ISRO VS NASA मानवों का जिज्ञासु स्वाभाव, सम्पूर्ण मानव जाति के लिए वरदान से कम नहीं है। इंसानी मन की जिज्ञासा ने कई बड़े सवाल खड़े किए जैसे कि पृथ्वी से आगे क्या है? ब्रहमांड क्या है? और सोलर सिस्टम को जानने की जिज्ञासा के aबलबूते पर NASA और ISRO जैसी बड़ी एजेंसियां का निर्माण हुआ ।
अंतरिक्ष को जानने की इच्छाओं के कारण ही दुनिया के अलग अलग देशों ने अपनी खुद की स्थानीय स्पेस एजेंसियों का संचालन करना शुरू कर दिया ।
ISRO और NASA वैज्ञानिक अनुसंधान के एजेंट की भाँति कार्य करते हैं। आज हम ISRO और NASA के बारे में करीब से जानेंगे और समझेंगे कि किस तरह ISRO और NASA विज्ञान जगत में अपनी अपनी भूमिकाओं को अदा करते है।
इसरो (ISRO) –
Isro (भारतीय सरकार द्वारा संचालित)
भारतीय प्राचीन काल से ही अंतरिक्ष विज्ञान में दिलचस्पी दिखाते आए है इसीलिए 1969 में विक्रम साराभाई के नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) का निर्माण हुआ । वर्तमान में ISRO दुनिया की सबसे बड़े स्पेस ऑर्गनाइजेशन में 6वें स्थान पर है। ISRO भारत सरकार का स्वायत्त अधिकारी संगठन है, जो भारत में होने वाले सभी अंतरिक्ष कार्यक्रमों को निर्देशित करता है।
ISRO भारत के विभिन्न अंतरिक्ष उपयोगों के लिए उपग्रह विज्ञान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष विज्ञान, मॉडर्न AI टेक्नोलॉजी, Atmospheric साइंस और physics जैसे विषयो में रिसर्च करता है। ISRO के अंतर्गत भारतीय Satellite production, projection , kingcraft और अन्य अंतरिक्ष कार्यों को संचालित किया जाता है।
इसरो (ISRO) NASA, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और रूस के राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी (Roscosmos) जैसी तमाम महत्वपूर्ण अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ सहयोग भी करता है।
नासा (NASA) –
नासा (NASA) अमेरिका की सबसे बड़ी और प्रख्यात स्पेस एजेंसी है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को निर्देशित करता है। NASA का मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. में स्थित है। NASA के अंतर्गत स्पेस साइंस , सैटलाइट , स्पेसशिप , फ्लाइट साइंस , physics , भूगोल, जैविक विज्ञान, उर्वरक विज्ञान, रोबोटिक्स और वायुमंडल विज्ञान जैसे क्षेत्रों में रिसर्च किया जाता है।
इन सभी उपलब्धियों के अलावा NASA स्पेस में उपयोग होने वाली हर छोटी बड़ी वस्तु का निर्माण खुद की करता है। NASA विश्व के अन्य महत्वपूर्ण अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ भी सहयोग करने में भी पीछे नहीं रहता।
NASA द्वारा यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA), रूस के राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी (Roscosmos) और जापान की स्पेस एजेंसी (JAXA) जैसी तमाम बड़ी स्पेस एजेंसियों का सहयोग भी किया जाता है ।
क्या ISRO NASA से बेहतर है?
क्या ISRO निकट भविष्य में NASA के बराबर होगा? इस तरह के तमाम सवालों के जवाब हमे तभी मिल सकते हैं, जब NASA और ISRO की भूमिकाओं की तुलना की जाएगी। इन सभी सवालों के जवाब देने से पहले
हमे सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक बार यह विचार जरूर करना चाहिए कि क्या वास्तविकता में ISRO की NASA से तुलना करना सही है?
ISRO और NASA दोनों अपने-अपने क्षेत्र में बहुत सफल स्पेस एजेंसी हैं। हालांकि, इनका एक दूसरे से बेहतर होने के बारे में बोलना ठीक नहीं होगा। दोनों संगठनों के पास अपनी-अपनी ताकतें और क्षमताएं हैं, जो उन्हें अपने मकसदों को हासिल करने में सक्षम बनाती हैं।
NASA दुनिया का सबसे बड़ा और प्रभावशाली स्पेस ऑर्गनाइजेशन है। नासा स्पेस शिप विकसित करने और स्पेस रिसर्च के क्षेत्र में नई टेक्नोलॉजी का विकास करने के लिए जाना जाता है। साथ ही, ISRO भी अपनी अहम सफलताओं के लिए जानी जाती है और स्पेस रिसर्च , सैटलाइट और रिमोट एनालिसिस के क्षेत्र में अपनी सफलताओं को दर्शाती है।
इसलिए, इस बात को निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि ISRO NASA से बेहतर है। दोनों ऑर्गनाइजेशन अपने क्षेत्र में बेहतरीन हैं और दोनों ने अपने-अपने क्षेत्र में अधिकतम सफलताएं हासिल की हैं।
ISRO vs NASA –
ISRO और NASA में चलने वाले स्पेस प्रोग्राम अलग अलग होते हैं। इनके स्पेस प्रोग्राम्स के अलग अलग उद्देश्य और ध्येय होते हैं। यही कारण है कि , दोनों एजेंसियों के बीच कभी कोई निर्णयात्मक विरोध नहीं होता है। दोनों एजेंसियों के कई सारे Allied Projects होते हैं । चंद्रयान मिशन और मंगलयान मिशन, ऐसे दो मिशन है जो दोनों एजेंसियों के सहयोग से संभव हुए हैं। इसलिए, इसरो विरुद्ध नासा की कोई विशेष विवादित बात नहीं है।
कई बार हम सामने दिखने वाले अहम पहलुओं को भी भूल जाते है। NASA सिर्फ स्पेस रिसर्च में काम नहीं करता बल्कि नासा Space + Aeronautics है। जबकि ISRO सिर्फ स्पेस रिसर्च से जुड़े कार्यों तक ही सीमित है।
ISRO और NASA दोनों भिन्न अंतरिक्ष एजेंसियां हैं जो अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों में अलग-अलग तरीकों से काम करती हैं। कुछ मुख्य अंतर हैं जो इन दोनों को अलग करते हैं:
नासा (NASA) | इसरो (ISRO) | |
बजट – | अमेरिकी सरकार द्वारा वर्तमान में NASA का बजट करीब 17 बिलियन डॉलर है, जो अधिकतम 43 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाता है। | ISRO को संचालित करने के लिए भारतीय खजाने के 1.2 बिलियन डॉलर का खर्चा आता है। |
मिशन – | Earth Observing System (EOS), Moon, Mars, Maven, Lander, tess, iris, New star इत्यादि | चंद्रयान, मंगलयान, गगनयान । |
सोलर सिस्टम अन्वेषण – | चंद्रमा पर मानव जाति को पहली बार उतार मंगल ग्रह पर रोबोट लैंडिंग (आत्मा, अवसर, फोनिक्स, जिज्ञासा) बुध, शुक्र, शनि, बृहस्पति, यूरेनस, नेप्च्यून, प्लूटो और उससे आगे के अंतरिक्ष यान (कैसिनी, नए क्षितिज, जूनो, मल्लाह, मेरिनर और बहुत कुछ) | चंद्रयान-I चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है। मंगलयान मंगल ग्रह की ऑर्बिट में है। |
सैटेलाइट | ऑर्बिट में चक्कर लगा रहीं लगभग 50% सैटेलाइट नासा द्वारा संचालित है। | जब कि ISRO के द्वारा सिर्फ 78 सैटेलाइट लॉन्च की गयी, जिनमें से कुछ रिटायर्ड हो गयीं है। |
मैनपावर | वर्तमान में NASA में करीब 170000 व्यक्ति काम करते हैं। | ISRO में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या मात्र 17000 है। |
स्थापना वर्ष | 1958 | 1969 |
मुख्य उदेश्य | संपूर्ण विश्व की वैज्ञानिक रिसर्च और तकनीकी खराबियों को ठीक करना है। | ISRO का मुख्य उद्देश्य भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को बढ़ावा देना होता है। |
इसरो (ISRO) का मुख्य उद्देश्य भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को बढ़ावा देना है, जबकि नासा का मुख्य उद्देश्य सैकड़ों वैज्ञानिक अनुसंधान मिशनों को संचालित करना है, जो अंतरिक्ष की खोज, उपग्रह निर्माण और नई तकनीकों का विकास जैसे क्षेत्रों में काम करते हैं। |
ISRO और NASA दोनों ही दुनिया की बड़ी स्पेस एजेंसियों में से एक हैं, लेकिन दोनों के काम करने के ढंग और संदर्भ अलग-अलग होते हैं।
ISRO अपने स्वदेश में विकसित किए गए सभी सैटलाइट के लिए जिम्मेदार होता है, जबकि NASA विश्व के कुछ सबसे स्पेशल और महत्वपूर्ण सैटेलाइटों को संचालित करने के लिए जिम्मेदारी उठाता है।
ISRO द्वारा लॉन्च किए गए सफल सैटेलाइटों में से कुछ इस प्रकार है :
- Chandrayaan-1
- Mars Orbiter Mission
- IRNSS
जबकि ISRO पूरी दुनिया में कम तकनीकी व्यवस्था और बजट होने के बावजूद भी अपनी सफलताएं के लिए भी प्रशंसा के लायक हैं।
NASA के द्वारा लॉन्च किए गए कुछ सैटेलाइटों में निम्न शामिल हैं:
- Apollo Moon Landing Missions
- Voyager 1 and 2
- Hubble Space Telescope
- Curiosity Rover
- Perseverance Rover|
दोनों एजेंसियों के सैटेलाइटों के कार्य अलग अलग होते हैं, इसलिए उनकी तुलना करना बहुत मुश्किल होता है। हालांकि, दोनों एजेंसियों ने अपने क्षेत्र में विज्ञान और तकनीकी क्षमताओं में अद्भुत सफलता हासिल की है।
क्या ISRO निकट भविष्य में NASA के बराबर होगा?
ISRO एक बहुत ही सफल अंतरिक्ष संगठन है और वे अपने स्पेस प्रोग्राम के माध्यम से विश्व में अपनी जगह बना रहे हैं। हालांकि, यह कहना ठीक नहीं होगा कि वे निकट भविष्य में NASA के बराबर हो जाएंगे।
NASA दुनिया का सबसे बड़ा स्पेस ऑर्गनाइजेशन है जिसके पास बहुत अधिक बजट और उच्च तकनीकी सुविधाएं हैं जो उन्हें उनके स्पेस प्रोग्रामों को बेहतर ढंग से आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। NASA अपनी विशेष स्पेस परियोजनाओं के अतरिक्त दुनिया के अन्य स्पेस ऑर्गनाइजेशन के साथ सहयोग भी करते हैं।
ISRO को भारत के वैज्ञानिक एवं अंतरिक्ष प्रेमी लोगों के बीच बहुत सराहा जाता है। भारत में इसरो (ISRO) की उच्च मान्यता है और वे भारत के लिए अंतरिक्ष प्रोग्राम के क्षेत्र में बहुत कुछ कर रहे हैं। वे अपने ऑर्गनाइजेशन को और अधिक बेहतर करने के लिए प्रयासरत हैं।
इसलिए, दोनों स्पेस ऑर्गनाइजेशन के बीच एक सीधी तुलना करना पूरी तरह निराधार होगा क्योंकि दोनों के पास अपनी अलग अलग खासियत हैं।
पहली satellite – ISRO vs NASA
दुनिया का पहला सैटेलाइट अमेरिकी ऑर्गनाइजेशन NASA द्वारा भेजा गया था। सभी लोग इस सैटेलाइट को “स्पूटनिक-1” के नाम से जानते हैं।
भारत का पहला सैटेलाइट “आर्यभट्ट” था, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा बनाया गया था। यह संगठन अपना पहला उपग्रह 19 अप्रैल, 1975 को भेज PSYAथा।
ISRO की NASA Budget तुलना
ISRO के बजट और NASA के बजट में अंतर होता है। निर्धारित अवधि के लिए तुलना करने के लिए, दोनों एजेंसियों के विभिन्न अंतर्गत कार्य और परियोजनाएं होती हैं।
2019-20 वित्त वर्ष के लिए, ISRO का बजट 12,473 करोड़ रुपये था जो लगभग 1.75 बिलियन डॉलर के बराबर होता है। वहीं, 2019 से 2020 के बीच NASA का बजट तक़रीबन 22.6 बिलियन डॉलर था।