लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य सनातन महाकाव्यों में रामायण सबसे बड़ा महाकाव्य है। इस महाकाव्य में तीन प्रमुख पात्र है राम स्वयं विष्णु के अवतार, लक्ष्मण राम के छोटे भ्राता और सीता राम की पत्नि। आप सबने राम और सीता के बारे में काफी कुछ जाना होगा लेकिन हम आज आपको लक्ष्मण के कुछ ऐसे अनजाने रहस्यों से रूबरू करायेंगे जिन्हें जानकर आप धन्य हो जायेगे। (लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

लक्ष्मण एक ऐसा योद्धा जो अजीत था, जिसे मृत्यु मंजूर थी पर हार नहीं। पूरी दुनिया में सनातन महाकाव्य रामायण बेहद प्रसिद्ध है। श्री लक्ष्मण के बिना राम का व्याख्यान नहीं किया जा सकता क्योंकि लक्ष्मण एक अत्यंत महत्वपूर्ण चरित्र भी हैं।  वह भगवान राम के अत्यधिक भक्तिपूर्ण और अविभाज्य (जिन्हें अलग नहीं किया जा सकता) हैं।

लक्ष्मण की निष्ठा, ईमानदारी के साथ-साथ उनके छोटे स्वभाव के बारे में सभी जानते हैं और उनका न होना भगवान के लिए एक हाथ खोने के बराबर होगा। लक्ष्मण राम के लिए और दुनिया के लिए कितने महत्वपूर्ण थे इसकी कल्पना करना ही व्यर्थ है क्योंकि बिना लक्ष्मण के रामायण ही सम्भव नहीं थी। बिना लक्ष्मण के श्री राम युद्ध नहीं जीत सकते थे। लक्ष्मण वह महान गुणों वाला किरदार और एक महान चरित्र था जिसे लोग कम ही जानते है।(लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

चलिए आज हम आपको अवगत करायेंगे लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य से जिनसे शायद ही आप पहले कभी अवगत हुए होंगे :

लक्ष्मण ने चौदह वर्ष तक किसी महिला का चेहरा क्यों नहीं देखा? – 

क्षत्रीय धर्म में पुरुष या महिला अपने पति या पत्नी के अलावा किसी को नहीं देख सकते और लक्ष्मण स्वयं सबसे सज्जन व्यक्ति भी थे उन्होंने चौदह वर्ष तक किसी नारी का चेहरा नहीं देखा था। वह बनवास के समय अपने भाई राम और सीता के साथ रहे तब भी उन्होंने अपनी ही भाभी का चेहरा नहीं देखा था। उन्होंने सिर्फ उनके चरणों को देखा था जब वह उनके पैर छूते थे तब।सीता के सामने उनकी गर्दन हमेशा नीचे ही रहती थी। (लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

इस बात की परिपूर्ण पुष्टि तब हुयी जब रावण सीता माता को लंका ले जा रहा था। तब जब उन्होंने उनकी खोज की तो सुग्रीव ने उन्हें माता सीता के कई आभुषण दिखाये जिसमें से लक्ष्मण सिर्फ माता सीता की पायल की ही पहचान कर सके क्योंकि उन्होंने सिर्फ उनके चरण देखे थे। पायल को पहचानते हुए लक्ष्मण ने कहा कि उन्होंने पूजा में उनके पैरों पर सिर रखते हुए पायल को देखा था।  वह किसी अन्य आभूषण को पहचानने में सक्षम नहीं थे क्योंकि उसने कभी भी उन्हें करीब से देखने का अनुमान नहीं लगाया था। (लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

लक्ष्मण को “गुडाकेश” क्यों कहते हैं? – 

“गुडाकेश” अर्थात नींद को पराजित कर देने वाला। जी हां लक्ष्मण गुडाकेश थे। उन्होंने नींद की देवी “निंदा देवी” को प्रसन्न करके यह वरदान लिया था। दरअसल इस वरदान के पीछे भी एक बड़ी कहानी है। 

जब राम लक्ष्मण और सीता चौदह वर्ष के बनवास को गए तब लक्ष्मण ने एक प्रण लिया था कि वह चौदह वर्ष तक सोयेगे नहीं क्योंकि उन्हें अपने भैया राम और भाभी सीता की रक्षा करनी थी। और उन्होंने ऐसा ही किया वह लगातार चौदह वर्षो तक बिना नींद लिए निस्वार्थ और सच्ची निष्ठा से प्रभु राम की सुरक्षा करते रहे। उनका यह तप देखकर निद्रा देवी प्रसन्न होगी और खुश होकर उन्होंने लक्ष्मण को “गुडाकेश” बना दिया। यानी कि एक ऐसा व्यक्ति नींद को हरा सकता है वह नींद से परे है। (लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

लक्ष्मण गुडाकेश थे इसीलिए उन्हें रावण के विरुद्ध युद्ध लड़ने में काफी मदद मिली । खासकर मेघनाद को हराने के लिए लक्ष्मण ही सटीक थे क्योंकि वह सिर्फ उसी व्यक्ति द्वारा मारा जा सकता था जो गुडाकेश है यानी कि वह सिर्फ लक्ष्मण से ही मारा जा सकता था। चुकी लक्ष्मण ही एक ऐसे इंसान थे जिन्होंने नींद पर विजय प्राप्त कर ली थी। 

लक्ष्मण बलराम के अवतार – 

लक्ष्मण ने एक बार यह बात कही थी कि चूंकि वह राम से छोटे हैं, इसलिए उनके अपने बड़े भाई राम की प्रत्येक आज्ञा का पालन उन्हें करना ही था। यही वजह है कि लक्ष्मण को भी बड़े भाई बनने की इच्छा तीव्र थी और अगले अवतार में उनकी यह इच्छा पूरी हो गयी । अगले अवतार में वह शेष नाग के अवतार बलराम बने जबकि भगवान विष्णु छोटे भगवान कृष्ण बने ।(लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

यदि आपने भगवान विष्णु की सबसे प्रचलित तस्वीर या मूर्ति देखी होगी तो आप देखते है कि वह शेष नाग के ऊपर लेटे है। शेष नाग साक्षात लक्ष्मण का अवतार है। इसीलिए उनके हर अवतार में वह उनके साथ थे। इसीलिए भगवान विष्णु जब राम के रूप मे पैदा हुए तो वहां उन्हें लक्ष्मण मिले उसी प्रकार जब कृष्ण के रूप में आए तो बड़े भाई के रूप में बलराम मिले। (लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

शेषनाग के अवतार – 

जी हाँ लक्ष्मण जी शेष नाग के अवतार है जो पूरे ब्रम्हांड के ग्रहो को अपने सर पर रखे हुए हैं। यह वही शेष नाग के अवतार है जिस नाग पर भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम करते हैं, जो कि दूध का सागर है।  शेष नाग सभी नागों के राजा हैं। शेषनाग और भगवान विष्णु अविभाज्य हैं।  (लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

हमने अक्सर भगवान विष्णु को शेषनाग पर आराम फरमाते हुए चित्रित देखा है, जब भगवान विष्णु राम के रूप में पृथ्वी पर उतरे, तो शेषंग उनके साथ लक्ष्मण के रूप में आए। यही कारण है कि हम ‘ताटिक’ (मिथिला को नष्ट करने के लिए रावण द्वारा भेजा गया एक नाग) जब लक्ष्मण को देखता है तो भागने लगता है। 

इंद्रजीत को मारने के लिए हर शर्त पर परिपूर्ण थे लक्ष्मण – 

मेघनाद कोई साधारण असुर नहीं था वह मृत्युलोक के साथ ही साथ इंद्र लोक को भी विजय कर चुका था। युद्ध के बाद, जब ऋषि अगस्त्य अयोध्या आए तो उन्होंने कुछ ऐसे सत्य खोले जो अविश्वसनीय थे ।  ऋषि ने कहा, मेघनाद कोई साधारण असुर नहीं था, वह इंद्रलोक का विजेता था।  उसके पास तपस्या से प्राप्त किए गए कई बड़े विनाशक हथियार थे उसके पास एक त्रिमूर्ति हथियार था जिसमें – ब्रह्मास्त्र, नारायणास्त्र और पाशुपतास्त्र के तीन परम हथियार शनि शामिल थे। (लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

इस सब के बावजूद भी वह सिर्फ ऐसे व्यक्ति द्वारा मारा जा सकता था जो जिसने कम से कम वह 14 साल तक किसी महिला का चेहरा नहीं देखा हो या किसी महिला के साथ शरीरिक संबन्ध बनाए हो ना ही उसने कोई भोजन किया हो। इतनी कठिन स्थिति को पार करने के बाद मेघनाद का अंत हो सकता था। 

बाद में लक्ष्मण ने समझाया कि वह बनवास के दौरान वह पूरे 14 साल से भी ज्यादा वर्षो तक सोये नहीं ना ही उन्होंने किसी महिला का चेहरा देखा था। हालांकि राम उन्हें खाना देते थे पर उन्होंने ये नहीं कहा कि खाना खाओ इसलिए उन्होंने खाना भी नहीं खाया था। (लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

लक्ष्मण ने बताया वह सिर्फ उतना ही करते थे जितना उनके बड़े भाई बोलते थे। जबकि वह बनवास में सीता के साथ रहे फिर भी उन्होंने सीता का चेहरा नहीं देखा उन्होंने सिर्फ उनके चरण ही देखे थे। इस प्रकार लक्ष्मण उन सभी शर्तों पर खरे उतरे जितनी मेघनाद को मारने के लिए पर्याप्त थी और उन्होंने इंद्रजीत को मार डाला। 

लक्ष्मण और राम का प्रेम अद्वितीय – 

जब राजा दशरथ द्वारा राम को वनवास दिए जाने पर राम ने सबसे पहले अपनी पत्नी सीता को समझाया था। राम अपनी ही पत्नी को समझाने की कोशिश करते हैं और उससे कहते हैं कि अगर वह चाहें तो वह अपने ससुराल वालों के साथ राज्य में वापस पूरी सुख सुविधाओं के साथ रह सकती है।  (लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

लेकिन उन्होंने लक्ष्मण से ऐसा कुछ नहीं कहा ना ही उन्हें समझाने का प्रयास किया क्योंकि राम जानते थे कि लक्ष्मण किसी भी शर्त पर राम का पीछा छोड़ने वाले नहीं है यदि राम लक्ष्मण को बनवास आने के लिए मना भी करते तब भी लक्ष्मण वनवास में उनका पीछा करने वाले हैं।

भगवान राम के प्रिय लक्ष्मण – 

रावन से युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण को मेघनाथ द्वारा शक्ति से लगभग मार ही दिया गया था, तब राम ने इतना विलाप किया था जितना कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में कभी नहीं किया होगा। उसी समय राम ने रोते हुए यह बात स्वीकार की थी वह अयोध्या में बिना धन के रह सकते है, बिना सीता के रह सकते है लेकिन वह लक्ष्मण के बिना नहीं रह सकते। (लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

इसीलिए राम का प्रेम लक्ष्मण के प्रति अद्वितीय था और लक्ष्मण राम को बहुत प्रिय थे।  जब लक्ष्मण युद्ध के मैदान में घायल हो गए थे तो राम को कोई भी धीरज धराने वाला नहीं था यानी कि वह अपना विलाप रोक ही नहीं पा रहे थे। यह दर्शाता है कि राम और लक्ष्मण का प्रेम भाइचारे का प्रतीक है। 

लक्ष्मण राम के सिर्फ भाई ही बल्कि सच्चे पक्षधर थे – 

यूँ तो लक्ष्मण ने अपना पूरा जीवन ही राम की सेवा में लगा दिया लेकिन उस समय लक्ष्मण की भूमिका देखने लायक थी जब राम पागलों की तरह सीता के वियोग में थे। तुलसीदास जी कहते है जब सीता चली गई तो राम को स्थिति एक छोटे बालक अबोध बालक की तरह हो गयी थी जो घंटों किसी प्रिय खिलौने के रोते हुए रहता था। ऐसे में लक्ष्मण छोटे होने के बावजूद भी राम के पिता की तरह या बड़े भाई की तरह राम को सांत्वना और शक्ति देते थे उन्हें समझाते थे। यहां तक कि राम को सकरात्मक होने में मदद करते थे। (लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

जब राम एक पागल की तरह लगातार रोते थे वह जंगलों में ,सीता के ठिकाने के बारे में जानने के लिए जंगल में पेड़ों, फूलों, पौधों और जानवरों से पूछते रहे, और अक्सर उदास और तड़पते हुए जमीन पर बेहोश होकर गिर जाते थे। जबकि लक्ष्मण ने ऐसे समय में उन्हें खूब प्रेरणा देकर उत्साहित करने का काम किया। इसीलिए लक्ष्मण राम के सिर्फ भाई ही नहीं बल्कि सच्चे पक्षधर भी थे।

लक्ष्मण के गुरु 

जो आपको सिखाता है वह आपका गुरू होता है। इसी तरह से राम लक्ष्मण के सिर्फ भाई ही नहीं, पिता और गुरु के समान भी थे। क्योंकि राम के गुरु विश्वामित्र ने राम को कई अस्त्रों और शास्त्रों में दीक्षित किया और राम वह राम के गुरु (गुरु) बन गए। राम ने बदले में यही सब शिक्षा लक्ष्मण को दी और लक्ष्मण के गुरु बन गए।(लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

लक्ष्मण की मृत्यु – 

पृथ्वी पर अपने कर्तव्यों को पूरा करने के बाद राम ने विचार किया कि अब बैकुंठ को लौटना चाहिए। और थोड़ा विस्तार से सोच विचार करके राम ने यमराज को आमंत्रित करने का फैसला लिया। यमराज आया लेकिन यम ने राम के सामने एक शर्त रख दी।

 यमराज ने कहा कि उनके बीच होने वाली बातचीत गोपनीय रहनी चाहिए। यमराज ने कहा उनकी बातचीत के दौरान जो कोई भी कमरे में प्रवेश करेगा उसकी मृत्यु हो जाएगी। यही कारण था कि राम ने लक्ष्मण को दरवाजे की रखवाली का जिम्मा सौंपा। ताकि कोई भी व्यक्ति कमरे में प्रवेश ना कर सके। (लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

राम से यमराज की चर्चा के दौरान दुर्भाग्य से दुर्वासा ऋषि राम से मिलने के लिए उस कमरे की तरफ आ रहे तो तो लक्ष्मण ने उन्हें पहले प्यार और विनम्रता से रोका। लेकिन दुर्वासा ऋषि क्रोधित होने लगे और उनका क्रोध इतना ज्यादा हो गया कि वह अयोध्या को शाप देने वाले थे। यह बात सुनकर लक्ष्मण अयोध्या को शाप से बचाने के लिए सभा के बीच पहुंच गए जिससे उनकी मृत्यु हो गयी। 

हालांकि, पौराणिक कथाओं के अनुसार यह बात पहले ही तय थी कि लक्ष्मण को राम से पहले ही बैकुंठ जाना था क्योंकि वह शेषनाग के अवतार थे और विष्णु के वैकुंठ लौटने से पहले उन्हें वापस लौटना पड़ा था।(लक्ष्मण : के 10 अनजाने रहस्य)

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कल्पेश
कल्पेश
9 months ago

लक्ष्मणजी की सरयु में जल समाधी के बाद उनके पुत्रो ने क्या किया? क्या अयोध्या का त्याग किया?

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