Sharab Ka Itihas दोस्तों आज दुनिया की 86% आबादी शराब का सेवन करती है और हर इंसान के लिए शराब पीने की अपनी वजह होती है। शराब को पीने वाले कभी इस बात को सोचने का कष्ट नहीं उठाते की, आखिर शराब आयी कहा से? किसने बनाई? कब बनाई? क्यों बनाई? 

ऐसे ढेरों सवाल है, पर एक शराब पीने वाले इंसान के पास इस तरह के सवालों के जबाब खोजने का समय नहीं होता। 

Sharab Ka Itihas

भारत में शराब किसी के अनुमान लगाने से भी पहले ही आ गयी थी। यह बात और है कि भारतीय शराब fragmentation पध्दति से नहीं बनाई जाती थी और कुछ विचारक लोगों का मानना है कि शराब की खोज 12 बी शताब्दी में यूरोपीय देशों में हुयी। और हाँ भारत में शराब कहीं से आयी नहीं थी बल्कि यह कहना ठीक होगा कि पौराणिक काल में यह भारतीय घरों को महत्वपूण्र जरूरत वाली चीज थी।  (Sharab Ka Itihas)

भारतीय वेदों से पता चलता है कि भारत में बनने वाली शराब कभी भी किण्वक(fragmented) नहीं थी और इस बात के पीछे कई वाजिब कारण हो सकते है जैसे कि भारत में वह सामग्री ही नहीं थी जिससे शराब को fragmented करके बनाया जा सकता था जैसे कि अंगूर या जौ।

 लेकिन यदि बारीकी से देखा जाए तो भारत के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले पहाड़ी परंपरा में चावल, घास, जौ इत्यादि से बनने वाले पेय का जिक्र मिलता है। (Sharab Ka Itihas)

पूर्व-वैदिक काल में शराब 

भारत की तरह आर्य लोग 1600 ईशा पूर्व में आए और उन्होंने आकार हड़प्पावासियों को विस्थापित किया जिन्होंने करीब 3000 ईसा पूर्व में भारत में सबसे शुरुआती सभ्यताओं में से एक की स्थापना की थी।  दोनों की कालों के स्थान पर खुदाई हुयी और वहां कई बर्तन के टुकड़े मिले। पुरातत्व विभाग के लोग और इतिहासकार और वैज्ञानिकों ने मिलकर इन्हें जोड़ा और काफी उनसे काफी कुछ पता लगाया। (Sharab Ka Itihas)

उस समय में कई प्रकार की धातुओं का उपयोग उनके बर्तन और औजारों को बनाने में होता था। बर्तनों को देखकर यह लगता है कि उनका उपयोग महुआ से पेय बनाने के लिए होता था। शुरुआती पेय ज्यादातर बसिया लतीफोलिया उर्फ ​​​​मधुका इंडिका से बनाए जाते थे, यानि कि महुआ के फूल से। 

इस तरह की शराब बनाने के लिए महुआ के फूलों को पानी में भिगोकर छोड़ दिया जाता था और बाद में इसे fragmented (किण्वन)  होने के लिए रख दिया जाता था। इसके बाद इस पेय में शराब बन जाती थी।

 महुआ से शराब बनाने का यह तरीका आज भी उन जगहों पर उपयोग होता है जहां यह भारी मात्रा में पाया जाता है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ ऐसे कुछ जगह है जहां महुआ से शराब बनाई जाती है। (Sharab Ka Itihas)

वास्तविकता में महुआ एक बहुत ही जबर्दस्त रेचक (इसके सेवन से दस्त लगते हैं) है। इसलिए पुराने लोग इसको कम ही पीते थे या बहुत ही अहम मौकों पर। 

वेदों के अनुसार शराब 

का इतिहास 

शराब का सर्वप्रथम विवरण वेदों में ही मिलता है, जहां शराब को सोम “som” और प्रहमान जैसे नशीले द्रव्यों की बात की जाती है। शराब का सबसे प्राचीन विवरण ऋग्वेद में (1700 ईशा पूर्व) मिलता है, तब शराब को सोमरस या सोम कहा गया।

 “सोमरस” कहने की मुख्य वजह थी सोमा का पेड़ जिसका रस मादक और खुशी का अनुभव कराने वाला होता था। यह पौधा काफी कुछ Inca ayahuasca से मिलता जुलता है। यह भी एक ऐसा पौधा है जिसके रस में मादकता होती है। पौधे के रस मे dimethyltryptamine, और DMT जैसे पदार्थ पाए जाते है, जो मतिभ्रम के लिए जिम्मेदार घटक होते हैं। (Sharab Ka Itihas)

विश्व में शराब का इतिहास 

दुनिया में fragmented अनाज, फलो के रस, शहद से हज़ारों वर्षों से शराब तैयार की जा रही है। fragmented शराब बनाने के पहले सबूत मिस्र सभ्यताओं में मिलते है। वही 7000 ईशा पूर्व शराब का विवरण चीन के ऐतिहासिक दस्तावेजों में मिलता है। भारत में शराब का शुरुआती इतिहास 3000 से 2000 ईशा पूर्व का मिलता है तब यहा शराब को “सुरा” कहते थे। sura एक मादक पेय था। (Sharab Ka Itihas)

बेबीलोनियों आज से करीब 2700 ईशा पूर्व शराब से अपनी देवियों की पूजा की। वही ग्रीस में “मीड” नामक एक मादक पेय बहुत प्रचलित था। (Sharab Ka Itihas)

 ग्रीक का इतिहास देखा जाए तो उसमे आपको शराब से जुड़ी कई चेतावनियां देखने को मिलती है जो बताती है कि शराब किस तरह से इंसानो को दबाव बनाने का काम करती है। 

बहुत सारी अमेरिकी मूल की सभ्यताओं में जैसे कि पूर्व कोलंबिया वाले क्षेत्रों में शराब बनाई गई। वही इंडीज के दक्षिणी अफ्रीकी लोगों के द्वारा अंगूरों, सेब और मकई को fragmented करके शराब बनाई जाती थी। इस शराब को स्थानीय भाषा में “चिचा” कहते थे ।(Sharab Ka Itihas)

 मिस्र (Egypt) में शराब

 का इतिहास 

प्राचीन मिस्र में सभ्यताओं की शुरुआत से खजूर से मादक पेय बनाने का प्रचलन था। मिस्र में मादक पेय बहुत महत्वपूर्ण थे ।  शराब से जुड़े उनके कई देवताओ की मान्यता शराब से ही थी। और पूरे देश में शराब के देवता ओसिरिस की पूजा की जाती थी।(Sharab Ka Itihas)

मिस्रवासियों का मानना ​​है कि ओसिरिस के द्वारा ही बीयर का आविष्कार किया गया था। मिस्र में मादक पेय को  को जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता माना जाता था और हर घर में रोज शराब बनाई जाती थी ।

प्राचीन काल से ही मिस्र के लोगों द्वारा अपने देवताओ को खुस करने के लिए और उनकी पूजा करने के लिए शराब का उपयोग होता था। वह शराब की भी पूजा करते थे। 

उनके घरों के तहखानों और शराबखानों में एक देवता का चित्र बना होता था जिसका नाम वाइनप्रेस था।  प्राचीन मिस्र के लोग कम से कम 17 प्रकार की बीयर और कम से कम 28  प्रकार की शराब बनाते थे।(Sharab Ka Itihas)

मिस्र के लोगों द्वारा शराब का उपयोग कई तरह से होता था जैसे कि – किसी उत्सव में , पोषण के रूप में , दवा के रूप में , अनुष्ठान और धार्मिक उद्देश्य से और पैसे भुगतान के रूप के अलावा मरणोपरांत अंतिम संस्कार में भी किया जाता था। हर मकबरे के साथ शराब रखी जाती थी। (Sharab Ka Itihas)

चीन में शराब का इतिहास 

चीन में लगभग प्रागैतिहासिक काल से ही विभिन्न प्रकार के मादक पेयों का उपयोग होता आया  है। चीन में शराब को आमतौर पर खाए जाने वाले वाले (भौतिक) भोजन के बजाय शराब को आध्यात्मिक (मानसिक) भोजन माना जाता था।  चीन के कई ऐतिहासिक दस्तावेज उनके धार्मिक जीवन में शराब की महत्वपूर्ण भूमिका की पुष्टि करते है । (Sharab Ka Itihas)

पुराने समय में चीनी लोग स्मारक समारोह आयोजित करते हुए शराब पीते थे या उनके लिए शराब पीने के कई कारण होते थे जैसे कि :

  •  देवताओं या उनके पूर्वजों को बलि चढ़ाते समय शराब पीना 
  • युद्ध में जाने से पहले संकल्प की प्रतिज्ञा करते हुए शराब पीना 
  • जीत का जश्न मनाते समय शराब पीना 
  • झगड़े और आधिकारिक फांसी से पहले भी शराब पिलायी जाती थी 
  • निष्ठा की शपथ लेने के लिए भी शराब पिलाई जाती थी 
  • जन्म के समारोहों में भी काफी शराब पी जाती थी 
  • विवाह
  • पुनर्मिलन
  • प्रस्थान
  • मृत्यु
  • पर्व भोज

चीन में इन सभी मौकों पर शराब का सेवन किया जाता था। लगभग 1116  ई.पू. के  एक चीनी शाही आदेश में ।  जोर देकर कहा गया था कि  संयम में शराब पीना स्वर्ग द्वारा निर्धारित आदेश है।

 हालांकि स्वर्ग ने इसे निर्धारित किया था या नहीं यह आज भी कोई नहीं जानता। हालांकि, यदि ज्यादा लोगों के शराब पीने से राजाओ के खजाने भरे रहते थे। उस समय शराब राजकोष की आय के सबसे बड़े स्रोतों में से एक थी।  मार्को पोलो ने कहा (12547-1324) के समय लोग शराब को रोजाना पीते थे।(Sharab Ka Itihas)

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By Nihal chauhan

मैं Nihal Chauhan एक ऐसी सोच का संरक्षण कर रहा हू, जिसमें मेरे देश का विकास है। में इस हिंदुस्तान की संतान हू और मेरा कर्तव्य है कि में मेरे देश में रहने वाले सभी हिंदुस्तानियों को जागरूक करू और हिंदी भाषा को मजबूत करू। आपके सहयोग की मुझे और हिंदुस्तान को जरुरत है कृपया हमसे जुड़ कर हमे शेयर करके और प्रचार करके देश का और हिंदी भाषा का सहयोग करे।

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