Jindgi Me Positive Kaise Rahe | हमारी जिंदगी हमे कई तरह के पाठ पड़ाती है। जिंदगी का मूल्य मह्त्व क्या है? इस सवाल को समझने वाले लोगों की मानो पूरी पृथ्वी पर एक बड़ी कमी है। भारतीय संस्कृति में एक पुराना दोहा है –
” जैसी मति , वैसी गति ”
अर्थार्त इंसान का मन जैसा होता है, उसका जीवन भी उसी तरह से व्यतित होता है। आपकी positivity (सकारात्मकता) आपके लिए क्या है? फ़िलहाल आपको इस बात का अंदाजा नहीं है परंतु सत्य को कोई नहीं बदल सकता और सत्य यही है कि आपके मन का प्रभाव आपके जीवन में होता ही होता है। (Jindgi Me Positive Kaise Rahe)
तो यह बात मान लीजिए कि जैसी स्थिति आपके मन की है, ठीक वैसी स्थिति आपके जीवन की होती है। कभी विचार कीजिए कि कभी ऐसा हुआ हो कि आपके साथ कोई बहुत बुरी घटना हुईं पर आपका मन उस समय अच्छा था? आप कितना भी विचार कीजिए हर बार आपको इस बात का सबूत मिलता जाएगा कि आपके मन का प्रभाव आपकी जिंदगी में पड़ता ही है। (Jindgi Me Positive Kaise Rahe)
आपकी जिंदगी खुशहाल है, तो आपका मन भी खुशहाल है। और ठीक इसके विपरित मन दुखी है, तो जीवन भी दुखों से भर जाता है। पोजिटिव विचार आपके जीवन को बेहतर बनाने का काम करते हैं, वही निगेटिव विचार आपके जीवन को बेकार बनाने का काम करते हैं।
सिर्फ आध्यात्मिक ज्ञान ही इस बात की पुष्टि नहीं करता बल्कि वैज्ञानिकों ने भी इस तथ्य का समर्थन किया है कि आपके मन पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव आपके जीवन की गुणवत्ता खराब और को कम कर देते हैं।
अपने मन में नकारात्मक विचारों को रखना बिल्कुल ऐसा है जैसे अपने दुश्मन को अपने घर में रखना। जो आपको ही नुकसान पहुंचाता हो, ऐसी चीजों को खुद के पास रखना सबसे बड़ा खतरा होता है। और निगेटिव विचार ऐसे ही होते हैं। (Jindgi Me Positive Kaise Rahe)
किए गए कई वैज्ञानिक शोधों में इस बात की पुष्टि हुयी की जिन लोगों की विचारधारा आशावादी है उन्होंने ज्यादा लंबे समय तक जीवन व्यतित किया है। वही ऐसे लोग जो निराशावादी है, उनका जीवन काल समय से पहले ही खत्म हो गया।
एक आशावादी व्यक्ति का शरीर इतने बेहतर तरीके से कार्य करता है कि उसके शरीर का एक एक पुर्जा चाहे वह दिल हो, या पेट हो इतनी बेहतर ढंग से काम करता है कि कभी उसको कोई बड़ी बीमारी पकड़ती ही नहीं बल्कि दूसरी तरह निराशावादी लोगो का जीवन पूरी तरह से बर्बाद और खत्म हो जाता है। (Jindgi Me Positive Kaise Rahe)
चिंता और निराशा से उत्पन हुयी नकारत्मक ऊर्जा निम्न तरह की स्थितियों को एक बड़ी समस्या के रूप में बदल देती हैं। जबकि यह सारी समस्याएं बेहद आम है और निश्चित ही इनसे आसानी से निबटा जा सकता है।
- करियर के मुद्दे
- रिश्ते की परेशानियों
- पारिवारिक मामलों
- दोस्ती की समस्याओं
- आत्म-संदेह
- वित्त की परेशानी
और अन्य प्रतिदिन के कार्यों के साथ, ऐसा प्रतीत होता है कि सकारात्मकता सिर्फ संतों के लिए ही बनी है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। हर इंसान के पास बराबर ऊर्जा है, यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपने कर्मों से और सोच से कौनसी ऊर्जा को अधिक विकसित करते है और किसे अधिक मह्त्व देते हैं।
आपके मन की व्यथा को मन मे ही शांत किया जा सकता है। अपने कर्म पर भरोसा कीजिए, जो होने वाला है उसे यदि कोई बदल सकता है तो वह आपकी सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा ही है।
यदि आप ऐसा सोचते है कि कोई काम आपसे नहीं होगा? तो निश्चित ही वह कार्य आपसे नहीं होगा वही यदि आपकी सोच है कि आप उस कार्य को पूरा कर लेंगे तो निश्चित ही आप उसको पूरा करने की क्षमता जुटा पाएंगे। (Jindgi Me Positive Kaise Rahe)
खेर, अब आपको चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि पॉजिटिव सोच आपसे सिर्फ तीन कदम दूर है। दिए गए कदमों का एहसास मात्र आपके जीवन को सकारात्मकता से भर सकता है। इन तीन कदमों को पढ़ने के बाद आपका सकारात्मक दृष्टीकोण आपके जीवन में जरूर कोई मोड़ लाएगा।
आपको सकारात्मक रहने के लिए आपको सिर्फ नकारत्मक विचारो को अपने मन से निकालना होता है। जबकि हार जीत इस जीवन का हिस्सा है और जीतना और हारना कोई बड़ी बात नहीं लेकिन उस हार का दुख आपकी अन्य जीतो को प्रभावित करे ऐसा होने से आपको रोकना होगा।
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चलिए जानते है जिंदगी में पॉजीटिव रहने के 3 अनकहे रहस्यों के बारे में : Jindgi Me Positive Kaise Rahe
1. सिर्फ शब्दों से नकारात्मक विचारों का मुकाबला न करें।
सकारत्मक कैसे रहे? इस सवाल से काफी मिलता जुलता यह सवाल है कि नकारत्मक विचारो को कैसे रोके? इस मामले में हमारी पहली प्रक्रिया यही होती है कि हम अपने नकारत्मक विचारों को हमारे सकारत्मक विचारो के साथ तौलने लगते है। लेकिन सकारत्मक रहने का यह तरीका उतना प्रभावी नहीं है बल्कि बहुत छोटे समय के लिए ही कारगर है बस।
और नकारत्मक विचारों के आने पर दूसरी हमारी प्रक्रिया होती है कि हमे खुद पर गुस्सा आने लगता है, जैसे कि हमारे जेहन में आने वाले हर विचार को आपसे इजाजत लेने की आवश्यकता है। (Jindgi Me Positive Kaise Rahe)
यदि हम एक लंबे समय तक नकारात्मक प्रभाव से बचना चाहते है तो इसके लिए हमे कुछ और करना होगा।
इसी तरह से नकारत्मक विचारों से बचने का एक तीसरा तरीका भी है, जो काफी प्रभावी ढंग से काम करता है। और वह उपाय यह है कि जब भी कुछ नकारात्मक या खराब विचार आपके मन में आये तो आपको उन्हें आने देना है।
आपको बस शांत हो जाना है, और कुछ भी नहीं करना बस अपने विचारो का निरीक्षण करते रहना और आप देखेंगे कि थोड़ी ही देर बाद आपका मन पानी की भांति साफ हो जाएगा। जब आप अपने विचारों के साथ कोई प्रक्रिया नहीं करते तो नकारत्मक विचारो की पकड़ छूट जाती है। और फिर आपका मन बिल्कुल शांत और साफ हो जाता है। (Jindgi Me Positive Kaise Rahe)
नकारत्मक विचारों के आदान प्रदान से बचने का सबसे प्रभावी तरीका अब आपके पास है जब भी नकारात्मकता घर करे तो आपको बस जो हो रहा हो वो होने देना है।
यदि आपका मन आपको फिजूल की सलाह देने से बाज नहीं आता है तब भी आपको यही नियम अपनाना है, कि आपको कोई प्रक्रिया ही नहीं देनी है।
जो विचार आपके हित में है, और जो आपको बेहतर बनाने का काम करते हैं आप ऐसे विचारो को अपने पास उलझा कर सकते हैं। इस तरह से आप पूरी तरह सकारत्मक ऊर्जा का उपयोग कर पाएंगे। (Jindgi Me Positive Kaise Rahe)
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2. अपनी आदतों को बदले उनके गुलाम ना बने
हमारी यह आदत है, कि हम दूसरों में नकारात्मक देखते है और अपने पुराने बुरे विचारो को याद करने में माहिर है। किसी को देखा तो आपको अपने बीते हुए खराब दिन याद आ गए हालांकि कई बार अच्छी यादें भी आती है पर उनको याद करके भी हमारा कोई फायदा नहीं होगा।
इसलिए ऐसा पेड़ ही मत लगाइए जिसमें कांटे हो, आपको अपनी इस आदत को धीरे-धीरे छोड़ना होगा। दूसरों को देखकर अपने मन में कल्पनायें करना बंद खास कर ऐसी कल्पनाएं जो नकारत्मक है और आपको अंधेरे की तरफ खींचती है। (Jindgi Me Positive Kaise Rahe)
अपने मन को समझाये की जो आपने अभी सोचा वो किसी गलती से हो गया और आगे से ऐसा नहीं होगा। आपकी जो दूसरों में ख़राबी निकालने की आदत है इसका त्याग कर दे बल्कि आप दूसरों की अच्छाई पर गौर करना सीखें। यह आपका स्वभाव नहीं है, बस एक बुरी आदत है और आदतों को बदला जा सकता है।
आखिर ऐसा क्या है? जो आपको दूसरों की अच्छी आदतों और बातों को देखने से रोकता है और बुरी चीजों को नकारत्मक बातों को तुरंत देख लेता है?
यह आपके अंदर हुए नकारात्मक बदलावों की देन है जो आपको हर चीज के नकारत्मक पहलु को दिखाने का प्रयास करती है। यह किसी बीमारी की तरह है, पर इसका इलाज भी आपके पास है।
इसका इलाज यही है कि जब भी आप किसी की बुराई करे या किसी के काम के बारे में बुरा विचार आए आपको उसी समय रुक जाना है और शांत हो जाना है। यदि शांत नहीं रह सकते तो उसी पल उसके अच्छे कामों को देखने का प्रयास करें और उसकी तारीफ कर दे। (Jindgi Me Positive Kaise Rahe)
आपके लिए यह तरीका एक नई रोशनी और आपके मस्तिष्क के लिए नए बदलाव लेकर आएगा। जिंदगी का आनंद सकारात्मकता में है। आंनद लीजिए और दीजिए।
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3. सकारात्मक मानसिक दृष्टिकोण के लिए अपने प्राण स्तर को बढ़ाएं
हमारा मन जब जैसा होता है तब हमारा दृष्टीकोण भी उसी के साथ उसी के अनुसार बदलता रहता है। हमारी सफ़लता के लिए हमे एक सकरात्मक दृष्टीकोण की आवश्यकता है।
ऐसी स्थिति में यह जरुरी हो जाता है कि हम अपने मन को खुश रखने का पूरा प्रयास करे क्योंकि यदि हमारा मन उदास होता है, या उत्तेजित, विचलित होता है उस समय हमारा दृष्टीकोण भी नकारत्मक हो जाता है। जो कि हमारे लिए, हमारे स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। (Jindgi Me Positive Kaise Rahe)
समस्या यह है कि आपके विचलित मन को शांत और स्थिर कैसे किया जा सकता है? ऐसा करना भी कोई बहुत बड़ा कार्य नहीं है। ऐसा करने के लिए आपको एक थ्योरी समझने की आवश्यकता है –
” हमारे जीवन में कोई भी काम तब होता है- जब हमारा मन उसकी योजना पहले बना लेता है। यानि कि हम जब भी कोई भौतिक काम करते है तो सबसे पहले वह काम करने के लिए विचार कहा आता है? आपके मन में ही आता है ना? तो यह बात साफ होती है कि हमारा हर भौतिक फैसला हमारी मानसिकता से प्रभावित होता है। (Jindgi Me Positive Kaise Rahe)
इसी प्रकार हमारे भौतिक कार्यो से हमारी मानसिकता भी प्रभावित हो सकती है। आप कई काम बिना सोचे समझे भी कर सकते हैं। कुछ ऐसे काम जो आपको करने है, जिनके बारे में आपको कुछ सोचना नहीं है वह आपकी मानसिकता को बदल सकते हैं। “
आपको अपने विचलित मन को ठीक करने के लिए इसी थ्योरी का उपयोग करना है। आपके मन को खुश और शांत रखने के लिए कई उपाय है – जिसमें सबसे प्रभावी तरीका है:
- ध्यान (मेडिटेशन)
- योग
- सुदर्शन क्रिया
ध्यान करने के लिए आपको सुबह या शाम या जब भी आपको नकारत्मक विचार आपको घेरने लगे उसी समय अपनी आखों को बंद करके बैठ जाए, बाकी कुछ नही करना, लंबी लंबी साँसे ले और उन्हें थोड़ी देर भीतर रोके और फिर धीरे धीरे छोड़ दे। (Jindgi Me Positive Kaise Rahe)
शुरुआत में आपको ऐसा लगेगा कि यह उपयोगी नहीं है पर आपको बिना सोचे समझे यह अभ्यास निरन्तर करते रहना चाहिए। जैसा कि आपको बताया था कि भौतिक क्रिया से मानसिक क्रिया का बदलाव हो सकता है।
नोट – उपर लिखे सभी विचार श्री श्री Ravishankar Ji से प्रभावित है। धन्यवाद।। (Jindgi Me Positive Kaise Rahe)
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