द्रौपदी  महाभारत दुनिया के सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक ग्रंथों में से एक है। इस महाकाव्य में बहुत सी ऐसी कहानी है जो आज भी कई लोगों के लिए रहस्य बनी हुई है।  ऐसी ही एक कहानी थी द्रौपदी की, एक महिला पात्र जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। महाभारतकालीन सत्यों के बारे में हमने आपको पहले भी बताया है। (द्रौपदी के 10 अनजाने रहस्यमयी सच)

किस तरह दुनिया में आज वह सबूत मिल रहे हैं, जो यह साबित करते है कि महाभारत कोई काल्पनिक कथा नहीं बल्कि शतप्रतिशत सत्य घटना थी। इसी आधर पर आज हम आपको ग्रंथ महाभारत के एक सबसे महत्त्वपूर्ण किरदार या देवी द्रौपदी के सत्य की विजय बताने जा रहे है। 

यह लेख पढ़कर और यह राज जानकर बड़ी हैरानी होगी इसी के साथ द्रौपदी के बारे में आपकी सोच में बन रहीं सारी असत्य कल्पनाएं भी समाप्त हो जाएगी और सारी आशंकाएं भी दूर हो जाएगी। 

सबसे पहले हम द्रौपदी के बारे में जान लेते हैं। 

द्रौपदी कौन थी? 

द्रौपदी के रहस्य

द्रौपदी राजा द्रुपद की बेटी थी, जो साक्षात इंद्राणी के अंश का अवतार थी। द्रौपदी के अन्य नाम पांचाली और कृष्णा है। द्रौपदी के जन्म के बारे में बड़ी लोक कथाएं प्रचलित हैं लेकिन उनके जन्म के बारे में मूल सत्य यह है कि राजा द्रुपद ने गुरु द्रोणाचार्य से अपना प्रतिशोध लेने के लिए यज्ञ किया और उसी यज्ञ से उन्हें पुत्री कृष्णा (द्रौपदी) और पुत्र धृष्टद्युम्न की प्राप्ति हुयी थी।  बाद में युवा अवस्था में उनका विवाह एक शर्त के अनुसार रखा गया था। शर्त थी जो सिर्फ पानी में देखकर मछली की आँख पर निशाना लगा देगा उसी से द्रौपदी विवाह करेगी। 

द्रौपदी ने पाँच पतियों से विवाह क्यों किया? 

द्रौपदी ने पाँच पतियों से विवाह क्यों किया? 

सौभाग्य से उसी समय पांडव यानी कि पांचो भाई – युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव अपना अज्ञातवास काट रहे थे। उसी समय वह अपनी माता कुंती से आशीर्वाद लेकर भोजन की तलाश में निकले थे। और किसी तरह वो उस महोत्सव में पहुंच गए जहा उन्होंने देखा कि बड़े बड़े महावीर और दुष्ट मानसिकता वाले लोग प्रतियोगिता जीतकर द्रौपदी को पाना चाहते थे। 

द्रौपदी की सुंदरता का कोई वर्णन नहीं किया जा सकता क्योंकि उनकी सुंदरता अद्वितीय है। अर्जुन ने प्रतियोगिता जीतकर द्रौपदी से विवाह किया। लेकिन वह जैसी ही जंगल में अपनी कुटिया में गए तो उनकी माँ पूजा कर रहीं थीं उन्हें अंदाजा नहीं था कि कि अर्जुन शादी करके आया होगा। अर्जुन ने अपनी माँ से कहा कि देखो ” माँ में क्या लाया हूँ!!” । 

इसपर माता कुंती ने पूजा में विघ्न ना हो इसलिए सिर बिना घुमाएं, बिना देखे कह दिया कि जो भी लाए हो पांचो भाई आपस में बराबर बराबर बांट लो। इतना सुनकर सबसे पैरो जमीन खिसक गयी,। बाद में उन्हें जब सच पता चला तो यह सब उनके लिए भी यह पाप हो गया। बाद में राजा द्रुपद के यहां सभी महान गुरुओं और इस्ट को बुलाया गया। 

जहां गुरुओं की आज्ञा के अनुसार इसे नियति का फैसला माना गया और द्रौपदी को समझाया गया कि इसके पीछे विशेष कारण हीं और आपको यह विवाह स्वीकार करना चाहिए बाद में द्रौपदी ने विवाह पांचो पांडवों से स्वीकार किया और वही उन्हें पांचाली नाम मिला। 

इस तरह द्रौपदी पांचाली यानी कि पांच पत्तियों वाली इकलौती पत्नी बन गयी। हालांकि शुरुआत में द्रौपदी तैयार नहीं थी पर बाद में गुरुओं का आशिर्वाद मान कर उन्होंने यह स्वीकार किया। द्रौपदी के पांचो पांडवों से एक एक पुत्र हुआ। द्रौपदी के पाँच बेटे थे;  प्रतिविंध्य, सुतसोम, श्रुतकर्मा, सतनिका और श्रुतसेन।

अब हम द्रौपदी से जुड़े कुछ अन्य अनजाने तथ्यों की जानेंगे – 

द्रौपदी का जन्म किस लिए हुआ? 

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि द्रौपदी के जन्म के बारे में भी एक लोक कथा प्रचलित है। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि द्रौपदी के जन्म के बारे में भी एक लोक कथा प्रचलित है। असल में शुरुआत में जब द्रौपदी का जन्म नहीं हुआ था उसी समय से गुरू द्रोण और राजा द्रुपद में काफी संग्राम हुआ और गुरु द्रोण ने अर्जुन से राजा द्रुपद को हरवा दिया था। विवाद शुरू हुआ राज्य की सीमा को लेकर, पांचाल के राजा द्रुपद को द्रोण की ओर से पांडव राजकुमार अर्जुन ने हराया था, जिन्होंने तब उनके राज्य का आधा हिस्सा ले लिया था।

इसी बदले को पूरा करने के लिए द्रोपदी का जन्म हुआ था। द्रौपदी अपने भाई धृष्टद्युम्न के बाद यज्ञ की जलती हुयी अग्नि से एक बेहद सुंदर काली चमड़ी वाली युवती के रूप में प्रकट हुई थीं ।  जब वह आग से प्रकट हुई, तो एक स्वर्गीय आवाज (आकाशवाणी) ने कहा कि वह भारतवर्ष के धर्म के भविष्य में एक महान बदलाव लाएगी। बाद में यही बात सत्य निकली।   (द्रौपदी के 10 अनजाने रहस्यमयी सच)

राजा द्रुपद के लिए द्रौपदी एक अवांछित संतान थी। चुकीं यह वह अपनी मां के गर्भ से पैदा नहीं हुई थी इसलिए किसी को उनसे इतना खास लगाव भी नहीं था ।  वह  आग से एक वयस्क के रूप में पैदा हुई थी, जिसमें उनके बचपन या किसी के पालन-पोषण की कोई सराहना नहीं की जा सकती ।

द्रौपदी के नाम – 

द्रौपदी के कई नाम है और उनके नामों की खास बात यह है कि यह विशेष नाम उनकी विशेष विशेषताएं बताते हैं।  द्रौपदी महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक है।  बाकि के किसी भी महाकाव्य के पात्रों की तरह, द्रोपदी को भी कई नामों से जाना जाता है और उसका हर नाम उसके अलग-अलग गुणों में से एक को परिभाषित करता है।  (द्रौपदी के 10 अनजाने रहस्यमयी सच)

द्रोपदी के नाम इस प्रकार थे – 

  • नित्ययुवनी – अर्थार्त जो हमेशा जवान (युवा) रहे और जिसका कभी बुढ़ापा ना आए ।
  • यज्ञसेनी – यज्ञ की अग्नि से उत्पन्न होने वाली। 
  • पांचाली – पांचाल राज्य की राजकुमारी। 
  • सैरंधरी – एक विशेष नौकरानी (अज्ञातवास के दौरान उनका बहुरूपिया किरदार) 
  • मालिनी – माला बनाने वाली।
  • कृष्णा – अर्थार्त काले रंग के कारण शुद्ध त्वचा के लिए प्रतिनिधित्व करते हैं, पवित्रता, सम्मान। 

कुंती का दुःख और कृष्ण – 

कुंती यह सोचकर मन ही मन बेहद दुख उठाती थी कि उन्होंने अपनी पुत्री समान बहू को पाँच पुरुषों से विवाह करने पर मजबूर कर दिया। लेकिन यह यह द्रौपदी की नियति थी कुंती की गलती नहीं।  ऐसे ही एक बार जब कुंती बहुत दुःख महसूस कर रहीं थीं और उसी समय भगवान श्री कृष्ण प्रकट हुए और उन्होंने कुंती को समझाया कि सत्य क्या है। 

श्री कृष्ण ने कहा कि द्रौपदी का पाँच पुरषों से विवाह होना नियति का हिस्सा था। इसमे तुम्हारा कोई दोष नहीं है कुंती!! उन्होंने कहा कि द्रौपदी ने पिछले जन्म में घनघोर तपस्या की थी और उन्होंने ईश्वर से वरदान माँगा की उसे पाँच गुणों वाला पति चाहिये। चुकीं वह पाँच गुण किसी एक पुरुष में संभव नहीं थे इसलिए उसे पाँच पति प्राप्त हुए। द्रौपदी ने एक ऐसे पति की कामना की थी जो सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर, धार्मिकता, सबसे मजबूत, आकर्षक, और धैर्य का निर्धारक प्रतीक हो।  (द्रौपदी के 10 अनजाने रहस्यमयी सच)

इन सभी गुणों के साथ किसी पुरुष को ढूंढना असंभव था इसीलिए उसे अगले जन्म के लिए पाँच पतियों का आशीर्वाद मिला था। और इस प्रकार कृष्ण ने कुंती का दुःख दूर कर दिया। 

पांडवों के लिए द्रौपदी की स्थिति –

 

द्रौपदी का कुँवारापन

IMAGE CREDIT : vedicfeed.com 

जैसा कि हमने आपको शुरुआत में बताया था कि द्रौपदी पांचों पांडवों से विवाह करने को तैयार नहीं थी। लेकिन बाद में उन्होंने पांडवों से एक शर्त रखी उन्होंने कहा कि पांडव किसी और स्त्री को पत्नि के रूप में इंद्रप्रस्थ नहीं ला सकते। यानी कि वह कभी भी अपने घर को किसी अन्य महिला के साथ साझा नहीं करेगी। जिसका अर्थ था कि पांडवों को अपनी अन्य पत्नियों को इंद्रप्रस्थ लाने का कोई अधिकार नहीं था। इसी वज़ह से पूरे महल में पांडवों की पत्नि के रूप में सिर्फ द्रौपदी ही थी।   (द्रौपदी के 10 अनजाने रहस्यमयी सच)

द्रौपदी का कुत्तों को श्राप – 

विवाह के बाद जब द्रौपदी पांडवों के साथ अपने निवास स्थान पर आयी तब उन्होंने पांडवों से एक और शर्त रखी उन्होंने कहा कि उनके साथ एक समय में सिर्फ एक ही व्यक्ति साथ रह सकता है। 

अर्थात उन्होंने कहा कि वह एक समय में एक पांडव के साथ रहेगी जो भी पाण्डव उनके कमरे में आएगा वह अपने जुते बाहर उतार कर आयेगा ताकि बाद में कोई अन्य पांडव आए तो उसे बाहर से ही पता लग जाये कि कमरे में पहले से ही कोई और है। द्रौपदी ने यह प्रतिज्ञा की पांडवों में से जो भी इस नियम को तोड़ेगा उसे जंगल में जंगल में रहना पड़ेगा। 

एक बार युधिष्ठिर और द्रौपदी कमरे में थे और युधिष्ठिर ने अपने जुते कमरे के बाहर उतारे थे लेकिन कहीं से एक कुत्ता आया और उसने युधिष्टिर के जुते वहां से कहीं और हटा दिए। दुर्भाग्य से उसी समय अर्जुन द्रौपदी के कमरे में आ रहे थे और उन्होंने कमरे के बाहर किसी जुते नहीं देखे तो वह कमरे के अंदर चले गए।   (द्रौपदी के 10 अनजाने रहस्यमयी सच)

अंदर पहले से ही युधिष्ठिर और द्रौपदी मौजूद थे जिससे द्रौपदी की प्रतिज्ञा टूट गयी और अर्जुन को जंगल में जाकर रहना पड़ा। इसी बात का पता बाद में द्रौपदी को पता चला तो उन्होंने कुत्तों को श्राप दिया कि आज से दुनिया तुम्हें सार्वजनिक रूप से मैथुन करते हुए देखेगी तब तुम्हें लज्जा का एहसास होगा। और माना जाता है तभी से कुत्ते कहीं भी सहवास करने लगते है। 

माँ काली का अवतार – 

कहीं कहीं मान्यता है कि द्रौपदी काली का रूप थी। भारत के दक्षिण भारत क्षेत्र में यह एक आम धारणा है कि द्रौपदी महा काली का अवतार थीं।  माना जाता है कि उनका जन्म सभी अभिमानी राजाओं को नष्ट करने के लिए और भगवान कृष्ण की सहायता के लिए हुआ था। इसलिए उन्हें भाई-बहन माना जाता है, हालांकि द्रौपदी का जन्म अग्नि से हुआ था।  (द्रौपदी के 10 अनजाने रहस्यमयी सच)

द्रौपदी के भिन्न भिन्न अवतार – 

द्रौपदी के कई अवतार हुए जिनमे से नारद पुराण और वायु पुराण के अनुसार, द्रौपदी किसका संयुक्त अवतार है यह नीचे बताया गया है ;

  • भारती (वायु की पत्नी)
  • देवी श्यामला (धर्म की पत्नी)
  • पार्वती (शिव की पत्नी)
  • शची (इंद्र की पत्नी)
  • उषा (अश्विन की पत्नी)

द्रौपदी का कुँवारापन एक रहस्यमयी वरदान – 

माना जाता है कि द्रौपदी पंचकन्याओं में से एक हैं, अर्थात जिन्हें पांच कुंवारी (Virgin) के रूप में जाना जाता है।  द्रौपदी अपने अगले पति के पास जाने से पहले अपने कौमार्य (वर्जिनिटी) और पवित्रता को वापस पाने के लिए  आग के ऊपर से चलती थी।

 इससे पहले इस तरह के नियमों को कभी नहीं माना गया था।  हालांकि पांडवों की अन्य पत्नियां भी थी। लेकिन ये पत्नियां अपने माता-पिता के साथ रहती थीं और वे चार साल में अपनी पत्नियों से मिलने उनके पास जाते थे।  (द्रौपदी के 10 अनजाने रहस्यमयी सच)

द्रौपदी की मृत्यु और अर्जुन के प्रति अधिक प्यार – 

श्री कृष्ण ने जब अपनी देह त्यागी उसके बाद से पांडवों और द्रौपदी के भीतर जीवन की इच्छा समाप्त हो गई थी और वह इस मृत्युलोक से छुटकारा चाहते थे। इसीलिए उन्होंने हिमालय के मार्ग से स्वर्ग जाने का रास्ता चुना। 

स्वर्ग जाने के लिए पांच पांडव और द्रौपदी के साथ एक कुत्ता भी साथ निकला। जब वह स्वर्ग की प्राप्ति के लिए हिमालय पर्वत चढ़ रहे थे उसी समय यह तथ्य सामने आया।   (द्रौपदी के 10 अनजाने रहस्यमयी सच)

जब द्रौपदी और पांडवों ने स्वर्ग की ओर अपनी यात्रा शुरू की और लगातार चलते हुए हिमालय के पास पहुंच गए।  इस पर्वत को पार करने के बाद उन्होंने ‘सुमेरु पर्वत’ देखा।  जब वे सुमेरु पर्वत को पार कर रहे थे तो द्रौपदी के पैर स्तब्ध रह गए और वह पर्वत से गिरकर मर गई।

द्रौपदी के मरने के बाद भीम ने युधिष्ठिर से सवाल किया कि भ्राता द्रौपदी हमारे साथ स्वर्ग क्यों नहीं जा सकीं? तो युधिष्ठिर ने चुप्पी तोड़ते हुए जबाब दिया क्योंकि वह हमेशा से अर्जुन हम चारों से अधिक अर्जुन से प्रेम करती थी!! 

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By Nihal chauhan

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