दुख का सामना कैसे करें?( ATYANT DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN?) यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब शायद दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण जवाब हो सकता है। अगर आप दुख को दूर करना चाहते हैं तो आपको खुश रहने की चेष्टा भी त्यागनी होगी। दुनिया का सार्वभौमिक सत्य है कि “हर क्रिया की प्रक्रिया” होती है। इसी प्रकार आप अगर दुख का त्याग करना चाहते हैं तो सुख भी त्यागना पड़ेगा ही।
हाँ अगर आप इनको सहने के लिए अपनी मन की शक्ति बढ़ाना चाहते हैं तो उसके कई उपाय है। आज के इस दौर में व्यक्ति के दुखी होने के मुख्य कारण दो ही हो सकते हैं या तो उसके पास पैसे की कमी है या फिर रिश्ते की।
कठिनाई के समय अक्सर लोग घबराते है या तुरंत इतने निराशाजनक हो जाते है कि उनका आगे का पूरा काम खराब हो जाता है। दुख किसी समस्या का हल नहीं है विपत्तियों आती है और उनसे निपटना आपका जुझारू पन दर्शाता है।
महात्मा बुद्ध के अनुसार
दुख के तीन प्रमुख कारण है : ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
- अज्ञानता
- सुख की कामना
- दुख से दूर रहने की इच्छा
दुख wikipedi का सामना करने के लिए हमें यह ख्याल हमेशा होना चाहिए कि यह महज समय का एक पड़ाव और यह समय भी गुजर जाएगा। इस तरह की मानसिकता के साथ आप दुख का सामना आसानी से कर पायेगे।
हमारा दुख हमे कितना दुखी कर सकता है यह किस पर निर्भर करता है? आपके ऊपर या फिर दुख के ऊपर? असल में यह हमारा मनोचित्त निर्धारित करता है कि हम क्या हैं?
हमारा दुख क्या है और सबसे महत्वपूर्ण हमारी क्षमतायें क्या है। दुख एक ऐसा विषय है जिससे दुनिया का हर जीवित प्राणी भली भांति परिचित हैं।
तो मनुष्य इससे खुद को बचा क्यु नहीं सकता? क्या दुख हमे उठाना ही पड़ेगा? क्या दुखी मन का कोई उपचार नहीं है?
इस तरह के सवाल सिर्फ आपके भीतर एक नकारात्मकता भरते हैं। असलियत यह है कि दुख और सुख हमारे जीवन के असीम अंग है और जिनके बिना जीवन निरर्थक है। ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
ऐसे में अत्यंत दुख का सामना करने के क्या उपाय हो सकते हैं?
उपाय बहुत है परन्तु उसके लिए आपकी इच्छाशक्ति पर आपका पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए। आपकी इच्छायें ही है जो आपको ऐसे मोह, लोभ, लालच के जंजाल में फसा कर आपकी आत्मा को दुख का अनुभव कराती है।
इस विषय में काफी महत्वपूर्ण तर्क है जो निश्चित रूप से आपके लिए बेहद जरुरी है। आप सत्य से परिचित होना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा पढ़िए और समझिए की जीवन में दुख का सामना कैसे किया जा सकता है।
दुख का सामना कैसे करें?
- अपनी भावनाओं को समझें और उन पर नियंत्रण रखें।
- मन को शांत और स्थिर रखने का प्रयास करें।
- उम्मीद ना लगाए।
- अपना कार्य स्वयं करना सीखें।
- घबराए नहीं बेफिक्र रहे।
- अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करे बाकी ऊपर वाले पर छोड़ दें।
- नकारात्मक विचारों को और सोच को नजरअंदाज करे।
- खुद पर काबू रखें।
- दुख को जिन्दगी का एक अंग मान कर आसानी से स्वीकार करें।
- किसी पर विश्वास ना करें आत्मनिर्भर बने।
चिंतित होना और दुखी होना दोनों ही मनुष्य की ऐसी मनोदशा है जो काफी समान है।पर फिर भी यह एक दूसरे से भिन्न है।
मनुष्य दुख का अनुभव ऐसी परिस्थितियों में विशेष करता है जब वह अनुमानित भविष्य की चुनौतियां पर खरा उतरने के लिए तैयार नहीं होता। हालांकि दुखी होने और भी कई कारण हो सकते हैं पर विशेषकर यह कारण प्रायः लोगों में देखने को मिलता है। ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
तो ऐसी स्थिति में आखिर इस दुख का सामना कैसे किया जाए?
ऐसे में आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप किसी आने वाली चुनौतियां के बारे में ज्यादा ना सोचे। एक योजना तैयार करे और अपना सर्वश्रेष्ठ दे। तादाद से ज्यादा सोचना आपको नयी मुश्किलों में डाल सकता है। जिससे आप दुख का अनुभव करते हैं।
दुख कोई भी हो किसी से जाने का दुख या हार जाने का दुख इत्यादि ऐसे में आपको दुख का सामना करने सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि आप अपनी भावनाओं से भली भांति परिचित हो और आपको यह सुनिश्चित भी होना चाहिए कि उस स्थिति में आपको क्या फैसला लेना चाहिए। अपनी आंतरिक शांति को बनाए रखने के लिए मन को किसी और कार्य में उलझा ले।
आप अपनी भावनाओं को समझेंगे तो आप आसानी से किसी भी दुख का सामना कर सकते हैं। जैसे कि अगर आपको कोई बात सुनकर बहुत दुख हुआ कि वह व्यक्ति आपके प्रति गलत भावना रखता है ऐसे में आपको पता होना चाहिए कि आपका भावनात्मक लगाव उस व्यक्ति के प्रति है अगर आप वह नहीं रखेंगे तो वह आपको दुख नहीं पहुंचा सकता।
कहने का सीधा तात्पर्य है कि हर बात का कोई उपचार रखना है मन में हर दर्द की दवा रखना है। यह शुरुआत में मुश्किल है पर यह काम करता है आपको बेफिक्र रहना चाहिए। दुख आपकी खुद की भावनाओ से होता है दूसरे किसी काम या व्यक्ति से नहीं तो अपनी भावनाओं को समझें और जरूरत के मुताबिक उन पर नियंत्रण करना सीखें। ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
खुद को मजबूत बनाए 🙁 DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
हमारी विचलित मानसिकता हमें दुखी रहने पर मजबूर करती है। और जब तक हम हमारे मन को शांत और स्थिर नहीं कर लेते तब तक यह दुख हमे विचलित करता रहता है। बड़े दुख का सामना करने के लिए हमे हमारी मानसिकता को ऐसी मजबूत स्थिति में लाना होगा जहां आपको किसी दुख से इतना प्रभाव नहीं पड़ता जिसमें आपका नुकसान हो। ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
मनुष्य एक भावनात्मक प्राणी है और भावनाओं को काबु करने वाले व्यक्ति योगी कहलाते है। पर आपको कोई वैराग्य धारण नहीं करना है आपको बस अपने मन को नियंत्रित करना है और उसको अपने अनुसार चलाना है। जब हमारा नियंत्रण हमारी भावनाओं पर होगा तो दुनिया की कोई ताकत हमें दुखी नहीं कर सकती है।
खुद को मजबूत बनाने के लिए निम्न उपाय करने चाहिए :
- मोह ना करें।
- ज़रुरत के संबंध बनाए।
- मन को काबु में रखे।
- इच्छाओं का हनन करे।
- संतुष्ट रहना सीखें।
- अपने प्रयासों से सफलता पाए।
- सच बोलना सीखें।
- ध्यान लगाए।
- एक लक्ष्य निर्धारित करे। और उसपर कार्य करें।
- संघर्षशील बने। हार ना माने।
- अगर आप जिवित है तो यह आपकी बड़ी उपलब्धी है।
मजबूत इच्छाशक्ति का निर्माण करे :
इच्छाओं का क्या प्रकोप है उम्मीद है आप इस बात से अनभिज्ञ नहीं होंगे। मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी अगर कुछ है तो वह उसकी इच्छा ही है। इच्छाएं मनुष्य को बदल देती है। इच्छायें आपके भीतर लालच पैदा करती है। परंतु हम पूरा दोष सिर्फ इच्छाओं पर नहीं थोप सकते आखिरकार इच्छायें तो अच्छी-बुरी दोनों ही प्रकार की होती है। मुद्दा यह है कि आखिर यह इच्छाएं हमारे दुख के लिए कैसे जिम्मेदार होती हैं?
आपकी इच्छा ही है जो आपको प्रगतिशील बनाती है।
और आपकी इच्छाओं की बदोलत ही आप कई उपलब्धियां पाते हैं और अनेकों अच्छे कार्य करते हैं। ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
परंतु समस्याओं की शुरू बात तब होती है जब आप उन पर अपना काबू नहीं कर पाते, आप विचार नहीं कर पाते कि क्या सही और गलत है। और आप अपनी इच्छाओं के चलते कुछ ऐसे कदम उठा लेते है जो बाद में आपके लिए दुख का कारण बनती है। ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
इच्छाशक्ति के मजबूत होने का प्रभाव यह होगा कि आप जल्दी से प्रभावित होकर फ़ैसले नहीं लेंगे और जब आप ऐसा करेंगे तो ऐसी स्थिति ही पैदा नहीं होगी जो दुख का कारण बने।
दुखी रहने की इच्छा ही हमे दुख देती है। हम खुद दुख को अपने भीतर जागते है और जब तक हम ऐसा नहीं करते तब तक हमे कोई दुख महसूस नहीं होता। ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
आपने कई बार अनुभव किया होगा कि आप चाहें तो ज्यादा रो सकते है और आप चाहें तो रोते समय खुद को काबू में कर के मुस्कुरा भी सकते हैं। दुख चाहे कितना भी गहरा क्यूँ ना हो पर खुद को संभालने की गुंजाइश हमेशा रहती है।
हमारी इच्छा-शक्ति हमे ख़ुद के अनावश्यक विचारों से बचाती है।
अचानक आयी विपत्तियों का सामना कैसे करें?
- लंबी गहरी साँस ले और अपने आगे की योजना पर विचार करना शुरू कर दें।
- मन को शांत रखने की कोशिश करें।
- व्यस्त हो जाए।
- खुद को अकेला महसूस ना करने दे।
दोस्तों किसी करीबी की मौत हो जाए तो दुख स्वाभाविक बात है परन्तु हमे यह याद रखना चाहिए कि मौत तो सबको ही आनी है। ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
कुदरत का प्रहार सबको झेलना है किसी को पहले किसी को बाद में। मन को सांत्वना दे और खुद को मजबूत करके आगे बड़े। जीवन इसी का नाम है समस्या है तो ही समाधान है। दुख है तो सुख है।
यह समय भी गुजर जाएगा :
यह स्लोगन अपने आप में दुनिया का सबसे सुकून देह संदेश देता है। दुख चाहे जितना हो पर वह रुकने वाला नहीं है। सुख चाहे कितना भी हो रुकने वाला नहीं है। हमारी आम जिंदगी में लाखो समस्या आती है और हमे उन्हें लेकर दुखी होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यही तो कुछ ऐसी भावनायें है। ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
जो आपको जिंदा बनाती है इंसान बनाती है। ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
अगर आप दुख का अनुभव नहीं करते तो स्वाभाविक है कि सुख भी आपके लिए कोई मायने नहीं रखेगा।
जिंदगी की भलाई इसी में है कि दुख सुख का जोड़ा हमेशा बना रहे वर्ना मुर्दा और जिंदा में कोई खास फर्क नहीं रहेगा।
समय चाहे कितना कठिन क्यु ना हो आपको उसको स्वीकार करना चाहिए और यकीन मानिये जितने आपके दुख है उतना ही सुख का भाग आपको मिलेगा। ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
समय के सामने कुछ नहीं टिकता फिर दुख का क्या वज़ूद है। जब भी दुखी मन हो आप यह विचार जरुर कर ले कि “यह समय भी गुजर जाएगा”।
डर से डरना छोड़ दें और सकारात्मक रवैय्या अपनाए :
अपने आंतरिक डर को खोज लेना एक बहुत बडी उपलब्धि साबित हो सकती है अगर आप उस डर को खोज कर खत्म करने की कोशिश करते हैं तो। आपका सवाल होगा कि आखिर हम डर को खत्म कैसे कर सकते हैं? हमारा डर दिमाग के उस हिस्से में जन्म लेता है जो हिस्सा हमे जोखिमों से बचाने के लिए मददगार सिद्ध होता है। ऐसे में हमारा डर मात्र ओवर थिंकिंग का नतीजा है। ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
आप ज्यादा सोचना छोड़ डर भी कम होने लगेगा।
फिर भी अगर आप इसमें सफल नहीं होते है तो आप उस डर को खींच कर अपने सामने मन में बार बार लाए और विचार करे और सवाल करे कि आखिर यह हमारा ज्यादा से ज्यादा क्या नुकसान कर सकता है।
और आप उसके हर नुकसान को झेलने के लिए तैयार हो जाए। जैसे ही आप ऐसी मानसिकता बनाने में सफल होंगे आपको आपके डर से छुटकारा मिल जाएगा।
जब लोग दुखी होते है उसके पीछे कोई ना कोई डर जरूर होता है।
सुख दुख बस एक छोटा हिस्सा है जिंदगी का मजा ले :
जिंदगी के अंतरंगी अंदाज के ये रंग है सुख दुख ऐसे मामूली चीजों के लिए आप जिंदगी का मजा लेना मत छोड़िए। जाने कितने दुख आते हैं और चले जाते हैं। हमारी जिंदगी को रोमांचक बनाने के लिए इनका होना भी बेहद जरूरी है।
आप दुखों को ज्यादा पर्सनल ना ले बस जिंदगी का छोटा हिस्सा मान कर स्वीकार करें।
इंसान को जिन्दगी एक मिलती है और दुख सुख तमाम मिलते है इसलिए आपका दुख कभी भी आपकी जिंदगी से ज्यादा महत्व नहीं रखता। संघर्षशील बने और जिंदगी के रोमांच को महसूस करें। ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
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निष्कर्ष :
दुख अटल हैं हमारा इससे बचना संभव नहीं है परंतु हम अपने बुद्धी और विवेक से इसको और आसान बना सकते है। हम खुद को व्यस्त रखकर। कम सोच कर अपने दुखों का सामना आसानी से कर सकते हैं।
दुख ही सुख की चाबी है इसलिए हमेशा याद रखे कि अगर आप दुखी है तो अगले पल आपको 100% सुख मिलने वाला है। ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
किसी के मरणोपरांत हिन्दू धर्म में 13 दिन तक कई तरह के अनुष्ठान चलते रहते हैं। जिससे परिवार उसमे व्यस्त रहता है और संकट की घड़ी निकल जाती है। सायद यह अनुष्ठान ऐसे ही किसी बात को सुनकर कराये जाते होंगे।
कहने का तात्पर्य है कि व्यस्त रहकर हम खुद को हर किसी से दुख से भी निजात पाने में सक्षम है।
सुख दुख जीवन का हिस्सा है जीवन का आनंद लेना आपका मुख्य काम है। यह शरीर जब तक है हमे दुख सुख की चिंता किए बिना अपने मूल कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। ( DUKH KA SAAMNA KAISE KAREIN)
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