दुनिया के 7 अजूबे पृथ्वी की सबसे खूबसूरत मानव निर्मित कारीगरी का उदाहरण है। एक भारतीय इंसान के मन में सात अजूबो का नाम सुनते ही ताजमहल के बारे में सोचते है। बेशक ताजमहल खूबसूरत है लेकिन यदि गौर से देखा और समझा जाए तो भारत में ताजमहल से भी अधिक खूबसूरत और महत्वपूर्ण कारीगरी के कई नमूने है। बस अंग्रेजों ने उस समय तक सिर्फ ताजमहल को ही देखा था।
आज हम इस लेख में आपको विस्तार से बताएंगे की दुनिया के 7 अजूबो में ऐसा क्या खास है जो दुनिया इनकी इतनी दीवानी है।
दुनिया के सात अजूबो की पहली सूची करीब 2000 साल पहले बनाई गई थी। इस सूची को बनाने वाले ‘हेलेनिक’ थे। हेलेनिक ने उस दौरान दुनिया के सबसे अहम यात्रियों में से एक थे। उन्होंने पूरी पृथ्वी के मानव निर्मित निर्माणों की यात्रा की और दुनिया की पहली अजूबो की सूची को तैयार किया। मिस्र में गीज़ा के पिरामिड को छोड़कर पुरानी अजूबो की सूची से अबतक सब नष्ट हो चुका है।
नए दौर के अजूबो की नयी सूची तैयार करने का श्रेय स्विटजरलैंड के मशहूर फिल्म निर्माता बर्नार्ड वेबर को जाता है। बर्नार्ड वेबर ने दुनिया के अजूबो की नई सूची तैयार करने के लिए 2001 में New7Wonders नामक फाउंडेशन की शुरुआत की।
दुनिया के हर हिस्से से तक़रीबन 100 मिलियन वोटों के आधार पर दुनिया के नए 7 अजूबो को निर्धारित किया गया। प्राचीन अजूबो की सूची में से सिर्फ गीज़ा के पिरामिड को दुनिया के नए 7 अजूबो में शामिल किया गया है।
इस संगठन का मुख्य उद्देश्य दुनिया के नए 7 अजूबो को खोजना था।
दुनिया के तमाम लोगों के वोटों की गिनती हुयी सालों के विचार विमर्श के पश्चात् नई दुनिया के 7 अजूबे खोजे गए।
ग्रेट वॉल ऑफ चाइना –
इस दीवार को ग्रेट कहना उतना तर्कसंगत नहीं है बल्कि इसे दुनिया की सबसे बड़ी दीवार के रूप में अधिक जाना जाता है। दुनिया की सबसे लंबी दीवार के रूप में प्रसिद्ध ग्रेट वॉल ऑफ चाइना चीन का एक महान इतिहास है। मानवीय निर्माण कार्य का सबसे बड़ा उदाहरण।
इसे दुनिया का सबसे बड़ा बिल्डिंग निर्माण माना जाता है। इस विशाल और भव्य दीवार का निर्माण कार्य चीन में बने परम्परागत गोत्रों के राजाओं द्वारा कराया गया था। चीन के राजाओं का इतनी विशाल दीवार बनवाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य अपने राज्यों की सुरक्षा थी।
तक़रीबन 8, 850 किलोमीटर लम्बी यह दीवार मानव निर्मित निर्माणों का सबसे बड़ा उदाहरण है। विवादित चीनी दावों के मुताबिक इस दीवार की कुल लंबाई 21, 200 किलोमीटर मानी जाती है। दीवार का निर्माण कार्य 7 वीं शताब्दी में शुरू हुआ था जो करीब दो सहस्राब्दियों तक चालू रहा।
ग्रेट वॉल ऑफ चाइना का निर्माण संघर्षपूर्ण इतिहास से जुड़ा है। इसे सबसे पहले चीनी महामहिमों ने 7वीं सदी ईसा पूर्व में शुरू किया था, जो अपनी सीमाओं में उत्तर, पूर्व और शीर्ष पर अलग-अलग शासन करते हुए बनवाया गया था। इसके बाद मंगोलियन हुकुमतवाद आया, जिन्होंने इसे और बढ़ाया और उसे भारतीय उपमहाद्वीप तक फैलाया।
ग्रेट वॉल के निर्माण में लगभग तीन शताब्दियों का समय लगा, जिसमें अलग-अलग राज्यों के शासकों द्वारा इसे बढ़ाया गया।
चिचेन इट्ज़ा –
चिचेन इट्ज़ा मध्य अमेरिका के मेक्सिको में स्थित युकाटन प्रायद्वीप पर एक मायन शहर है। यह मानवों द्वारा निर्मित बेहद प्राचीन पुरातत्वीय स्थल है जो अज्तेक सम्राट मोंटेजुमा के समय से जुड़ा हुआ माना जाता है। 9 वीं और 10 वीं huशताब्दी के दौरान यह शहर खूब फला फूला। मायन जनजाति के मुखिया के द्वारा उनके शासन में कई अहम मंदिरों और महत्वपूर्ण स्मारकों का निर्माण कराया गया था।
चिचेन इट्ज़ा के नाम का अर्थ होता है “मुछल-से-स्थान” या “मुछल की शहर”। यह स्थल अज्तेक संस्कृति के समय में बहुत बड़ा शहर था। इसमें बड़े-बड़े मंदिर, प्लाजा, और घरों की एक बड़ी संख्या थी। समय के उस दौर में यह सभ्यता काफी विकसित और समृद्ध थी।
चिचेन इट्ज़ा के निर्माण में प्राचीन माया संस्कृति की कला और स्थापत्य शैली का उपयोग किया गया था। इसका सबसे महत्वपूर्ण भवन प्यरमिड है जो माया संस्कृति में धार्मिक अनुष्ठानों और सामाजिक आयोजनों के लिए उपयोग किया जाता था। इस प्यरमिड के ऊपर एक मंदिर है जो अज्तेक सम्राट मोंटेजुमा को समर्पित है।
मायन जनजाति द्वारा कराए गए निर्माणों में सबसे मुख्य निर्माण पिरामिड एल कैस्टिलो (“द कैसल”) का है। इसकी ऊँचाई करीब 24 मीट (79 फुट) है।
यदि मायन सभ्यता के खगोल विज्ञान का अंदाजा लगाए जाए तो चिचेन इसका प्रमुख उदहारण है। इसकी संरचना में कुल 365 कदम है। हम सभी जानते है कि 365 दिन (एक साल) सौर्य वर्ष में दिनों की संख्या है। समय के उस कालखंड में भी लोग खगोल विज्ञान में काफी कुछ जानकारी रखते थे। सर्दियों और वसंत के दौरान प्रांगण पर सूर्य की छाया सीढ़ियों से सर्फ के आकार में उतरती है।
विज्ञान से हटकर चिचेन इट्ज़ा अमेरिका का सबसे बड़ा त्लाचटली (खेल का मैदान) हुआ करता था। यह ऐतिहासिक जगह संस्कृति, सभ्यता और कला का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जो दुनिया भर के लोगों के लिए रहस्यमय और रोचकता) से भरा हुआ है। इसके अतरिक्त सबसे अजीब बात यह है
कि दुनिया के 7 अजूबो में से यह दूसरे स्थान पर आता है।
पेट्रा, जॉर्डन –
ऊँचे ऊँचे बलुआ पत्थरों की चट्टानों से घिरा हुआ पेट्रा शहर जॉर्डन का सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह जॉर्डन के दक्षिणी हिस्से में स्थित है। Petra से जुड़ी मुख्य मिथक कथा यह है कि यह वही स्थान है जहाँ मूसा ने चट्टान में प्रहार किया था और फिर उसमे से पानी निकलने लगा था। यह शहर कारवां मार्ग से एक छोटी सी घाटी में स्थित है जो नवीनीकृत हो गई है। पेट्रा के इतिहास की शुरुआत 312 ईसा में हुई थी जब यूनानी राजा अलेक्जेंडर ने इसे अपने शासनकाल में जीता था।
इसके बाद अरब जनजाति के नबातियन्स मुसलमानों ने इसे अपने अधिकार में लिया और इसे दोबारा निर्माण किया गया। इनके शासनकाल में यह शहर काफी फला फूला। समय के उस दौर में पेट्रा को मसालों का व्यापारिक केन्द्र माना जाता था। उनके द्वारा बनाया गया जल निकासी प्रबंधन भी कमाल का था, जिसकी मदद से वह लोग अच्छी खेती बाड़ी और फल फूल लगाने में सफल हुए थे।
समय के एक फ़ेर के बाद शहर का पतन दूबारा शुरू हो गया क्योंकि शहर तक आने वाले व्यापारिक रास्तो में बदलाव हो गया था।
इसके बाद, पेट्रा में नवाबों का समय आया, जिसमें इसे सुंदर स्थानों से भर दिया गया । उन्होंने इसे अपने राज्य की राजधानी बनाया और खूबसूरत भवनों का निर्माण किया। 1812 ईसा में, पेट्रा में एक प्रचंड भूकंप आया जिससे यह सुंदर शहर एक बार फिर उजड़ गया। हालांकि कुछ समय उपरांत इसे ठीक कर लिया गया था, लेकिन 1812 से 1929 तक यह उजाड़ अवस्था में ही रहा।
1929 में जॉर्डन में ब्रिटिश आयुर्वेदिक संस्था के एक सदस्य ने पेट्रा की खोज की थी। आज भी इस शहर के बारे में कई महत्वपूर्ण रहस्यमयी सवाल है। बार बार उजड़ कर फिर से खोज लेने वाला यह शहर दुनिया के लिए अजूबा ही है।
ताज महल – भारत
मुहब्बत की मिसाल ताज महल दरअसल लोगों को गुमराह करने के लिए आगरा के ताज महल का यह नाम ठीक है। दुनिया मे ताज महल को मुहब्बत का प्रतीक माना जाता है। लेकिन सच इससे बिल्कुल अलग है। हालांकि ताजमहल की खूबसूरती का वास्तविकता में कोई तोड़ नहीं है लेकिन यह मुहब्बत की निशानी तो बिल्कुल भी नहीं है।
ताजमहल को मुगल साम्राज्य का सबसे सर्वश्रेष्ठ उदाहरण माना गया है। सिर्फ कहने मात्र को यह मुग़लों द्वारा बनवाया गया ऐतिहासिक भवन है जबकि इसे बनाने वाले सभी कारीगर भारतीय थे जिनका धर्म सनातन है। क्रूर मुगल बादशाह शाहजहां ने इसे बनाने वाले सभी कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे ।
मुहब्बत की निशानी की सच्चाई आप इस बात से समझिए की बादशाह की हज़ारों से अधिक रानियाँ थी। इससे भी हवस की पूर्ति ना होने के बाद जाने कितने ही महिला गुलामों को शाहजहां द्वारा प्रताड़ित किया जाता था। ऐसे इंसान से मुहब्बत की कितनी उम्मीद लगायी जा सकती है।
ताजमहल की सुंदरता अविस्मरणीय है, सफेद संगमरमर से बनी यह इमारत दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारत मानी जाती है। भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक ताजमहल दुनिया में सबसे मशहूर पर्यटन स्थलों में शामिल है।
1628 – 58 के दौरान ताजमहल का भव्य निर्माण भारत के उत्तर-प्रदेश राज्य के आगरा शहर में हुआ था। ताजमहल को बनाने में कुल 22 वर्षो का समय लगा था। मुसलमानों द्वारा ऐसी अफवाह फैलाई गयी कि ताज महल को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया। मुमताज अपने चौदह वे बच्चे को जन्म देते समय मृत्यु को प्राप्त हुयी।
माचू पिचू – पेरू
स्वर्ग जैसे खूबसूरत पेरु को हीराम बिंगहैम ने 1911 में खोजा था। माचू पिचू (Machu Picchu) पेरू के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक स्मारक है, जो इंका सभ्यता के दौरान बनाया गया था। यहाँ की स्थापना 15वीं सदी में इंका सम्राट पचाकुतेक (Pachacuti) द्वारा की गई थी। माचू पिचू अद्भुत वास्तुकारी और ऐतिहासिक महत्व के कारण विश्व धरोहर स्थल के रूप में यूनेस्को द्वारा सूचीबद्ध है।
इतिहास:
माचू पिचू इंका साम्राज्य के समय का एक महत्वपूर्ण नगर था, और इसे आमतौर पर सम्राट पचाकुतेक की करीबी कोटि के रूप में स्थापित किया गया था। इस नगर का निर्माण लगभग 1450 ईसवी में शुरू हुआ था, और यहां पर विभिन्न धार्मिक, राजनीतिक और आवासीय संरचनाएँ बनाई गई थीं। माचू पिचू के निर्माण में गढ़े गए पत्थरों को एक-दूसरे के साथ बिना किसी जोड़ने वाले पदार्थ के परिपूर्ण रूप से मेल खाने वाली तकनीक का उपयोग किया गया है।
क्राइस्ट द रिडीमर – रियो डी जनेरियो
क्राइस्ट द रिडीमर (Christ the Redeemer) दक्षिण अमेरिका के ब्राज़ील शहर रियो द जेनेरो में स्थित एक विश्व प्रसिद्ध पर्वतीय मूर्ति है। यह संगमरमर की एक मूर्ति है, जो 30 मीटर (98 फीट) ऊँची है और उसके साथ उसके आधीन में एक ११ मीटर (३५ फीट) ऊँचा पायदान है।
इस मूर्ति का निर्माण 1926 से 1931 तक चला और इसे ब्राज़ीली इंजीनियर हेयडर डा सिल्वा के नेतृत्व में बनाया गया था। इस मूर्ति के निर्माण के लिए खर्चे का आकलन करीब $ 2,50,000 था।
क्राइस्ट द रिडीमर मूर्ति के निर्माण का मुख्य उद्देश्य था कि यह रियो द जेनेरो के लोगों के विश्वास को बढ़ावा दें, जो इस मूर्ति को उनके धर्म और उनकी संस्कृति का प्रतीक मानते हैं। इस मूर्ति को विश्व के साथ ही ब्राज़ील का भी एक प्रतीक माना जाता है।
इस मूर्ति के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं। इस मूर्ति के निर्माण में 220 संगमरमर का इस्तेमाल किया गया था। इस मूर्ति को लगभग 6 साल में पूर्ण रूप से निर्माण किया गया था। इस मूर्ति के उच्चतम बिंदु से रियो द जेनेरो के शहर का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। इस मूर्ति के लिए स्थान चुनने में भी विशेष सावधानी रखी गई थी, क्योंकि इसे भूकंप और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित न होना चाहिए था।
क्राइस्ट द रिडीमर मूर्ति ने विश्व के लोगों के मनोरंजन के साथ साथ धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व रखती है। इस मूर्ति को रियो द जेनेरो में आने वाले दर्शकों के लिए खोला जाता है जो इसे देखने आते हैं। यहां से आप रियो द जेनेरो शहर का बेहतरीन नजारा देख सकते हैं जिसमें ग्रीन फोरेस्ट, समुद्र और शहर के नजारे शामिल हैं।
इस मूर्ति के बारे में यह भी रोचक है कि इसे भारत में कुछ स्थानों पर भी बनाया गया है। उदाहरण कोटा में बने 7 अजूबे।
कालीज़ीयम – रोम, इटली
फ्लेवियन सम्राटों द्वारा बनवाया गया एक विशाल एम्फीथिएटर रोम का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है। समय के उस कालखंड में यह इंजीनियरिंग की सबसे बड़ी मिशाल था। रोम में कोलोसियम का निर्माण पहली शताब्दी में सम्राट वेस्पासियन के आदेश से हुआ था। 189 मीटर लंबाई और 156 मीटर चौड़ाई के साथ यह
Amphitheatre तक़रीबन 50,000 दर्शकों को रखने की क्षमता रखता है। यहां दर्शक कई तरह के खेलों का लुफ्त लेते थे। जिसमें से मुख्य घटनाओ में ग्लैडीएटर द्वारा लड़ी जाने वाले लड़ाई-झगड़े दर्शकों के पसंदीदा कार्यक्रम थे।
माना जाता है कि इस विशाल Amphitheatre में महान ईसाई शेरों से लड़ते हुए शहीद हुए। एक रिपोर्ट के मुताबिक कोलोसियम में लगभग 500,000 लोग मारे गए थे।
आज यह दुनिया के 7 अजूबो में से एक देखने और घूमने योग्य स्थान है।
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