर आक्रमण किया था और इसके बाद अयोध्या गुप्त साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र स्थल बन गया था।

इस काल में अयोध्या एक समृद्ध नगर था जिसमें विविध धर्म, संस्कृति और वाणिज्य की विस्तृत व्यवस्था थी। अयोध्या में विविध विद्यालय, मंदिर, विश्राम स्थल और अन्य सामाजिक व्यवस्थाएं थीं। इस काल में अयोध्या ने धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में एक अहम भूमिका निभाई थी।

  • गुप्त वंश के दौरान अयोध्या धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण थी। गुप्त वंश के समय में सनातन धर्म और संस्कृति अपने शिखर पर थीं और उस समय अयोध्या हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण आस्था का केंद्र थी।
  • अयोध्या को एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल भी माना जाता था। गुप्त काल के समय में अयोध्या में हिंदू धर्म की अनेक प्रथाएं, रीति-रिवाज और धार्मिक आचरण थे। उस समय अयोध्या में सभी लोग आपसी भाइचारे से रहते थे । चारों तरफ सुख और समृद्धी थी । 
  • गुप्त वंश के समय में अयोध्या में रामलला की पूजा और भजन की परंपरा थी, जो अब भी जारी है। इस दौरान अयोध्या को एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान के रूप में माना जाता था और लोग इसे धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण स्थान मानते थे।

गुप्त वंश के अंतिम दशकों में अयोध्या पर फिर से विदेशी आक्रमण हुए थे। इसके बाद अयोध्या ने अपने महत्व को खो दिया था और बाद में अयोध्या की ऐतिहासिक धरोहरों को मिटाने के पुरजोर प्रयास हुए। इतिहासकारों के मुताबिक इस घटना के बाद अयोध्या कुछ समय के लिए इतिहास से गायब हो गया था।

अयोध्या पर विदेशी आक्रमणकारियों का हमला – 

अयोध्या का इतिहास बताता है कि किस तरह विदेशी मुग़ल आक्रमणकारियों ने पवित्र अयोध्या नगरी को तहस नहस करने के तमाम प्रयास किए। 

मुगल सम्राट बाबर ने 1528 में अयोध्या पर आक्रमण किया था और वहां राम मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद, अयोध्या एक मुस्लिम शहर बन गया था। राम मंदिर का प्राचीन ढाँचा गिराने के बाद बाबर ने वहाँ एक मस्जिद का निर्माण कराया जिसका नाम ‘बाबरी मस्जिद’ रखा। 

अयोध्या बाबरी मस्जिद का इतिहास – 

बाबरी मस्जिद भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या शहर में स्थित एक मस्जिद थी। इसका नाम उस समय के मुगल शासक बाबर से रखा गया था।

इस मस्जिद का निर्माण 16वीं सदी के मध्य में हुआ था। इतिहासकारों के अनुसार विदेशी आक्रमणकारी मुग़लों के क्रूर शासक ने हिन्दुओं के लगभग सभी मंदिरों को तोड़ दिया और देश में रहने वाली हिन्दू आबादी को जबरन धर्म परिवर्तन पर मजबूर कर दिया। 

जिन लोगों को अपने धर्म प्राणों से प्यारा था बाबर ने उन सभी का कत्ल कर दिया, हिंदू माताओं बहनो की सरे आम इज्जत लूटी जाने लगी। समय के इस काल खंड में पूरे देश में हिन्दुओं पर पुरजोर अत्याचार किए गए। 

अयोध्या इतिहास 1992 – 

अयोध्या बाबरी मस्जिद का इतिहास

1992 में अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद के चलते बड़ी हिंसा हुई थी। यह विवाद भारतीय इतिहास में एक बड़ी घटना थी और इसने देश भर में बड़ी हिंसा और उथल-पुथल को जन्म दिया था।

अयोध्या के इतिहास में होने वाली तमाम घटनाओं में 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विवादित स्थान पर हिंदू संगठनों द्वारा एक बड़ी तंजीम आयोजित की गई थी। सभी हिंदू संगठनों को अयोध्या में राम जन्म भूमि मंदिर का निर्माण चाहिए था। 

दिसंबर 1992 में एक विशाल हिंदू महोत्सव के दिन, विशाल भीड़ मस्जिद परिसर में घुस गयी और मस्जिद के ढांचे को तहस नहस कर दिया। यह हिंसक कार्यक्रम कई दिनों तक चला जिससे तमाम लोगों की मृत्यु हुयीं और बहुत से घायल हो गए।

भारतीय जनता पार्टी और राम मंदिर – 

इस घटना से पहले भी बावरी मस्जिद पर कई बार हमले होते आए थे। इस मस्जिद के खंडहरों को संरक्षण के लिए बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद (Babri Masjid-Ram Janmabhoomi Dispute) नामक सुनवाई शुरू हुई जिसमें बहुत सारे न्यायिक और राजनीतिक विवाद हुए।

न्यायालय में  इस हिंसक घटना के पीछे क्या है सामने लाने के लिए जाँच के आदेश दिए। जाँच के दौरान कई बड़े राज नेताओं पर मुकदमे चलाए गए। नेताओं में मुख्य श्री मान बाल ठाकरे, श्री जय भान पवैया और लाल कृष्ण आडवाणी जैसे बड़े नेताओं पर आरोप लगाए गए लेकिन जाँच में सभी लोग निर्दोष पाए गए। न्यायालय द्वारा सभी को रिहा कर दिया गया। 

भारतीय न्यायलय और रामजन्मभूमि विवाद – 

बावरी मस्जिद – राम जन्मभूमि विवाद के बाद अयोध्या में लगभग दो दशक तक न्यायपालिका और सरकार के बीच गहरा तनाव रहा।

राम जन्मभूमि विवाद के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले को शुरू से सुनने के बाद फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में अपने फैसले में निर्धारित किया कि राम मंदिर बनाने के लिए अयोध्या की राम जन्मभूमि पर राम मंदिर बनाने की अनुमति देनी चाहिए।

इसके बाद, राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ और 2020 में राम मंदिर का भूमिपूजन किया गया था। राम मंदिर अयोध्या में स्थापित हो गया है और यह भारत के संवैधानिक और सांस्कृतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है।

राम मंदिर का निर्माण रोकने में काँग्रेस का कितना हाथ था? 

कांग्रेस पार्टी हमेशा से ही देश विरोधी गतिविधियों में राम मंदिर का निर्माण रोकने में कांग्रेस पार्टी का कोई सीधा हाथ नहीं था। राम मंदिर बाबरी मस्जिद के विवादित स्थान पर बनाए जाने के विरोध में कुछ कांग्रेस नेताओं ने विभिन्न अभियान चलाए थे, लेकिन पार्टी की आधिकारिक धारणा यह थी कि राम मंदिर या मस्जिद के निर्माण के सभी मामलों में न्यायाधीशों के फैसले का सम्मान करना चाहिए। 

कांग्रेस ने 1992 में बाबरी मस्जिद के तोड़े जाने के बाद, उस स्थान पर राम मंदिर बनाने के लिए कुछ समझौते की कोशिश की थी, लेकिन उसमें सफल नहीं हुए। 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विवाद के पांच अधिकारियों को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के मामले के न्यायाधीश बनाया था, जिन्होंने 2010 में विवादित स्थान को रामलला की भूमि के रूप में दायर किया था।

रामराज्य – आशुतोष राणा (किताब)

राम के जीवन का मुख्य आधार उनकी मर्यादा थी। हम अपने जीवन में कई बार ऐसे लोगों से उलझते है जो राम पर या रामायण पर सवाल खड़े करते हैं। आशुतोष राणा द्वारा लिखी गई यह किताब आपको उन सभी सवालों के जवाब देगी जिन्हें हम आज तक समझ नहीं पाए।

उदाहरण के लिए मान लीजिए जब प्रभु राम बनवास में थे उस दौरान सूर्पनखा आयी थी और लक्ष्मण जी ने उनके नाक कान काट दिए। अब सवाल यह उठता है कि प्रभु राम के सामने किसी महिला के साथ ऐसा व्यावहार होना उनके किरदार से मेल नहीं खाता। हो सकता है कि बाल्मीकि जी ने कुछ और कहने का प्रयास किया हो और हम लोग कुछ और अर्थ निकाल रहे हैं।

इन्हीं सब विशेष कारणों को एक दूसरे सटीक नजरिए से समझने के लिए यह किताब हर हिन्दू के बेहद ज़रूरी है। किताब को खरीदने के लिए आप नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें….

राम राज्य (Hindi) – by Ashutosh Rana

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By Nihal chauhan

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