भारत प्राचीन काल से ही विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद रहा है। केरल में स्थित कोल्लम जिले के Chadayamangalam में बनी दुनिया की सबसे बड़ी पक्षी मूर्तिकला इस बात का पुख्ता सबूत है। प्राचीनकाल से लेके आधुनिक काल तक भारत समय के हर दौर में अपनी खूबसूरत कलाकृतियों के लिए जाना जाएगा। जटायु अर्थ सेंटर की भव्यता इतनी अधिक है कि यहां देशी विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है।
जटायु की विशाल प्रतिमा के पीछे एक बड़ी रहस्यमयी और धार्मिक कहानी है। जटायु की कहानी में जटायु को मौत मिली, लेकिन उनके संघर्ष की कहानी सदा के लिए अमर हो गयी। अच्छाई और बुराई के बीच हुए भयानक युद्ध में जटायु ने रावण को खूब टक्कर दी थी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जटायु त्रेतायुगीन गिद्ध पक्षी था जिसने हिन्दुओं के भगवान श्री राम की पत्नी की रक्षा करने के लिए रावण से अंतिम साँस तक युद्ध किया और अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे।
जटायु कौन थे?
रामायण के अनुसार जटायु का प्रभु श्री राम से मुलाकात पंचवटी में हुयी थी जिसे आज का कोल्लम (केरल) कहा जाता है। जटायु एक गिद्ध थे। रामायण में उनका पात्र बेहद अहम माना जाता है। जटायु महिलाओं के सम्मान का प्रतीक माने जाते हैं। केरल के कोल्लम में स्थित जटायु नेचर पार्क में बनी दुनिया की सबसे बड़ी पक्षी प्रतिमा जटायु को ही समर्पित है।
जटायु से जुड़ा मिथक और धार्मिक आस्था –
जटायु हिन्दुओं की पवित्र धार्मिक किताब रामायण के एक ऐसे पात्र थे जिन्हें अधिक लोग नहीं जानते। जैसा कि इस जगह का नाम है ‘जटायुपारा’ यह नाम जटायु के नाम पर ही पड़ा। जब हम जटायु के बारे में हिन्दुओं की धर्मिक किताबों में पड़ते है तो उसमे जटायु का जिक्र आसानी से मिल जाता है।
जटायु के बारे में एक प्रसिद्ध घटना त्रेतायुग की है। कहा जाता है कि जब जटायु छोटे थे तब वे अपने दोस्त सम्पाती के साथ आसमान की ऊंची उड़ान पर गए थे। उन्हें सूरज के पास जाना था, गर्मी और हवा के तेज वेग के कारण जटायु तो आधे रास्ते से लौट आए लेकिन सम्पाती आकाश में उड़ते चले गए।
सूर्य की तीव्र गर्मी से उनके पंख झुलस गए और वे अचेत अवस्था में नीचे गिरे। बाद में एक परम ज्ञानी ऋषि द्वारा उनका इलाज किया गया और वे स्वस्थ हो गए। सम्पाती का जिक्र रामायण में उस समय भी मिलता है जब प्रभु श्री राम लंका जाने के लिए समुद्री तट पे थे। समुद्र तट पर ही सम्पाती की मुलाकात प्रभु श्रीराम और उनकी सेना से होती है।
जटायु और रावण का युद्ध –
रामायण के अनुसार जटायु प्रभु श्री राम के पिता अयोध्या के राजा दशरथ के मित्र थे। जब कैकयी (प्रभु श्री राम की दूसरी माँ) के कहने पर राजा दशरथ ने प्रभु श्री राम को 14 साल का बनवास सुनाया था उस दौरान प्रभु श्री राम उनके छोटे भाई लक्ष्मण और पत्नि सीता जंगल में जटायुपारा के आसपास ही थे।
जब रावण अपनी मायावी शक्तियों के दम पर माता सीता का हरण करके ले जा रहा था तभी उनकी आवाज को जटायु ने सुन लिया। जटायु ने माता सीता की रक्षा करने के लिए रावण से बराबरी का युद्ध किया। जटायु उम्रदराज थे और रावण के सामने उनकी शक्ति बेहद कम थी इसके बाबजूद भी उन्होंने युद्ध जारी रखा। क्रुर रावण ने उनके दोनों पंखों को तलवार से काट दिया। जटायु घायल होकर केरल के कोल्लम जिले में स्थित Chadayamangalam गाँव की इसी Jatayupara पहाड़ी पर गिरे।
माता सीता जटायु के इस त्याग को देख कर आश्चर्यचकित थी और उन्होंने जटायु को वरदान दिया कि जबतक प्रभु राम उन्हें नहीं मिल जायेगे तब तक उनके प्राण नहीं जायेगे।
बाद में जब प्रभु श्री राम और लक्ष्मण माता सीता की खोज करते हुए Jatayupara पहुंचते हैं तो उन्हें घायल जटायु मिलते है। जटायु सारी बात प्रभु को बताते हैं कि किस तरह रावण माता सीता का हरण करके ले गया।
सब कुछ बताने के बाद प्रभु श्री राम जटायु को सही करना चाहते है लेकिन जटायु मना कर देते हैं और कह्ते है कि प्रभु मेरे जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य आपसे मिलकर आज पूरा हुआ, मेरे लिए इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता कि में अपने प्रभु श्री राम की गोद में प्राण त्याग रहा हूँ। बाद में राम और लक्ष्मण जटायु के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार करते है और लंका की तरफ कूच करते है।
आज का आधुनिक जटायु एडवेंचर सेंटर –
केरल की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन हर जगह मिल जाता है। ऐतिहासिक किताबों से लेके प्राचीन शिलालेखों तक केरल की खूबसूरती का वर्णन मिलता है। केरल का कोल्लम जिला जहाँ दुनिया की सबसे बड़ी पक्षी प्रतिमा बनी है यह जगह भी स्वर्ग से कम नहीं है। केरल पर्यटन विभाग द्वारा इस जगह का और अधिक सौन्दर्यीकरण कराया गया है।
जटायु एडवेंचर सेंटर में आपको रोमांचक महसूस कराने के लिए दुनिया भर की Activities है।यहां पहुंच कर आपको Trekking, राइफल शूटिंग, Camping इत्यादि कई तरह की मजेदार क्रियायें करने का मौका मिलता है।
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