भगवान् की उत्पत्ति कैसे हुई ? हम सभी जानते हैं कि मनुष्य के अगर जन्म की बात होती हैं तो सबसे पहले नारी का नाम आता हैं। यदि भगवान् के उत्पत्ति की बात करे तो जगत जननी माँ आदिशक्ति का नाम आता हैं।
माँ आदिशक्ति-इस संसार में जो भी कुछ है सभी माँ आदिशक्ति के आधीन हैं। सम्पूर्ण ब्रह्माण ही माँ में निहित हैं। माता की शक्ति से सबसे पहले भगवान् विष्णु की उत्पत्ति हुई भगवन विष्णु के नाभि से निकले पुष्प से ब्रह्मा जी और मस्तिष्क से भगवान् शिव जी प्रकट हुए।
माँ आदिशक्ति ने कहाँ कि हम सब एक ही शक्ति के भिन्न-भिन्न रूप हैं।
संसार की उत्पत्ति कैसे हुई?
माँ आदिशक्ति ने विष्णु जी,शिव जी,ब्रह्मा जी से कहाँ हम सब एक ही शक्ति के भिन्न-भिन्न रूप हैं। उन्होंने ब्रह्मा जी से कहाँ कि आप इस श्रष्टि के रचयिता है आप पिता है इस संसार के और विष्णु जी से कहाँ-कि आप इस जगत के पालनकर्ता है आप ब्रह्मा जी की रचि सृष्टि की रक्षा करेंगे एवं शिव जी आप ब्रह्मा जी की रचि सृष्टि का संहार करेंगे।
पृथ्वी पर मनुष्य का आगवन
जैसा की हम ऊपर पढ़ चुके है ब्रह्मा जी को इस सृष्टि की रचना का दायित्व प्राप्त हैं उसी के फलस्वरूप ब्रह्मा जी ने सबसे पहले ये निर्णय लिया कि मानव से पहले संसार में ज्ञान का उजाला फैलाना चाहिए उन्होंने सबसे पहले अपनी भुजाओं से चार ऋषियों-
(1) सनक
(2) सनातन
(3) सनंदन
(4) सनतकुमार
को जन्म दिया और उनसे मानव जाति की उत्पत्ति का भार उठाने के लिए कहाँ परन्तु बाल रूप में जन्म लेने के कारण उन्होंने स्वयं को असमर्थ समझा।
इसके बाद ब्रह्मा जी ने अपने शरीर से सात आचार्यओं को पैदा किया-
- वशिष्ट
- कृतु
- पुलह
- पुलतस्य
- अंगीरा
- यात्री
- मारिच्य
उन्होंने इन सप्तऋषियों से उनके जन्म का कारण बतलाते हुए कहा कि-आप संसार में ज्ञान का प्रकाश फैलाएं लोगों को शिक्षा देना,दिशा देना ही आपके जीवन का मुख्य उद्देश्य हैं।
सप्तऋषियों के नाम से जाने जाने बाले ये आचार्य आज भी नक्षत्र मण्डल में सात सितारों का रूप लेकर लोगो का मार्ग दर्शन करते दिखाई देते हैं।
इसके बाद ब्रह्मा जी ने अपनी शक्ति से मनु और सतरूपा को प्रकट किया और उनसे कहाँ कि आप इस सृष्टि की रचना कर परिवार बनाए,समाज बनाए उन्होंने सतरूपा से कहाँ कि मैं आपको स्नेह,दया,ममता,करुणा और मनु आप को मैं संरक्षण,पालन पोषण,परिश्रम की शक्तियाँ प्रदान करता हूँ।
उन्होंने दोनों से कहाँ कि आप दोनों के कई रूप होंगे सतरूपा आप एक माता,पत्नी,बहन,पुत्री के रूप में ढलती रहेगी और मनु आप पिता,पति,भाई,पुत्र के रूप धारण करते रहेंगे।
इस प्रकार प्रथ्वी पर मानव जाती का अगवान शुरू हुआ।
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