भारत के 10 सबसे शक्तिशाली राजा | BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA 

मित्रों भारत देश अपने शौर्य के लिए दुनिया में जाना जाता है और यहां की धरती पर राज़ करने वाला शूरवीर। 

तो आज हम आपको बताएंगे की BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA | भारत के 10 सबसे शक्तिशाली राजा ओ के बारे में। यू भारत पर राज करने वाले कई महान और शक्तिशाली शासक रहे हैं। परंतु qfqइनमें से कुछ शासक ऐसे थे जिन्होंने अपनी ताक़त से समग्र हिन्दुस्थान पर और इसके आसपास के कई देशों में राज किया। 

भारत दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र यहां स्थापित है। इतने बड़े और इतनी आबादी वाले देश पर शासन करना इसकी कल्पना मात्र ही हमे इसकी कठिनाईयां दर्शाती है। इसके बाबजूद भी भारत में ऐसे कई राजा महाराजा रहे है जिन्होंने यहां की जनता के दिलों में और हिंदुस्तान पर राज किया है। 

भारत के सबसे बड़े और ताकतवर राजा 

भारत की भौगोलिक स्थिति और धार्मिक विविधता इतनी अधिक है कि यहा संपूर्ण भारत पर राज करना सम्भव ही नहीं था लेकिन फिर भी अशोका, अकबर जैसे महान राजाओ ने इसको कर के दिखाया है। 

कोई राजा सिर्फ अपनी शक्ति के दम पर इतिहास में अंकित नहीं हो सकता। हम बात करेंगे कुछ ऐसे शासकों की जो थे तो इतिहास में पर आज भी उनकी शौर्य गाथायें हर कोई जानता है। ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

भारत के 10 सबसे शक्तिशाली राजा :

  • अजातशत्रु (512 से 461 BCE) 
  • चंद्रगुप्त मौर्य ( 340 – 298 BCE) 
  • पुलकेशी ll (610 से 642 BCE) 
  • हर्षवर्धन (590-647 ई.)
  • समुद्र गुप्त मौर्य (315 – 380 BCE) 
  • अशोका (304-232 BCE) 
  • राजा राजा चोला (947 से 1014 BCE) 
  • कृष्णा देव राय (1471 से 1529 BCE) 
  • अकबर (1542 से 1605 BCE) 
  • महाराणा प्रताप (1540 से 1597 BCE) 
  • सम्राट प्रथ्वी राज चौहान 
  • औरंगजेब (1658 से 1717 BCE) 
  • महान शिवाजी भोसले (1627 से 1680 BCE) 
  • बहादुर शाह ज़फ़र 

1. अजातशत्रु :

(हर्यंका बंशी : मगध का राजा )

 मगध का एक ऐसा राजा जो अपने पिता को मौत के घाट उतार कर गद्दी पर आया। इसके पिता का नाम बिम्बिसार था वो भी एक महान सम्राट थे। सत्ता का मोह अजातशत्रु को इतना अधिक था कि उसने अपने पिता को ही बंदी बनाकर मरवा दिया। जैसा उसका नाम बैसे ही उसके काम ।अजातशत्रु का भाई खोसला पर राज़ करता था परंतु उसने उसको परास्त करके खोसला पर भी अपना राज स्थापित कर लिया।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

अजातशत्रु के काल की सबसे महत्वपूर्ण घटना बुद्ध का महापरिनिर्वाण थी (483 ई. पू.)। इसके पुत्र का नाम उदयभद्र था इसके पश्चात उसको ही राजा चुना गया। अजातशत्रु जैन धर्म का अनुयायी था और इसने इस धर्म का काफी प्रचार प्रसार किया। अजातशत्रु की शादी राजकुमारी वजिरा से हुयी। 

अजातशत्रु

अजातशत्रु ने अपना विस्तार उत्तर और पश्चिम की ओर किया क्युकी उसके पिता द्वारा पूर्वी भाग पहले ही उसके पास था। अजातशत्रु ने जल्दी ही अपनी बहादुरी और नीतियों से कोसल और पश्चिम काशी पर अपना कब्जा कर लिया। अजातशत्रु ने युद्ध जीतने के लिए अलग अलग तरह के बेहद ख़तरनाक हथियारों का प्रयोग किया। अजातशत्रु के समय में ही ‘महाशिला कंटक’ नाम का एक तोप नुमा हथियार जिसमें बड़े बड़े पत्थर रख कर दूर दुश्मन के खेमे में फेंके जाते थे। इसके अलावा इसने ऐसे रथ का प्रयोग भी किया जिनके किनारों पर धार दार बड़े बड़े चाकू जैसे लगे रहते थे। और एक सारथी के लिए सुरक्षित स्थान होता था।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

अजातशत्रु की मृत्यु ५३५ ईसा पूर्व हुयी। और इनके बंश में सभी लोग अपने पिता को मारकर ही गद्दी पर बैठ पाते थे। इसलिए इतिहास में इस बंश को पितृहन्ता से भी जाना जाता है। हालांकि जैन धर्म के अनुसार उसकी म्रत्यु के अलग दावे किए गए हैं। माना जाता है कि अजातशत्रु महावीर से मिलने गए। और उन्होंने पूछा कि में मृत्यु के बाद कहा जाऊँगा इसपर महावीर ने कहा कि तुम सातवे नरक में या निर्वाण में नहीं जाओगे तुम छटे नर्क में जाओगे इसपर उसने कहा क्यु नहीं जाऊँगा तो महाबीर बोले वहां सिर्फ चक्रवर्ती राजा ही जाते है। अजातशत्रु बोला तो क्या में नहीं हू चक्रवर्ती राजा महावीर ने कहा नहीं। इस पर उसको क्रोध आया तो महावीर ने उसको नष्ट कर दिया।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

2. चंद्रगुप्त मौर्य ( 340 – 298 BCE) 

(मौर्य वंश) 

भारत का महान सम्राट चंद्र गुप्त मौर्य का जन्म 340 ई सा पूर्व पाटलिपुत्र (अभी का बिहार) में हुआ। चंद्र गुप्त का का साम्राज्य काफी ज्यादा विस्तृत था। इनके पिता का नाम सम्राट चंद्र बर्धन मौर्य था तथा इनकी माता क्षत्राणी मुरा थीं। चंद्र गुप्त की दो पत्नी थी दुर्धरा और हेलेना (सेलुकस निकटर की पुत्री) इनके पुत्र का नाम बिन्दुवार था।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

चंद्र गुप्त मौर्य भारत के महान राजा थे। इन्होंने कई युद्ध जीते। 

चंद्र गुप्त इससे पहले सिंघासन पर आए इससे पहले ही, सिकंदर ने उत्तर पश्चिम समुद्री क्षेत्र में हमला करना शुरू कर दिया था। इसके बाद सिकंदर की सेना में विद्रोह हो गया बाद में वह हिस्सा भी चंद्र गुप्त के शासन में आ गया। 

चंद्र गुप्त के गुरु चाणक्य के साथ भारत वर्ष पर राज किया। चंद्र गुप्त ने 20 साल की उम्र से ही युद्ध कला में महारत हासिल कर ली थी जिसके दम पर उसने अपने गुरु के सानिध्य में इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया। चाणक्य उनके गुरु होने के साथ ही प्रधानमंत्री का पद भी सम्हालते थे। गुरु और शिष्य की यह जोड़ी भारत में आज भी सबसे ज्यादा प्रचलित है। 

चाणक्य ने तक्षशिला में चंद्र गुप्त को देखा था और उन्हें उसी समय यह ज्ञात हो गया था कि यह कोई मामूली बालक नहीं बल्कि समग्र भारत वर्ष का सम्राट है।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

जब सिकंदर ने भारत पर आक्रमण की योजना बनाई थी उस समय पूरे उत्तर भारत में नंद वंश का शासन था और सिंघासन पर धनानंद विराजमान था जो कि बेहद विलासिता से पूर्ण एक निरंकुश निष्ठुर शासक था। 

चंद्र गुप्त ने धनानंद को हराकर सिंघासन हासिल किया। और अपने साम्राज्य को विस्तारित किया। 

चंद्र गुप्त मौर्य के बारे में और अधिक जानकारी के लिए यहा दबाये… READ MORE… 

3. पुलकेशी द्वितीय (610 से 642 BCE)

(चालुक्य वंश) 

पुलकेशी प्रथम का पोता और चालुक्य वंश का चौथा राजा पुलकेशी ll एक महान और शक्तिशाली राजा था। इसने कई युद्ध जीते। पूरे दक्षिण भारत में इसका साम्राज्य फैला हुआ था। 

महाराजा हर्षवर्धन इनके प्रतिद्वंदी थे।जब हर्षवर्धन उत्तर भारत पर राज करता था ।इन्होंने हर्षवर्धन 620 इ. सा में हर्षवर्धन का आक्रमण विफल कर दिया था।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

इनका जन्म कर्नाटक में हुआ। माना जाता है है कि इसने अपने चाचा(पिता के भाई) मंगलेशा को हटाकर गद्दी पर आया था। इसके पिता का नाम किर्तिवर्मन प्रथम था। इसने युद्ध में कदम और बनवासी को हराया जो कि दक्षिण के बड़े राजा थे और उनका राज्य अपने साम्राज्य में मिला लिया। इसके अलावा इसने कोंकणा के मौर्य सम्राट को हराकर वहां भी अपना परचम लहरा दिया था। 

पुलकेशी बहुत ही चरित्र बान और बहादुर राजा था। इसके राज्य में भारत वर्ष में जीवनयापन बहुत अच्छे से हुआ। 

पुलकेशी की सबसे बड़ी उपलब्धी हर्षवर्धन को हराने की थी। 

पुलकेशी ने दक्षिण में पल्लवो को हराने की कोशिश की कुछ हद तक सफल भी रहा परंतु अंत में वह पल्लव राजा , बादामी में महामल्ल पल्लव नरसिंहबर्मन प्रथम द्वारा मारा गया।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

इसके अन्य दो नाम और थे पुलकेशिन और Peddavaduguru था। इसके राज्य में भारत ने बहुत विकास किया और यह भारत का एक महान और शक्तिशाली शासक था ।

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4. हर्षवर्धन (590-647 ई.)

( पुष्यभूति वंश / बर्धन राजवंश) 

हर्षवर्धन एक अजय सम्राट जिसने प्राचीन भारत में बहुत बड़े साम्राज्य पर राज़ किया। हर्ष आखिरी हिन्दू सम्राट था जिसने पंजाब को छोड़कर पूरे उत्तर भारत में राज्य किया। और उसके बाद पूरा बंगाल भी उसी के अधीन था। सम्राट शशांक के मरने उपरांत उसने बंगाल में भी अपनी विजय पताका फहरा दी। सम्राट हर्ष के बारे में कई ताम्रपत्र और शीला लेख मिलते हैं जिनमें महाराजा हर्ष के काल के बारे में लिखा है।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

इनके पिता का नाम प्रभाकर बर्धन था और इनकी माता यशोमती। हर्ष का भाई राज वर्धन और बहन राजश्री थी। 

पिता की मृत्यु के पश्चात उसका बड़ा भाई सिंघासन पर विराजमान हुआ परंतु देवगुप्त और गौड़ नरेश शंशांक की संधि की वज़ह मारा गया। इसके बाद सिंघासन पर हर्ष आया। इसके बाद हर्ष ने देवगुप्त से मलबा ले लिया और  साशंक को हराकर गॉड भगा दिया। फिर उसने दक्षिण की ओर अभियान चलाया और पुलकेशी द्वितीय को हराया और भीख स्वरुप उसकी जान और राज्य बख़्श दिया।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

हर्ष हिन्दू धर्म का अनुसरण करते थे साथ ही बौद्ध धर्म के पालक भी थे। सम्राट हर्ष बेहद उदारवादी और सभी धर्मों को समान रूप से उच्च दर्जा देते थे। उनके राज्य में शासन बहुत सुचारू रूप से चला। 

हर्ष एक बेह्तरीन कवि और लेखक था उनके लिखे गए नाटक बेहद प्रसिद्ध है। प्रियदर्शीका और रत्नावली उनके दो उनके लिखे गए मुख्य नाटक थे। 

हर्ष का जन्म थानेसर यानी कि हरियाणा में हुआ था। 

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5. समुद्र गुप्त मौर्य (315 – 380 BCE) 

(मौर्य वंश) 

एक ऐसा सम्राट जो कभी पराजित नहीं हुया कभी नहीं हारा। मौर्य वंश के शासक चंद्र गुप्त प्रथम के पुत्र थे। चंद्र गुप्त के अनेकों पुत्रों में से उन्होंने समुद्र गुप्त को चुना और उसने अपने पिता के फैसले को सही रूप में अपने जीवन में उतारा। चुकीं उसके पिता ने उसको उत्तराधिकारी के रूप में चुना इसलिए उसके और भाइयों में विवाद हो गया जिससे ग्रह युद्ध होने लगे। समुद्र गुप्त के भाइयों में राजकुमार काछा से उन्होंने युद्ध किया और उन्हें हराकर सिंघासन हासिल किया । ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

समुद्र गुप्त मौर्य की माता लिच्छिवि कुमारी श्रीकुमरी देवी थी। जब समुद्र गुप्त के पिता ने उसको उत्तराधिकारी के रूप चुना तो प्रजा तो खुश थी परंतु उसके भाई नहीं इसलिए बाद में उसको युद्ध करके सिंघासन हासिल करना पढ़ा।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

समुद्र गुप्त मौर्य एक उदार, निडर, और महान सम्राट थे उनके राज में सासन बेहद लचीला और अच्छा था। 

ग्रह क्लेश के एक साल बाद समुद्र गुप्त मौर्य अपनी ज़िम्मेदारी समझ ली और उसने अपना साम्राज्य बढ़ाने के लिए दिग्विजययात्रा की। इसी यात्रा के दौरान उसने कई राजा महाराजा को परास्त कर उनका राज अपनी सीमा में मिला लिया। यात्रा के दौरान सबसे पहले उसने आर्यावर्त के तीन राजाओं-अहिच्छव का राजा अच्युत, पद्मावती का भारशिववंशी राजा नागसेन और राज कोटकुलज को हराकर वहाँ अपनी विजय पताका लहरा दी तत्पश्चात उसने एक बड़ी सेना के साथ पुष्पपुर में प्रवेश किया। ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

 इसके बद उसने दक्षिण की यात्रा की और क्रम से कोशल, महाकांतर, भौराल पिष्टपुर का महेंद्रगिरि (मद्रास प्रांत का वर्तमान पीठापुराम्‌), कौट्टूर, ऐरंडपल्ल, कांची, अवमुक्त, वेंगी, पाल्लक, देवराष्ट्र और कोस्थलपुर (वर्तमान कुट्टलूरा), करीब बारह राज्यों अपनी विजय पताका लगायी और एक बड़ी विजय प्राप्त की। 

जब वह दक्षिण की ओर विजय प्राप्त कर रहा था उस समय उत्तर के कई राजाओ ने खुद को स्वतन्त्र घोषित कर दिया था बाद में लौटते पर उसने उन सभी को द्वारा अपने राज्य में मिलाया। इतनी बड़ी विजय के बाद किसी भी राजा की उसके खिलाफ सिर उठाने की कोशिश नहीं की।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

दक्षिण के और पश्चिम के राजा ने उसका आधिपत्य स्वीकार कर लिया था और समय समय पर उसको उपहार देकर खुश करते रहते थे। 

समुद्र गुप्त मौर्य भारत के महान राजा थे और उन्होंने जीवन में कभी हार का स्वाद नहीं चखा। 

समुद्र गुप्त मौर्य के बाद विक्रमादित्य की उपाधि से सम्मानित चंद्र गुप्त द्वितीय ने सासन सम्भाला। 

समुद्र गुप्त ब्रामण धर्म के धारक होने के साथ साथ बाकी सभी धर्मों के साथ प्रेम भाव और सम्मान रखता था। उसने बौद्ध धर्म के लिए कई मठ बनवाये। उसके राज्य में चलने वाले सिक्कों पर सबकी झलक देखने को मिलती है। 

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6. अशोका (304-232 BCE) 

(मौर्य वंश) 

भारत का महान एवं विश्व-प्रसिद्ध सम्राट अशोक मौर्य वंश का बेहद महत्वपूर्ण और शक्तिशाली राजा था ।भारत पर अनेकों महान राजाओ ने राज किया परंतु अशोक जैसा राजा भारतीय इतिहास में कोई नहीं था। अशोक का राज्य अफगानिस्तान से  बर्मा तक और कश्मीर से  तमिलनाडु तक फैला हुआ था। अशोक ने अंतिम युद्ध कलिंग युद्ध में धर्म नीति अपना ली थी यह हृदय परिवर्तन उसके आसपास पड़ी लाशों को देखकर आया था। और बाद में उसने अपनी विस्तारवादी नीति का त्याग कर दिया। 

अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य (देवताओं का प्रिय) था।

सम्राट अशोक के द्वारा भूटान, नेपाल, बांग्लादेश,पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भारत भारत, म्यान्मार आदि सभी देश जीत लिए थे । इतने बड़े भू भाग पर उस समय राज करने वाला अशोक प्रथम राजा था। अशोक को चक्रबर्ती सम्राट की उपाधि मिली थी और इसका अर्थ होता है राजाओं का राजा। भारत में यह उपाधि सिर्फ अशोका को ही मिली। कलिंग युद्ध के करीब दो साल पहले ही अशोक मानवतावादी शिक्षा से प्रभावित होकर बौद्ध धर्म के अनुयायी बन गए थे। 

अशोक के पिता का नाम बिन्दुसार और माता का नाम सुभद्रांगी (रानी धर्मा) था। अशोक की दो पत्नी थी देवी

कारुवाकी, पद्मावती तिष्यरक्षिता  इसके अशोक के चार पुत्र थे संतान महेन्द्र, संघमित्रा, तीवल, कुणाल, चारुमती। ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

सम्राट अशोक के समय राज्य व्यवस्था इतनी बेहतर और सुचारू थी कि विदेशों से लोग भारत पढ़ने आया करते थे। अशोक ने ही कई विश्वविद्यालयों का निर्माण कराया जिनमें प्रमुख नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला, तक्षशिला, नालंदा, कंधार आदि  विश्वविधालय थे। उस समय शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, व्यापार सभी चीज़े बहुत ही भरपूर और अच्छी स्थिति में थे। 

अशोक कला का विकास किया और कई कलाकृति बनवायी। अशोक के बारे में आज भी कई शिलालेख भारत और अन्य देशों में सुरक्षित रखे हुए हैं। जिनमें उसके राज्य का वर्णन मिलता है। 

अशोक भारत के सर्वोच्च चक्रबर्ती सम्राट थे और आज भी भारत के झंडे में अशोक चक्र देखने को मिलता है। 

अशोक की मृत्यु पाटलीपुत्र (पटना) में हुयी 

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7. राजा राज चोल (947 से 1014 BCE) 

(चोल वंश) 

दक्षिण भारत के महान सम्राट राजा राज चोल चोला वंश के प्रतापी राजा थे। उन्होंने कई युद्ध जीते इन्हीं के काल में चोला वंश का शासन श्री लंका से लेके उत्तर भारत में कलिंग तक फैला था । सम्राट राजा राज ने कई युद्ध और सैन्य अभियान चलाये जिसके फलस्वरुप उन्होंने अपना इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया। 

राजा राज ने हिन्दुओं के कई बड़े मंदिर बनवाये जिनमें सबसे प्रमुख तंजौर का बृहदीश्वर मन्दिर है। 

इनके पिता का नाम सुंदर चोल था । और इनकी कई पत्नियों में लोक महा देवी, चोल महा देवी, त्रैलोक्य महा देवी प्रमुख थी। इनके कई संतानो में राजेंद्र चोल प्रथम को उत्तराधिकारी बनाया। 

इन्हें राज केशरी की उपाधि प्राप्त थी। और इनका असली नाम अरुलमोली बर्मन था। इनके पिता का नाम प्रांतका 2 था । ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

राजा राज चोल हिन्दू धर्म को मानने के साथ अन्य सभी धर्मिक भावनाओ का आदर करते थे। उन्होंने कई मंदिर और बौद्ध मठ इत्यादि बनवाए।  इनकी म्रत्यु 67 साल पर हो गयी थी। चोल वंश के वह एक बेहद महत्वपूर्ण और शक्तिशाली शासक थे। 

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8. कृष्णा देव राय (1509 से 1529 BCE) 

(तुलुव राजवंश) 

कृष्णा देव राय विजयनगर साम्राज्य के सबसे सफल और कीर्तिबान सम्राट थे । वह कवि भी थे तेलुगु भाषा में उन्होंने कई काव्य संग्रह लिखे है जिसमें से वंशचरितावली तेलुगु में लिखी काफ़ी महत्त्वपूर्ण पुस्तक थी जिसका संस्कृत अनुवाद भी है। 

सम्राट कृष्ण देव राय ने मुग़लों को दक्षिण भारत में प्रवेश नहीं करने दिया था और वहां हिन्दुओं के कई मंदिर और सनातन धर्म के अनुष्ठान कराए। महाराज कृष्णा देव राय विजयनगर साम्राज्य के कुशल और निडर, उदारवादी राजा थे। उनके शासन काल में विजयनगर साम्राज्य खूब फला फूला। 

कृष्णा देव राय जब सिंघासन पर विराजमान हुए उस समय हालत बेहद ख़राब थे परन्तु महाराज ने अपने कोशल से सब कुछ सामन्य और बेहतर कर दिया उन्होंने 1513 ई में उड़ीसा पर आक्रमण कर उदय गिरी के प्रसिद्ध किले को जीता। इसके अलावा उन्होंने संघर्ष करके कई युद्ध जीते। उन्होंने सुल्तान मेहमूद साह को बहुत ही बुरी तरह परास्त किया। कोंडविडु से राजकुमार वीर भद्र ने भी सम्राट से लोहा लेना चाहा परंतु असफल रहे। और देखते ही देखते उन्होंने गुलबर्ग, बिदर इत्यादि दुर्गो पर विजयनगर साम्राज्य की विजय पताका लहराने लगी। 

सम्राट कृष्ण देव राय भारत के बेहद शक्तिशाली और अधिक तेजी से विस्तृत होने वाले राजा थे। 

जीवन के आखिरी सालो में उन्होंने कई विद्रोहों का नाश किया परंतु उनके पुत्र तिरमुल को विष देकर मार दिया गया। 

इनकी माता का नाम नागला देवी और पिता तुलुव नारस नायक था।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

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9. अकबर ( 1542 से 1605 BCE) 

(मुगल वंश) 

अकबर का पूरा नाम जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर था ।तैमूर के वंश से मुगल वंश का तीसरा सबसे बड़ा राजा था। अकबर एक ऐसा राजा था जिसने सिर्फ ज़मीन पर ही नहीं लोगों के दिल पर भी राज़ किया। अकबर ने हिन्दू मुस्लिम संबंधों को मधुरता दी और देश में एक ऐसे धर्म का अविष्कार किया जिसमें सबको बराबरी का हक्क था। दीन ए इलाही परंतु यह धर्म अकबर के मरने के बाद फीका होगया और फिर समाप्त हो गया। 

अकबर सिर्फ 13 वर्ष की उम्र में ही सिंघासन पर आ गए थे। उनके  पिता नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायुं की म्रत्यु के बाद उन्होंने अपना राज काज सम्भाल लिया। अकबर की माता का नाम माता हमीदा बानो बेगम  था अकबर की कई पत्नियों में उनकी खास बेगम जीवनसंगी ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

रुक़ाइय्याबेगम बेगम सहिबा, सलीमा सुल्तान बेगम सहिबा और मारियाम उज़-ज़मानि बेगम सहिबा ।

अक़बर का जन्म उमरकोट किला, सिंध में हुआ। अकबर भारत के एक महान और शक्तिशाली शासक थे । उनके राज में हिंदू मुस्लिम समुदाय आपसी भाई चारे से रहे। और उन्होंने कई ऐसे कार्य किए जिनसे समाज का भला हुआ। 

अकबर की रगों में दो जातियों का खून था उसके पिता तैमूर वंश से और माता चंगेज खान के वंश से थी। इसलिए एशिया की दो मशहूर जातियों का रक्त उसके भीतर , तुर्क और मंगोल के रक्त का मिश्रण था।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

अकबर ने पानीपत के दूसरे युद्ध में हेमू को कम सेना होने के बावजूद भी हरा दिया था। इसके बाद उसने सिकंदर साह सूरी को हराकर उसको जीवन दान दिया। 

10. महाराणा प्रताप (1540 से 1597 BCE)

(सिसोदिया राजपूत वंश) 

मेवाड़ के पराक्रमी सम्राट या इनके साहस की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम ही है। एक ऐसा राजा जो अपने स्वाभिमान के लिए बागी हो गया। महाराणा के शौर्य की तारीफ़ तो स्वयं उनके दुश्मनों ने भी की है। इतिहास में ऐसा कोई राजा नहीं हुआ जिसने अपने स्वाभिमान के लिए इतना संघर्ष किया हो। 

 ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

जब अकबर अपनी बड़ी सेना के साथ राजस्थान के ज्यादातर राजपूत ने उसका आधिपत्य स्वीकार कर लिया था पर राणा ने कहा कि वह कर के नाम पर एक ढेला नहीं देंगे और युद्ध के लिए अकेले ही तैयार हो गए। हालाकि अकबर की सेना 10 गुना ज्यादा थी तो राणा युद्ध हार गए परंतु उन्होंने हार स्वीकार नहीं की मेवाड़ की प्रजा राणा को ही अपना राजा मानती थी .

महाराणा प्रताप (1540 से 1597 BCE)

 राणा जंगलों में बहेलिया जाति के साथ मिलकर गोरिल्ला नीति से मुगल सेना को परेसान करने लगे जब तक राणा जिंदा रहे तब तक मेवाड़ में कोई अपना आधिपत्य नहीं जमा पाया। 

राणा के सामने हिम्मत और स्वाभिमान के सामने अकबर भी छोटा था।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

राणा के पिता का नाम महाराणा उदय सिंह था और माता 

महाराणी जयवंताबाई थी। राणा की कुल 12 पत्नियां थी जिनमें से महारानी  अजबदे पंवार सहित कुल 11 पत्नियां थी। 

अक़बर ने राणा से मधुर संबंध बनाने के कई प्रयास किया पर राणा को अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं थी तो परिणाम स्वरूप युद्ध हुआ। हल्दी घाटी का युद्ध इस युद्ध में मुट्टी भर राजपूतों ने मुग़लों के छक्के छुड़ा दिए मुग़लों की सेना भागने लगी थी।इस युद्ध में राणा की तरफ से सिर्फ एक मुस्लमान लड़ा था हकीम साह सूरी। 

राणा के साथ ग्वालियर के महाराजा रामशाह तोमर और उनके लड़के कुँवर शालीवाहन’, ‘कुँवर भवानी सिंह ‘कुँवर प्रताप सिंह’ और पौत्र बलभद्र सिंह एवं सैकडों वीर तोमर राजपूत योद्धाओं समेत वीरगति को प्राप्त हुए। 

राणा और उनके साथी स्वाभिमान के लिए लड़े थे।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

अकबर की सेना बहुत थी पर चंद राजपूतों ने उन्हें हिला कर रख दिया। अकबर ने सोचा था चंद राजपूत है आखिर कितनी देर तक टिक पाएंगे परंतु ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। इतिहास के मुताबिक इस युद्ध में कोई विजय नहीं हुआ। परंतु कई इतिहासकारों का मानना है कि अकबर के सामने लोहा लेकर राणा ने वह युद्ध जीता था। 

 ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

अपनी धरा की स्वाधीनता के लिए जिस सम्राट ने अपना पूरा जीवन बलिदान कर दिया ऐसे महा वीर  शिरोमणि महाराणा प्रताप और उनके स्वामिभक्त घोड़े चेतक को शत-शत कोटि-कोटि प्रणाम। जीत तो राणा को मिली थी बादशाह अकबर सब जीतकर कर भी हार गया था। मेवाड़ का राजा राणा ही था। 

11. सम्राट प्रथ्वी राज चौहान ( 1178 से 1192) 

(चौहान राजपूत वंश) 

 सम्राट प्रथ्वी राज चौहान

महान सम्राट पृथ्वी राज चौहान अपने शौर्य और अपने दुश्मन पर दया करने के लिए जाने जाते हैं। मुहम्मद गौरी को 17 बार हारकर उसको जीवन दान दिया था। इनके राज्य में खुसहाली थी। इनका जन्म गुजरात में हुआ। इनके पिता का नाम सोमेश्वर और माता महारानी कपूरा देवी थी। इनका भाई हरि राज । जब पृथ्वी राज ll की मृत्यु हुयी तो उनके पिता सोमेश्वर को गद्दी पर बैठाया गया। और सोमेश्वर की म्रत्यु के बाद पृथ्वी को सिंघासन पर विराजमान होना पड़ा। जब उनके पिता की मृत्यु हुयी तब वह मात्र 11 वर्ष के थे। और वह शुरू से ही धनुष विद्या में निपुण थे।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

इतिहासकारों के मुताबिक वह शब्द बेदी तीर दागते थे जहा से अवाज आती वही निशाना लगाते थे। 

उनकी सेना बहुत विशाल थी मुहम्मद गौरी ने 18 बी बार में पृथ्वी को हरा दिया था। बाद में उसने उनको मरवा दिया। 

कवियों और पुरानी किताबों के मुताबिक पृथ्वी की आँखें फोड़ दी गयी थी इसके बाबजूद उनके मंत्री चंद्र वरदई  ने अपने मुह से गौरी का पता बताया और गौरी ने अवाज लगायी बैसे ही पृथ्वी का बाण उसके सीने में घुस गया। बाद में दोनों ने एक दूसरे को तलवार से काट कर खत्म कर लिया।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

उनके बारे दरबारी की लिखी किताब पृथ्वी राज रासो में उनके समय का बखान है। 

पृथ्वी राज चौहान  शौर्य और स्वाभिमान के   ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

धनी राजा थे उन्होंने दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब इत्यादि पर राज्य किया। उन्होंने कई युद्ध जीते। 

12. महान शिवाजी भोंसले (1627 से 1680 BCE) 

( मराठा भोंसले ) 

 महान शिवाजी भोंसले

शिवा जी भोसले मराठा साम्राज्य के संस्थापक और सबसे शक्तिशाली और निडर शासक थे। शिवा जी के पिता का नाम शाह जी और माता जीजा बाई थी। शिवा जी बचपन से ही युद्ध कला में पारंगत और निडर थे उन्होंने मुगल बादशाह औरंगजेब को दक्षिण में आने से रोका और। हिन्दू संस्कृति का संरक्षण किया। 

बीर शिवा जी भोंसले  का जन्म 19 फ़रवरी 1630 में हुआ। उनके भाई का नाम सम्भाजी था जो अपने पिता और माता के साथ ज्यादा समय व्यतित करते थे। शिवा जी बचपन से ही राजनीति और युद्ध कला और तमाम कलाओं में माहिर और निपुण थे।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

जब शिवा जी का राज्यभिषेक हुआ तब वीजा पुर मुग़लों के संघर्ष से जुझ रहा था। ऐसे में महाराज ने उनमें नयी ऊर्जा भरी और अधिक ताक़त से मुग़लों को रोके रखा। 

रोहिदेश्वर के किले पर सबसे पहले शिवा जी ने अपने साम्राज्य में लिया और उसके बाद उन्होंने अपने साम्राज्य को विस्तारित किया ।इसके बाद उन्होंने  तोरणा के दुर्ग को अपने कब्जे में लेने के लिए वहां के सुल्तान आदिलशाह को दूत भेजकर ख़बर पहुंचाई को वह उन्हें वहां का आधिपत्य दे दे। जो कि उसने स्वीकार कर लिया क्युकी शिवा जी ने पहले ही उसके दूतों समेत कई अन्य लोगों को अपने पक्ष में ले लिया था। और फिर उन्होंने राज गड़ का किला भी अपने साम्राज्य में ले लिया।  ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

शिवा जी ने कई युद्ध जीते और एक बार तो वह स्वयं औरंगजेब के चंगुल से मौत को मात देकर बाहर आए। 

शिवा जी की निडरता का कोई शानी नहीं है। 

ऐसे सम्राट बहुत कम हुए है। भारत में शिवा जी को ईश्वर की तरह सम्मान मिलता है। 

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भारत का सबसे बड़ा और शक्तिशाली राजा कौन था? 

 BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA

सम्राट अशोक भारत के सबसे शक्तिशाली और ताकतवर राजा थे । महान सम्राट अशोक का साम्राज्य सबसे बड़ा और अधिक था। अशोक एशिया के सबसे बड़े राजाओ की श्रेणी में आते है। अशोक ने कोई युद्ध नहीं हारा और वह अपना साम्राज्य बढ़ाने के लिए अग्रसर ही था अगर कलिंग युद्ध में उसका हृदय परिवर्तन नहीं हुआ होता। सम्राट अशोक मौर्य चक्रबर्ती राजा थे ।भारतीय इतिहास में उनसे महान और शक्तिशाली शासक कोई नहीं है।   ( BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA )

निष्कर्ष : 

भारत पर राज करने वाले अनेक राजा थे पर उनमें हर किसी और इतनी प्रसिद्धी और वाह वाही नहीं मिली। उपरोक्त राजाओं ने भारत में राज्य किया और एक बड़ी शक्ति के रूप में उबर कर आए। 

दोस्तों उम्मीद है आपको हमारा यह लेख भारत के 10 सबसे शक्तिशाली राजा | BHARAT KE 10 SABSE SHAKTISHALI RAJA | TOP 10 Most powerful king’s of INDIA  और जानकारी से संतुष्टी मिली होगी। लेख से संबंधित शिकायत और सुझाव नीचे कमेन्ट box में या हमे मेल करके दर्ज कराए। 

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By Nihal chauhan

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Ranjan Sharma
9 months ago

Ranjan Sharma

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