ऋषियों की भूमि, तप का प्रताप माने जाने वाला ऋषिकेश शहर उत्तर भारत के उत्तराखंड की पहाड़ी वादियों में स्थित है। ऋषिकेश का संस्कृत का अर्थ में ‘ऋषि का ईश’ है अर्थात्‌ जो ऋषियों के ईश्वर है। 

ऋषिकेश - ganga aarti

हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में किए उल्लेख के मुताबिक ऋषिकेश वह जगह है जहां ऋषि रैभ्य ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या की थी बाद में प्रभु विष्णु ऋषि रैभ्य की तपस्या से खुश होकर भगवान हिरऋषिकेश रूप में प्रकट हुए और तभी से इस जगह का नाम ऋषिकेश पढ़ गया। 

आध्यात्मिकता, शांति, प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिकता से सराबोर ऋषिकेश शहर भारत के प्रमुख सबसे खूबसूरत दर्शनीय स्थलों में शुमार है। समय के साथ भारत के पर्यटन उद्योग में बड़ा इजाफा हुआ है। ऋषिकेश अब दुनिया के हर हिस्से से अध्यात्मिक आगन्तुकों का ध्यान आकर्षित कर रहा है। 

ऋषिकेश को ‘दुनिया की योग राजधानी’  (योग राज) माना जाता है। हरिद्वार घूमने आने वाले लगभग 95% पर्यटक ऋषिकेश घूमने जरुर आते हैं। 

हिमालय की चोटी से बहने वाली पवित्र गंगा नदी ऋषिकेश के किनारे से गुजरती है। यह खूबसूरत पहाड़ी शहर चन्द्रभागा और गंगा नदी का समागम स्थल भी है। ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर यह संगम अद्भुत नजारे प्रदान कराता है। त्रिवेणी घाट प्रकृति की चरम सुंदरता का विश्लेषण करता है। 

दुनिया के सामने ऋषिकेश की प्रसिद्धि तब हुयी जब मशहूर रॉक बैंड बीटल्स ने ऋषिकेश में महर्षि महेश योगी के आश्रम में समय बिताया। 

गंगा की पवित्रता से परिपूर्ण ऋषिकेश शहर ऊँचे ऊँचे खूबसूरत पहाड़ों से घिरा हुआ है। ऋषिकेश के लक्ष्मण झुला पर शाम का नज़ारा इतना भव्य और अविस्मरणीय होता है कि आप शायद ही इस खूबसूरत प्राकृतिक एहसास को कभी भूल पाए। 

हरिद्वार के बाद ऋषिकेश दूसरा धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र है। यह छोटा सा शहर हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। 

हरिद्वार और ऋषिकेश नजदीक बसे हुए शहर है, दो अलग अलग शहर है। कई बार लोग इन्हें एक समझने की भूल कर जाते है। 

ऋषिकेश उत्तराखण्ड के देहरादून जिले के अंतर्गत आता है। इस शहर की असीम सुंदरता की कल्पना आप यह अंदाजा लगाकर कर सकते हैं कि यह प्राचीन हिमालय पर्वत के नीचे  में स्थित है। 

ऋषिकेश के बारे में प्राचीन पौराणिक रहस्य – 

ऋषिकेश की महिमा – प्राचीन भारत में ऋषिकेश को कई नामों से जाना जाता था। हिन्दुओं के पवित्र स्कंध पुराण  में ऋषिकेश का उल्लेख सनातनी सभ्यता के आध्यात्मिक स्तर को दर्शाता है। 

पौराणिक ग्रंथ स्कंध पुराण के अनुसार ऋषिकेश का जिक्र केदार खंड में मिलता है। प्राचीन भारत में इसे “क़ुब्ज़ाभ्रमक” के नाम से जाना जाता था। क़ुब्ज़ाभ्रमक का का नाम कालांतर के आधर पर बदलते हुए ऋषिकेश हो गया। 

पुराणों में छपी हुयी धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी आए थे। कथा के अनुसार जब प्रभु राम ने रावण का वध कर दिया, उसके बाद उन्होंने इसका प्रायश्चित ऋषिकेश के अध्यात्म भरे वातावरण में किया। 

बाद में लक्ष्मण जी जुट की दो रस्सियाँ के सहारे गंगा नदी को पार करके चलें गए थे। आज उसी जगह लक्ष्मण झुला का निर्माण हुआ है। 

स्कन्दपुराण में ऋषिकेश का जिक्र “इंद्रकुंड” के नाम से भी हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार स्वर्ग के देवता इंद्र स्वयं यहां अपनों पापों को धोने ऋषिकेश आए थे। 

भगवान शिव और ऋषिकेश – 

ऋषिकेश को “अग्नि तीर्थ” के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू पौराणिक किंवदंती के अनुसार अग्नि देव (अग्नि के देवता) ने भगवान शिव के बीज़ (स्पर्म) को ऋषिकेश में ही उगला था। कथा भगवान शिव और माता पार्वती की शादी के बाद के समय की है। 

एक बार जब प्रभु शिव और माता पार्वती काफी समय तक कमरे से बाहर नहीं निकले तो स्वर्ग के देवता इंद्र ने अग्नि देव को आदेश दिया कि वे भगवान शिव को कमरे से बाहर निकाले क्योंकि उनके ऊपर भारी विपत्ति आने वाली है। 

अग्नि देव इंद्र का आदेश सुनकर तुरंत जाते है। वहां पहुंचकर वे एक छोटे से छेद द्वारा शिव जी के सामने एक भिक्षु (भिकारी) के रूप में प्रकट होते हैं। 

भगवान शिव उन्हें अग्नि देव को देखकर बेहद क्रोधित हुए और उन्हें तीसरे नेत्र से भस्म करने ही वाले होते हैं कि माता पार्वती उन्हें रोक लेती है। 

माता पार्वती उन्हें कुछ दान करने को कहती है उसी समय शिव जी द्वारा उनका बीज़ (स्पर्म) अग्नि देव को दिया जिसे उन्होंने निगल लिया। 

अग्नि देव कमरे से बाहर निकले और उन्होंने अग्नि कुश (हिंदू मान्यताओं से जुड़ा एक धार्मिक पौधा जो भगवान विष्णु का रूप माना जाता है ) के जंगल में उल्टी कर दी लेकिन शुक्राणु अग्नि के भीतर होने के कारण पहले ही खत्म हो गये थे। इस प्रकार ऋषिकेश को अग्नि तीर्थ भी कहा जाता है। 

ऋषिकेश का इतिहास – 

ऋषिकेश का इतिहास
ऋषिकेश का इतिहास

यह आध्यात्मिक शहर हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है। ऋषि-मुनियों का ईश्वर कहे जाने वाले ऋषिकेश शहर का इतिहास बेहद प्राचीन और धार्मिक है। 

भगवान विष्णु की तपोभूमि –

हिंदू धर्म के प्राचीन वैदिक पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु द्वारा भी ऋषिकेश को तपस्या के दौरान रहने के लिए चुना था। माना जाता है कि प्रभु विष्णु ने ऋषिकेश में रहकर ‘मधु’  नामक राक्षस का वध किया था। 

पौराणिक ग्रंथो की मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के रचियता भगवान ब्रम्हा जब सृष्टि की रचना कर रहे थे उसी समय उनके कानो से दो खुंखार राक्षसों का जन्म हुआ था बाद में मधु राक्षस को प्रभु विष्णु ने मार दिया। 

“ऋषिकेश का उल्लेख शिव पुराण में भी किया गया है। शिवपुराण में ऋषिकेश की महिमा और यहाँ के महत्व का वर्णन किया गया है।” 

महाभारतकालीन समय में ऋषिकेश में महाभारत के अनेक युद्धों के बीच हुए थे। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य विजय की शुरुआत इसी जगह से की थी। 

ऋषिकेश का आधुनिक इतिहास – 

ऋषिकेश का आधुनिक इतिहास बहुत महत्वपूर्ण है। इसे ब्रिटिश शासन के समय से जोड़ा जा सकता है, जब इस स्थान को एक छोटा सा गाँव माना जाता था। ब्रिटिश शासन के समय यहाँ पर एक झरने का निर्माण किया गया था जो अब ऋषिकुंड नाम से जाना जाता है।

सन् 1947 में भारत के स्वतंत्रता के बाद, ऋषिकेश एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया। इस समय से लेकर आज तक ऋषिकेश धार्मिक तथा आध्यात्मिक तीर्थ स्थल के रूप में पूरे विश्व में विख्यात है। 

ऋषिकेश में होने वाले धार्मिक तथा आध्यात्मिक उत्सवों से अब सब परिचित हैं। महाशिवरात्रि, कुंभ मेला, गंगा दशहरा, गंगा स्नान आदि के अवसर पर करोड़ों श्रद्धालु ऋषिकेश में मन शांत करने आते हैं।

इसके साथ ही, ऋषिकेश एक प्रमुख योग एवं ध्यान केंद्र भी है। आज के समय में योग तथा ध्यान का इतना प्रचलन है कि ऋषिकेश को विश्व योग राज (Yoga Capital of the World) के नाम से भी जाना जाता है। आज यहाँ पर विश्वभर से लोग योग एवं ध्यान सीखने के लिए आते हैं।

ऋषिकेश का सबसे पुराना मंदिर –

ऋषिकेश का सबसे प्राचीन मंदिर कांता मंदिर है, जो कि समय के साथ बहुत सारी बारिकियों और सुधारों से गुजरा है। मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी में हुआ था। 

मंदिर की भव्यता अद्भुत है और यह पवित्र गंगा नदी के किनारे स्थित है। भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर है श्री कांतेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

कांतेश्वर मंदिर में समय के साथ बहुत सारे भारतीय संस्कृति और धर्म के संकेतों को शामिल किया गया है। मंदिर में भगवान शिव के स्थान पर स्थित गौरीकुंड, समुद्र मंथन से जुड़ी कथाओं का संग्रह, गंगा जल की पूजा और देवी-देवताओं की विभिन्न मूर्तियों की विस्तृत संग्रहालय हैं।

कांता मंदिर के इलावा ऋषिकेश में कुछ और प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर हैं, जैसे ब्रह्मकूण्ड मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर आदि।

ऋषिकेश का अध्यात्म से क्या ताल्लुक है?

ऋषिकेश का अध्यात्म

ऋषिकेश हिमालय के शांत और ठंडे वातावरण में स्थित है और यह अध्यात्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है। इसका इतिहास वेदों से जुड़ा हुआ है और यह संस्कृति, धर्म और अध्यात्म के लिए काफी महत्वपूर्ण जगह है।

ऋषि मुनियों की तपोभूमि – 

ऋषिकेश में तपस्या करने वाले महान ऋषि मुनियों का तप आज भी यहां के शान्त वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा प्रज्वलित करता है। 

यहां पर अनेक संत और महात्मा रहे हैं और यहां पर अनेक आध्यात्मिक गुरुओं ने अपनी शिक्षाएं दी हैं। देवो के देव महादेव ने भी ऋषिकेश में तप किया, भला किसी जगह के लिए इससे बड़ी उपलब्धि कुछ नहीं हो सकती। 

महान आध्यात्मिक गुरुओं का घर – 

ऋषिकेश में प्राचीन आध्यात्मिक स्थल हैं, जैसे कि तीनों धामों का एक हिस्सा माना जाने वाला केदारनाथ, बद्रीनाथ और गंगोत्री, संत तुलसीदास का आश्रम, स्वामी विवेकानंद का आश्रम, परमहंस योगानंद का आश्रम आदि। यहां पर आप ध्यान, प्राणायाम, योग और यहां होने वाली अन्य आध्यात्मिक गतिविधियों में आसानी से शामिल हो सकते हैं।

प्रसिद्ध धर्मिक और आध्यात्मिक उत्सव – 

यहां होने वाली धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का हिस्सा बनकर आप अपने भीतर एक अलग तरह की सकारात्मक ऊर्जा महसूस करेंगे। इसीलिए ऋषिकेश अध्यात्म से गहन ताल्लुक रखता है।

ऋषिकेश में बहुत से प्रसिद्ध आश्रम हैं, जो धर्म और आध्यात्मिकता के लिए जाने जाते हैं। स्वामी विवेकानंद और परमहंस योगानंद जैसे आध्यात्मिक गुरु भी यहां अपने आश्रम में रहे हैं और लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान देने का कार्य करते हैं।

इसके अतरिक्त , ऋषिकेश में कई सारे प्राचीन हिन्दू मंदिर हैं, जिनमें से कुछ वेदों में उल्लेखित हैं। यहां पर लोग अपने मन को शांति पहुंचाने के लिए ध्यान और योग का अभ्यास करते हुए अपनी आध्यात्मिक जाग्रति को बढ़ाने की कोशिश करते हैं। इसलिए, ऋषिकेश अध्यात्म के संबंध में बहुत अधिक महत्व रखता है। 

ऋषिकेश में रहने की सुविधा निशुल्क –

ऋषिकेश में रहने की सुविधाएं निशुल्क नहीं हैं। लेकिन आपको यहां ठहरने के लिए कई सारे विकल्प मिल सकते हैं। अलग-अलग बजटों के अनुसार आप यहां अपने बजट के अनुसार ठहरने की उत्तम व्यवस्था कर सकते हैं। 

अगर आप एक बजट फ्रेंडली ऑप्शन की तलाश में हैं, तो ऋषिकेश में आपको तमाम हॉस्टल, गेस्ट हाउस, धर्मशाला, और लोगों के घरों में ठहरने की सुविधाएं मिल जाएगी । इन स्थानों पर आपको सामान्य सुविधाएं जैसे कि एक साफ़ बेड, बाथरूम, वाईफ़ाई और खाने की सुविधा मिल सकती है।

अगर आपके पास अच्छा खासा बजट है, तो आप लक्जरी होटल भी चुन सकते हैं। यहां पर आपको और अधिक सुविधाएं जैसे कि स्विमिंग पूल, स्पा, और रेस्टोरेंट जैसी सुविधाएं भी मिल सकती हैं।

ऋषिकेश में रहने की सुविधाओं के लिए आप ऑनलाइन बुकिंग साइट्स जैसे कि बुकिंग डॉट कॉम या एयरबीएनबी जैसी साइट्स का भी उपयोग कर सकते हैं। इन ट्रैवल साइट्स पर आपको आपकी आवश्यकताओं और बजट के अनुसार कई तरह के ऑप्शन मिलेंगे।

ऋषिकेश में घूमने की जगह – 

rishikesh mein ghoomne ki jagh

ऋषिकेश की प्रसिद्धी कई तरह से है यह एक धार्मिक स्थल, हिल स्टेशन, और आध्यात्मिक केंद्र है, जहां पर अनेक धार्मिक स्थल, आध्यात्मिक स्थल और प्राकृतिक सौंदर्य स्थल हैं। यहां आपको कई ऐसी जगहें मिलेंगी जहां आप अपने मन को शांत और स्थिर  कर सकते है। 

ऋषिकेश में घूमने के लिए हमने कुछ चुनिंदा जगह बतायी है :

  1. त्रिम्बेकेश्वर मंदिर – यह ऋषिकेश का सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जो भगवान शिव के लिए बनाया गया है।
  1. लक्ष्मण झूला – यह ज्वालापुरी मंदिर से पास में है और उसके नाम पर रखा गया है। यह झूला बना हुआ है जिससे लोग गंगा नदी पर पार कर सकते हैं।
  1. राम झूला – यह भी झूला है जो लक्ष्मण झूला की तरह ही बना हुआ है और यह गंगा नदी पर बना हुआ है।
  1. गंगा आरती – गंगा आरती ऋषिकेश की एक अनुभूति है जो हर शाम होती है। यह धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें प्रसिद्ध मंदिरों के पास लोग एकत्र होते हैं और गंगा नदी का आरती करते हैं।
  1. परमार्थ निकेतन आश्रम – परमार्थ निकेतन आश्रम ऋषिकेश का सबसे लोकप्रिय आश्रम है और यहां आप आध्यात्मिकता के लिए आते हैं। 
  1. त्रिवेणी घाट – त्रिवेणी घाट ऋषिकेश में सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन घाट है। यहां पर स्नान करने से मन और शरीर दोनों ही निर्मल होते हैं।
  1. नीलकंठ महादेव मंदिर, ऋषिकेश – मंदिर की भव्यता और इतिहास श्रद्घालुओं को यहां खीचें लिए चले आते है। यह मंदिर ऋषिकेश के सबसे प्राचीन और प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है।

इस मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 1964 में शुरू हुआ था और 1996 में पूरा हुआ था। मंदिर के सामने एक छोटा सी प्राकृतिक झील है जो मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा देती है।

ऋषिकेश घूमने का सही समय क्या है? 

पर्यटक और श्रद्धालु यहां वार्षिक रूप से योग, ध्यान और पूजा के लिए आते हैं। हम ऋषिकेश के मौसम को मुख्य रूप से तीन मौसमों में विभाजित कर सकते है – सुबह से दोपहर तक का समय, दोपहर से शाम तक का समय और रात का समय।

यदि आप योग और ध्यान करने के लिए ऋषिकेश जा रहे हैं, तो सबसे आपके लिए अच्छा समय सुबह का होगा, जब वातावरण शांत और प्राकृतिक होता है और इस समय यहां चलने वाली शुद्ध हवा सुबह जल्दी उठने वालों के लिए उपयुक्त होती है। 

ऋषिकेश में दोपहर से शाम के समय में तापमान अधिक होता है इसलिए ध्यान करने में कठिनाई हो सकती है। रात के समय भी उपयुक्त नहीं होता है क्योंकि उस समय संगीत और जागरण के कार्यक्रम चलते हैं।

इसका सही समय अक्सर वर्ष के अलग-अलग समयों पर भिन्न होता है लेकिन सामान्यतः, ऋषिकेश के घूमने का सबसे अच्छा समय फरवरी से जून तक होता है।

गर्मियों के दिनों में ऋषिकेश का तापमान बहुत गर्म होता है जबकि मानसून के समय यहाँ बहुत ज्यादा बारिश होती है। इसलिए, यदि आप ऋषिकेश घूमने का प्लान कर रहे हैं, तो नवम्बर से जून तक की अवधि में जाना बेहतर होगा।

ऋषिकेश में गंगा किनारे सस्ते होटल – 

ऋषिकेश में गंगा किनारे सस्ते होटल
ऋषिकेश में गंगा किनारे सस्ते होटल

ऋषिकेश में गंगा के किनारे बहुत से होटल हैं, लेकिन उनमें से सस्ते और बजट-फ्रेंडली होटल की बात करें तो कुछ निम्नलिखित होटल  हैं :

  1. होटल गंगा किनारा: यह एक बजट-फ्रेंडली होटल है जो गंगा के तट पर स्थित है। यह अपनी सुविधाओं और स्थान के लिए जाना जाता है।
  1. होटल गंगा विहार: एक बजट-फ्रेंडली होटल है जो गंगा के किनारे खूबसूरत पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। इस होटल में वो सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं जो आपकी आवश्यकताओं को पूरा कर सकती हैं।
  1. होटल गंगा दिपिका: यह भी एक सस्ता होटल है जो गंगा के तट पर स्थित है। 
  1. होटल गंगा पलेस: यह भी एक बजट-फ्रेंडली होटल है जो गंगा के तट पर स्थित है। इस होटल मेंआरामदायक कमरे और सुविधाएं उपलब्ध हैं।
  1. Hotel Ganga Darshan: यह होटल ऋषिकेश के मुख्य बाजार से कुछ ही दूरी पर स्थित है और गंगा नदी के किनारे स्थित है। इस होटल में आप सस्ते कमरे और आरामदायक बिस्तर पाएंगे।

ऋषिकेश कैसे पहुँचे? 

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ऋषिकेश पहुचने का सफर बेहद सुहाना एहसास है। देहरादून पहुँचने के बाद जब आप ऋषिकेश के लिए आगे बढ़ते है, तो यह नज़ारा बेहद सुन्दर और हसीन होता जाता है।

 ऊँचे ऊँचे पहाड़ों के बीच छोटी सी सड़क मानों किसी फूल पर मधुमक्खियां मढ़रा रहीं हो। यह सफर हमे तरोताजा कर देता है ऋषिकेश पहुचने पर आप जरा भी थकान महसूस नहीं करेंगे। 

सड़क मार्ग से – 

ऋषिकेश पहुंचने के लिए सबसे बेहतर तरीका है कि आप देहरादून या हरीद्वार से बस से ऋषिकेश पहुंचे । बस से यात्रा करते समय आप शानदार हिमालयी दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

दिल्ली के कश्मीरी गेट बस स्टेशन से देहरादून के लिए तमाम बसे उपलब्ध होती है। आप चाहे तो दिल्ली से ऋषिकेश के लिए प्राइवेट टैक्सी भी हायर कर सकतेहै। 

यदि आप खुद के वाहन से ऋषिकेश तक का सफर करना चाहते है तो राष्ट्रीय राजमार्ग NH7 का उपयोग करते हुए ऋषिकेश आसानी से पहुंचा जा सकता है।

रेलगाड़ी से :

दूसरा विकल्प है रेलगाड़ी का। रेलगाड़ी भी देहरादून जंक्शन या हरीद्वार से उतरकर ऋषिकेश के लिए आसानी से पहुंचा जा सकता है। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन शहर के ऊपरी हिस्से में स्थित है।

हवाई जहाज से : 

जो लोग दूर शहरों से ऋषिकेश आना चाहते हैं उन्हें देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर आकर ऋषिकेश के लिए उड़ान भर सकते हैं। यह हवाई अड्डा ऋषिकेश से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

कुछ मह्त्वपूर्ण सवाल – 

सवाल – ऋषिकेश शहर को क्या कहा जाता है? (ऋषिकेश के पुराने नाम क्या है? ) 

उत्तर – ऋषिकेश को हरिऋकेश, अग्नि तीर्थ, इंद्र कुंड, और क़ुब्ज़ाभ्रमक नाम से पहचाना जाता है। आधुनिक समय में ऋषिकेश को “योग राज” के नाम से भी संबोधित किया जाता है। 

सवाल – क्या हरिद्वार और ऋषिकेश एक ही है? 

उत्तर – जी नहीं हरिद्वार और ऋषिकेश पास में बसे हुए दो अलग छोटे छोटे शहर है। 

By Nihal chauhan

मैं Nihal Chauhan एक ऐसी सोच का संरक्षण कर रहा हू, जिसमें मेरे देश का विकास है। में इस हिंदुस्तान की संतान हू और मेरा कर्तव्य है कि में मेरे देश में रहने वाले सभी हिंदुस्तानियों को जागरूक करू और हिंदी भाषा को मजबूत करू। आपके सहयोग की मुझे और हिंदुस्तान को जरुरत है कृपया हमसे जुड़ कर हमे शेयर करके और प्रचार करके देश का और हिंदी भाषा का सहयोग करे।

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