‘हरिद्वार’ के दर्शनीय स्थल हरिद्वार अर्थात्‌ ‘हरि का द्वार’ (ईश्वर का दरवाजा) । हिन्दू धर्म में ‘हरि’ शब्द का अर्थ ‘भगवान’ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं से परिपूर्ण हरिद्वार के मंदिर और गंगा आरती देश – दुनिया में काफी प्रसिद्ध है। ईश्वर पर आस्था रखने वाले हर श्रद्धालु के लिए यह जगह स्वर्ग से भी अधिक मह्त्व रखती है। 

हरिद्वार' के दर्शनीय स्थल
हरिद्वार’ के दर्शनीय स्थल

हरिद्वार भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक उत्तराखंड में स्थित है। उत्तराखंड को “देव भूमि” कहा जाता है, अर्थातः ‘देवताओ की भूमि ‘। हरिद्वार देवभूमि की सबसे प्रमुख जगह है। हरिद्वार को “ईश्वर का दरवाजा” कहा जाता है। माना जाता है कि ईश्वर के दर्शन करने की शुरुआत हरिद्वार से ही होती है। 

आप यदि गौर करेंगे तो समझ पायेगे की हरिद्वार में प्रवेश करने के बाद आगे हिंदू देवी देवताओं के प्रमुख मंदिर है।, गंगोत्री, यमुनोत्री, ऋषिकेश, नीलकंठ, बद्रीनाथ, केदारनाथ इत्यादि सभी धार्मिक जगहों पर जाने से पहले हरिद्वार की गंगा आरती में शामिल होना अनिवार्य माना जाता है। 

 “यदि आपको देवताओ की संपूर्ण नगरी के दर्शन करने है, तो हरिद्वार उस नगरी का एक दरवाजा है, असली स्वर्ग इसके भीतर है”। 

हरिद्वार क्यों मशहूर है? 

haridwar mein shiv ka mehtav

हरिद्वार की प्रसिद्धि का राज जानना उतना आसान नहीं है। आप खुद विचार करके देखे कि आखिर हरिद्वार क्यों प्रसिद्ध है ? बाक़ी अन्य इतने सारे धार्मिक शहर है, वो तो इतना प्रसिद्ध नहीं है, सिर्फ हरिद्वार की इतनी कीर्ति कैसे है? 

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान विष्णु का गरुड़ अमृत ले जा रहा था तभी उसकी कुछ बूंदे गलती से हरिद्वार के ब्रह्कुंड (हर कि पौरी) में गिरी थी। माना जाता है कि हरिद्वार के गंगा घाट पर स्नान करके तमाम तरह की त्वचा संबंधी बीमारियों को ठीक करने में मदद मिलती है । 

हरिद्वार का – कुम्भ मेला 

हरिद्वार का - कुम्भ मेला 

हर 12 साल में एक बार यहां दुनिया का सबसे बड़ा मेला (सभा) ‘कुम्भ’ का आयोजन होता है। कुम्भ मेले के दौरान यहां श्रद्धालुओं की इतनी अधिक संख्या में भीड़ होती है कि इसने अबतक के सारे रिकॉर्डस तोड़ दिए। 

हरिद्वार के प्रसिद्ध होने के पीछे और भी कई कारण है जैसे कि यहां हिन्दुओं धर्मिक नदी गंगा है। गंगा घाट हरिद्वार का सबसे प्रमुख धार्मिक घाट है। हर कोई चाहता है कि वह हरिद्वार के गंगा घाट पर शाम की गंगा आरती में शामिल हो और अपने पापों को कम करे। 

सनातनी धार्मिक विश्वास और मान्यताओं के अनुसार गंगा नदी में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है। यह एक विशेष कारण है जिस कारण से हरिद्वार के गंगा घाट पर लगभग हर मौसम में एक जैसी भीड़ देखने को मिलती है। 

प्राकृतिक सौंदर्य के लहजे से भी हरिद्वार की खूबसूरती अविस्मरणीय है। 

हरिद्वार का इतिहास     

ऐतिहासिक दृष्टी से भी यह शहर काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इतिहास में हरिद्वार का जिक्र कपिलस्थान और गंगाद्वार के नाम से मिलता है। युगों पहले महर्षि कपिल ने सूर्यवंश के प्रतापी राजा भागीरथ (प्रभु श्री राम के वंशज) के पूर्वजों को शाप दिया था। 

सम्राट भागीरथी की तपस्या का फल हरिद्वार – 

भागीरथी की तपस्या का फल हरिद्वार

राजा भागीरथी ने अपने 60,000 पुरखों की आत्मा की शांति के लिए महाराज भागीरथ ने सालों तक तपस्या की और फलस्वरुप माता गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर उतारा। महाराज भागीरथ ने ही गंगा नदी को शिव जी की जटाओं से पृथ्वी पर उतारा। 

प्रकृति प्रेमियों के लिए हरिद्वार स्वर्ग का एहसास है। हरिद्वार की भौगोलिक स्थिति पहाड़ों और मैदानों के बीच में है। हरिद्वार पहला स्थान है जहां से पहाड़ी क्षेत्र शरू हो जाता है। यही कारण है कि हरिद्वार में बह रहीं गंगा का पानी अधिक स्वच्छ और सफेद दिखता है। जबकि अन्य जगहों पर गंगा का पानी उतना स्वच्छ और साफ नहीं रहता। 

हरिद्वार का नज़ारा – haridwar ka najara 

haridwar ka najara 

नज़ारा कोई आम शब्द नहीं है लेकिन हरिद्वार इस शब्द की कसौटी पर खरा उतरता है। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह एक बेहद महत्वपूर्ण शहर है। यह शहर गंगा नदी के किनारे स्थित है और इसके चारों तरफ घाट बने हुए हैं। इन्हीं घाटों पर लाखो श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करते है और अपने इष्ट की आत्मा की शुद्धि के लिए प्राथना करते हैं। 

हरिद्वार के घाट –

 

ganga aarti haridwar

इसके अतरिक्त , हरिद्वार के घाटों पर खड़े रहकर गंगा आरती का नज़ारा देखना भी एक अकल्पनीय अनुभव है। यहां कई श्रद्धालु अपनी पूजा के लिए आते हैं और आरती के समय जगमगाते दीपक और धमाकों की धुन में गंगा को दीप समर्पित करते हैं।

इसके अलावा, हरिद्वार में कुछ बाजार भी हैं जहां पर आप उत्तराखंड की स्थानीय वस्तुओं, पूजा से जुड़ी हुयी सारी सामग्री खरीद सकते हैं।

समुद्र तल से करीब 314 मीटर की ऊँचाई पर स्थित होने के कारण, हरिद्वार में तापमान गर्म रहता है, खासकर गर्मियों में। 

हरिद्वार में घूमने के लिए  प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल – 

गंगा की तेज धारा से उत्पन्न होती ध्वनियों से हमारे चित पर असीम शांति की लहर दौड़ जाती है। उत्तराखंड की खुबसूरत पहाड़ियों में स्थित हरिद्वार आध्यात्मिकता के करीब ले आता है। यह धार्मिक शहर अपने भीतर अनेक खूबियों को समेटे हुए है। 

यहां जाने वाले पर्यटक सिर्फ यही तक सीमित नहीं रहते बल्कि लोग हरिद्वार के आसपास जितनी भी प्रसिद्ध जगह है, उन सभी जगहों पर घूम कर आते हैं। हरिद्वार की सबसे महत्पूर्ण जगह गंगा घाट (हर कि पौरी) है। 

हरिद्वार घाट (हर की पौरी)) 

हरिद्वार घाट (हर की पौरी)) 

आजकल सोशल मीडिया पर हरिद्वार की गंगा नदी पर होने वाली गंगा आरती के लाखों वीडियो वायरल है। शाम के समय गंगा आरती का नज़ारा बेहद भव्य होता है। 

गंगा नदी के किनारे बने मंदिरों के श्रेष्ठ पुजारी अपनी सांस्कृतिक पोशाकों को धारण किए हुए, हाथों में बड़े बड़े दीपकों को जलाकर माँ गंगा की आरती करते हैं। एक साथ कई तरह की धातुओं से बने घण्टे एक साथ बजाये जाते है। पूरे हरिद्वार घाट पर माता गंगा के नाम के जयकारों से माहौल में अजीब तरह सकारत्मक ऊर्जा का एहसास होता है। 

चारों तरफ जलते हुए दीपकों की रोशनी गंगा नदी के आचल में टिमटिमाते हुए सितारों की भांति नजर आते हैं। पर्यटकों और श्रद्घालुओं के बीच गंगा आरती का यह नज़ारा काफी दिलचस्प होता है। 

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माँ चंडी देवी मंदिर – 

chandi devi mandir haridwar

हिंदू धर्म में माता का निवास अधिकतर ऊँचे पहाड़ों पर हुआ है। माता चंडी देवी का यह मंदिर भक्तों की हर मनोकामना को पूरी करता है। हरिद्वार में यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। ऊँची नील पहाड़ी पर बना माता का दरबार इतना अधिक भव्य है कि यहां साल के हर महीने में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। 

पहाड़ी की ऊँचाइ पर पर्यटक ट्रेकिंग का आनंद भी लेते है और माता के दर्शन करके पुण्य भी कमाते है। इस पहाड़ी से पूरे हरिद्वार का नज़ारा अद्भुत दिखता है। दूर तक फैली गंगा नदी और पहाड़। 

मंशा देवी मंदिर – 

mansha devi temple haridwar

शिवालिक पहाड़ियों के बिल्वा नामक पहाड़ी पर बना माँ मंशा देवी का मंदिर श्रद्घालुओं के लिए वरदान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता मंशा का जन्म देवो के देव महादेव के मस्तिष्क से हुआ। 

माँ मंशा को साक्षात शक्ति का अवतार बताया गया है। माता मंशा देवी अपने भक्तों के सभी कष्टों को हरकर उनकी हर मनोकामना को पूर्ण करती हैं। 

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भारत माता मंदिर – हरिद्वार 

हरिद्वार में स्थित भारत माता का मंदिर किसी धर्मिक धर्म से संबंधित नहीं है बल्कि जैसा कि इसके नाम से पता चलता है कि यह हिन्दुस्थान का गौरव भारत माता का मंदिर है। यहां किसी भी तरह की कोई धर्मिक मूर्ति या चित्र नहीं है। 

मंदिर के अंदर जमीन पर भारत माता का बड़ा सा नक्शा बना हुआ है, यह भारत माता की मूर्ति जैसा दिखता है। मूर्ति में भारत माता के एक हाथ में चावलों का ढेर है, और दूसरे में किताब, माला और सफेद कपड़ा है। मंदिर भारत के शहीद वीर सपूतों को सा समर्पित है। मंदिर देखने लायक है आपको यहां जरूर जाना चाहिए। 

ब्रह्मा कुंड – 

'हरिद्वार' के दर्शनीय स्थल

जी हाँ यह वही कुंड है जिसकी चर्चा हमने ऊपर की है। माना जाता है कि इसी कुंड में अमृत की बूंदे गिरी थी जिस वज़ह से यहां नहाने से कई तरह की बीमारियाँ ठीक हो जाती है। 

यहां माता गंगा पहाड़ों को पीछे छोड़कर सपाट मैदान में आजाती है। मान्यता है कि इसी जगह पर पृथ्वी के रचियता प्रभु ब्रम्हा ने यज्ञ का आयोजन कराया था। इसके अतरिक्त यहां अन्य कई देखने लायक मंदिर बने हुए है, जिनमें भगवान विष्णु के पद चिन्ह देखना विशेष है। ‘हरिद्वार’ के दर्शनीय स्थल

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शांतिकुंज – हरिद्वार 

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प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति पाने में शांति कुंज आश्रम का बड़ा महत्व रहा है। यह आश्रम विश्व भर में काफी प्रसिद्ध है। यहां होने वाले आध्यात्मिक अभ्यास आपके मन के अध्यात्म को खोल देंगे। चिंता, अवसाद से ग्रस्त लोगों को शांति कुंज आश्रम में जरुर जाना चाहिए। 

पतंजलि योगपीठ – 

योग विज्ञान के जनक महर्षि पतंजलि के नाम से बना यह संस्थान अपने कार्यो के लिए विश्व भर में प्रख्यात है। यदि आपको दिलचस्पी योग विद्या में है तो आपको एक बार पतंजलि योगपीठ में जरूर जाना चाहिए। पतंजलि योगपीठ एक विश्वविद्यालय भी है जो योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, संस्कृत, धार्मिक अध्ययन और समाज विज्ञान में शिक्षा प्रदान करता है। यहां पर विभिन्न योग पाठ्यक्रम, व्यायाम व प्राणायाम, मेडिटेशन, आयुर्वेदिक उपचार, संगीत और संस्कृत विद्या आदि के लिए अध्ययन किया जाता है।

पतंजलि योगपीठ एक प्रसिद्ध संस्थान है जो भारत के साथ-साथ विदेशों में भी फैला हुआ है। इसके संस्थापक स्वामी रामदेव ने भारत में और विदेशों में योग के महत्व को फैलाने में बहुत योगदान दिया हैं

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राजाजी नैशनल पार्क – 

राजाजी नैशनल पार्क
राजाजी नैशनल पार्क

यदि आप घने पहाड़ी जंगल देखने के इच्छुक है तो यह जगह आपके लिए काफी बेहतर है। शिवालिक की पहाड़ियों से गुजरता हुआ यह जंगल आपको तरह तरह के वन्य जीवों के दर्शन कराएगा।

राजा जी नैशनल पार्क में जाकर आप खुदको प्रकृति के बेहद करीब महसूस करेंगे। ऊँचे पहाड़ों से घिरे हुए हरे भरे जंगल किसी स्वप्न की तरह प्रतीत होते हैं। जंगल में अधिकतर पेड़ साल और टीक के है। यहां मिलने वाले मुख्य जानवर बाघ, हाथी, जंगली बिल्ली, भालू, चीतल आदि शामिल हैं। 

सप्त ऋषि आश्रम – ‘हरिद्वार’ के दर्शनीय स्थल

प्राचीन भारत में यह स्थान सात ऋषियों का आश्रम था इसलिए इस खूबसूरत जगह का नाम सप्त ऋषि आश्रम रखा गया। यह आश्रम हरिद्वार के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। 

आश्रम से गंगा नदी की सात अलग अलग धाराएं देखने को मिलती है, जो काफी खूबसूरत नजारा होता है। कई लोग इस जगह को सप्त सरोवर के नाम से भी जानते हैं। हर कि पौडीं से आश्रम की दूरी मात्र 5 किलोमीटर है। 

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विष्णु घाट – 

हिन्दुओं की पौराणिक कथाओं के अनुसार हरिद्वार में विष्णु घाट वह स्थान है जहा स्वयं प्रभु विष्णु ने स्नान किए थे। त्रेता युग के दौरान भगवान विष्णु ने इसी जगह पर स्नान करके पूजा पूर्ण की थी। प्राकृतिक सौंदर्यता के साथ साथ आध्यात्मिक शांति का मिलन आपको कुछ पल के लिए निशब्द छोड़ देता है। 

हरिद्वार कब जाना चाहिए? 

'हरिद्वार' के दर्शनीय स्थल
haridwar in night

हरिद्वार घूमने के लिए सबसे सर्वोत्तम समय नवंबर से मार्च के बीच के ठंडे मौसम का है। यह समय शुष्क और सुहावना होता है जब आप इस जगह के पर्यटन स्थलों का भार भरपूर आनंद ले सकते हैं। 

हालांकि, अधिकतर लोग हरिद्वार गंगा स्नान करने और आध्यात्मिक उत्सवों में शामिल होने के लिए अक्टूबर से जून के महीनों तक जाते हैं। जून के बाद बर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है और हरिद्वार में बारिश काफी ज्यादा होती है इस कारण से आपके घूमने का मजा किरकिरा हो सकता है। 

हरिद्वार में घूमने के लिए अन्य प्रमुख जगहों के नाम – 

  • गौ घाट (शांति के लिए दरें धार्मिक स्थान) 
  • माया देवी मंदिर: यह मंदिर देवी माया को समर्पित है। यहाँ से दर्शक घाटों से गंगा नदी के निर्माण की प्रक्रिया को देख सकते हैं।
  • स्वामी विवेकानंद अभ्यारण्य (ध्यान लगाने के लिए उपयुक्त) 
  • दक्ष महादेव मंदिर (धर्मिक स्थान) 
  • क्रिस्टल वर्ल्ड (वाटर पार्क) 
  • नील धारा (प्राकृतिक सौंदर्य, पर्यटकों की भीड़, मंदिरों का खूबसूरत नज़ारा) 
  • बड़ा बाजार (खरीदारी) 

हरिद्वार कैसे पहुँचे? 

haridwar railway station

हरिद्वार भारत के उत्तराखण्ड  राज्य में स्थित है। देश के किसी भी हिस्से से हरिद्वार पहुँचने के लिए सबसे अच्छी जगह दिल्ली है। आप दिल्ली से आसानी से हरिद्वार पहुच सकते हैं। 

सड़क मार्ग – ‘हरिद्वार’ के दर्शनीय स्थल

दिल्ली से हरिद्वार की कुल दूरी 222 km है। आप दिल्ली से हरिद्वार जाने के लिए कोई भी सरकारी या प्राइवेट बस पकड़ कर 400 रुपये में हरिद्वार पहुच सकते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 7 (NH 7) हरिद्वार से गुजरता है जो दिल्ली और उत्तराखंड के अन्य हिस्सों से जुड़ता है। राजमार्ग 72 हरिद्वार से हल्द्वानी तक जाता है। 

ट्रेन – 

हरिद्वार रेल्वे स्टेशन भारत के सबसे व्यस्त रेल्वे स्टेशनों में से एक है। दिल्ली रेल्वे स्टेशन से हरिद्वार की सीधी ट्रेन पकड़े। हरिद्वार रेलवे स्टेशन भारत की मुख्य रेल लाइनों में से एक पर स्थित है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु आदि शहरों से हरिद्वार तक कई ट्रेनें चलती हैं।

सारांश – 

हरिद्वार आध्यात्मिकता का केंद्र है। यहां आपको ना सिर्फ देश की धार्मिक संस्कृति को देखने का मौका मिलता है बल्कि हम हरिद्वार आकर इसे महसूस भी कर सकते हैं। यहां की प्राकृतिक मनोरमता अद्भुत है। जीवन में हरिद्वार आकर ध्यान जरूर करना चाहिए। 

By Nihal chauhan

मैं Nihal Chauhan एक ऐसी सोच का संरक्षण कर रहा हू, जिसमें मेरे देश का विकास है। में इस हिंदुस्तान की संतान हू और मेरा कर्तव्य है कि में मेरे देश में रहने वाले सभी हिंदुस्तानियों को जागरूक करू और हिंदी भाषा को मजबूत करू। आपके सहयोग की मुझे और हिंदुस्तान को जरुरत है कृपया हमसे जुड़ कर हमे शेयर करके और प्रचार करके देश का और हिंदी भाषा का सहयोग करे।

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Prabal Rajawat
Prabal Rajawat
11 months ago

Wow sir awesome thought

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