हिमाचल की सुंदरता विश्व भर में प्रख्यात है। यहां के ऊँचे लंबे पहाड़ों में ढलने वाली शामों के लोग दीवाने हैं। सर्दियों के दिनों में यहां की खूबसूरती में आसमान से झरती हुयी नर्म झाग दार बर्फ चार चांद लगा देती है। कसोल में ऊँची नीची पहाड़ियों के साथ साथ कई छोटे बड़े झरने भी देखने को मिलते हैं। यदि आप एक अच्छे पर्वतारोही है तो कसोल आपके लिए अविस्मरणीय अनुभव रहने वाली है।

कसोल के बर्फ से ढके पहाड़

कसोल का इतिहास भी काफी पुराना माना जाता है इसलिए ऐतिहासिक महत्व के विषय से भी कसोल घूमने के लिए भारत की सबसे बेहतरीन जगहों में से एक है।

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में पार्वती नदी के किनारे बसा यह गाँव कुदरत की सबसे खूबसूरत देन लगती है। पार्वती नदी को पार्वती घाटी के नाम से भी जाना जाता है। यहां के स्थानीय रहवासियों का स्वभाव भी यहां के मनमोहक मौसम की तरह ही, उम्दा है।  दुनिया भर के bag packers के लिए कसोल Hotspot है। यहां घूमने आने वाले पर्यटकों में सबसे अधिक संख्या इजरायली लोगों की है इसलिए इसे मिनी इजराइल के नाम से भी जाना जाता है। 

कसोल के बारे में मेरा यात्रा व्रतांत बड़ा ही रोमांचक और अविस्मरणीय रहा में इसे आप सब लोगों के samch) समक्ष प्रस्तुत करना चाहता हूं। आपको दिल्ली से कसोल के इस यात्रा व्रतांत में हर छोटी बड़ी चीजों को बताया जाएगा ताकि जब आप यहां घूमने जाए तो यहा पहुच कर आसानी से प्रकृति के सौंदर्य का मजा उठा पाए।आप हिमाचल की सुंदरता विश्व भर में प्रख्यात है। यहां के ऊँचे लंबे पहाड़ों में ढलने वाली शामों के लोग दीवाने हैं। सर्दियों के दिनों में यहां की खूबसूरती में आसमान से झरती हुयी नर्म झाग दार बर्फ चार चांद लगा देती है। कसोल में ऊँची नीची पहाड़ियों के साथ साथ कई छोटे बड़े झरने भी देखने को मिलते हैं। यदि आप एक अच्छे पर्वतारोही है तो कसोल आपके लिए अविस्मरणीय अनुभव रहने वाली है।

कसोल का इतिहास भी काफी पुराना माना जाता है इसलिए ऐतिहासिक महत्व के विषय से भी कसोल घूमने के लिए भारत की सबसे बेहतरीन जगहों में से एक है।

पार्वती नदी के किनारे बसा यह गाँव कुदरत की सबसे खूबसूरत देन लगती है। यहां के स्थानीय रहवासियों का स्वभाव भी यहां के मनमोहक मौसम की तरह ही, उम्दा है।  

कसोल, हिमाचल प्रदेश
कसोल में घूमते हुए

ट्रेन की आवाज का वह एहसास और डिब्बे के गेट से सीधे हमारे चेहरे पर बहने वाली ठंडी हवा मेरे खूबसूरत अहसासों में से एक है। हम चारों उस ठंडी हवा और शांति को बिना एक दूसरे से बात किए महसूस कर रहे थे। सफर इतनी जल्दी बीत गया और हमें पता भी नहीं चला कि कब सुबह के 9 बज गए, लेकिन ट्रेन दिल्ली आ चुकी थी!

कुछ वजह रहीं जिस कारण से हम लोगों का कसोल जाने  सपना अधूरा रह जाता था । इसलिए हमने इस बार बिना कोई योजना बनाए सीधे दिल्ली के लिए रवाना होने का फैसला किया और बिना टिकट लिए ग्वालियर से दिल्ली के लिए ट्रेन पकड़ ली।

नयी दिल्ली रेल्वे स्टेशन पर पहला दिन – 

में अपने तीन दोस्तों के साथ Gwalior से दिल्ली पहुंचा ही था, सुबह के करीब 10 बज रहे होंगे। दोस्तों में आपको बता दूँ कि में और मेरे तीन दोस्त शिव, अग्नि और वैभव कसोल जाने के बारे में काफी लंबे समय से विचार कर रहे थे लेकिन हर बार किसी ना किसी कारण से हम लोगों का कसोल जाने का सपना अधूरा ही रह जाता था। इसीलिए इस बार हम लोगों ने बिना किसी प्लान को बनाए डायरेक्ट ही दिल्ली निकलने का फैसला लिया और बिना टिकट लिए ही Gwalior से दिल्ली की ट्रेन पकड़ी। ट्रेन से ग्वालियर से दिल्ली जाने का किराया तकरीबन 250 रुपये है जनरल डिब्बे के लिए बाकी स्लीपर और reservation में यह कराया 1500 भारतीय रुपये के करीब होता है। ग्वालियर हमारा ग्रह क्षेत्र है और जल्दबाज़ी में हम लोगों ने बिना टिकट के ही यात्रा शुरू कर दी थी। (Gwalior से दिल्ली जाने का बस का किराया भी 500 से 1400 रुपये के करीब है। )

ट्रेन में बैठते ही शुरुआत में जनरल डिब्बे में भरी भीड़ के कारण हमे थोड़ा परेशान होना पड़ा लेकिन धीरे-धीरे हमे जनरल डिब्बे के गेट के पास खुली जगह मिल गयी और हम सब इतना थक गए थे कि वही बैठ गए।

हर बार मेरे मन में एक ही खयाल आ रहा था कि में कितनी जल्दी उन पहाड़ों पर पहुंच जाऊँ जहाँ जाने का खयाल मेरे मन पर बचपन से छाया हुआ ।

दिल्ली से कसोल का सफर – 

कसोल का रहस्यमयी मंदिर
कसोल, हिमाचल प्रदेश

दिल्ली से कसोल पहुंचने के लिए हमे अब हमे बस का सफर करना था, जो हमारी उम्मीद से लंबा होने वाला था। दिल्ली से कसोल के लिए डायरेक्ट कई तरह की बसे जाती है। कसोल जाने वाली बस हर तरह की है, यदि आपका बजट कम है तो आप किसी सस्ती बस से भी कसोल पहुंच सकते हैं। 

नोट – दिल्ली से कसोल की दूरी 550 किलो मीटर है। इस लंबी दूरी को तय करने के लिए तक़रीबन 14 से 15 घण्टे का समय लगता है। दिल्ली से कसोल के लिए अधिकतर बसे कश्मीरी गेट से मिलती है।  

सड़क के रास्ते – 

यदि आप सभी सुविधा युक्त बस में जाना चाहते है तो आपको वोल्वो बस भी मिल जाती है। दिल्ली से कसोल जाने का बस का किराया 1000 रुपये से 2000 रुपये तक है। लेकिन यदि आप अपनी पर्सनल टैक्सी कार ले जाना चाहते है, तो आपको कम से कम 13000 रुपये तक का किराया चुकाना होगा। आप टैक्सी को ऑनलाइन या ऑफलाइन न्यू दिल्ली रेल्वे स्टेशन से ही बुक कर सकते हैं। कसोल के लिए बस की बुकिंग भी ऑनलाइन और ऑफलाइन की जा सकती है। हम लोगों ने दिल्ली पहुंच कर ऑफलाइन ही बस की चार सीटों की बुकिंग की थी।

हवाई यात्रा – 

आप चाहें तो दिल्ली से कुल्लू के लिए सीधी फ्लाइट ले सकते हैं। कुल्लू से कुछ ही दूरी पर स्थित “भुंतर” कुल्लू की खूबसूरत जगहों में से एक है। आप कुल्लू हवाई अड्डे से भुंतर बस स्टॉप तक टैक्सी या बस ले सकते हैं। जहां से सीधे कसोल पहुंचना सबसे आसान है।

ट्रेन से – 

हो सकता है कि कई लोग आपको कसोल ट्रेन से जाने की सलाह दे लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कसोल एक पहाड़ी क्षेत्र है। बेहद ऊँची और खड़ी पहाडिय़ों के कारण यहां ट्रेन का चल पाना फ़िलहाल तो सम्भव नहीं है। हालांकि आप कसोल से 124 किलोमीटर दूर जोगिंदर नगर रेल्वे स्टेशन पहुच सकते लेकिन इस स्टेशन का दिल्ली स्टेशन से जुडाव उतना सटीक नहीं है। 

मेरी खुद की सलाह है कि आप बस से सफर करे क्योंकि पहाड़ी रास्ते बेहद खतरनाक और सकरे होते हैं जिनपर कोई भी वाहन चलाना काफी मुश्किल है । हिमाचल प्रदेश के बस ड्राइवर खास तरह का हुनर रखते हैं उनके लिए यह रोज की बात है। इसलिए आप बस में सफर करके काफी हद तक सुरक्षित कसोल पहुंच सकते हैं।  

आप चाहें तो चंडीगढ़ से कसोल के लिए सीधी बस पकड़ सकते हैं। चंडीगढ़ से कसोल काफी नजदीक है। चंडीगढ़ बस स्टॉप से आप टैक्सी या बस पकड़ कर कसोल पहुच सकते हैं। आप चाहे तो चंडीगढ़ से कुल्लू के लिए फ्लाइट ले सकते हैं और वहाँ टैक्सी करके सबसे तेज तरीके से कसोल पहुच सकते हैं।

दिल्ली से कसोल का हमारा सफर करीब 7 बजे बस से शुरू हुआ। मैंने बस के चारो ओर अपनी सरसरी निगाहों से मुआयना किया और एक लंबी संतोषजनक साँस ली। बस बेहद आरामदायक और सुविधाजनक थी। बस जैसे जैसे दिल्ली के दूषित वातावरण से होकर आगे निकलती जा रहीं थीं हवा ठण्डी और वातावरण प्रदुषण रहित होता जा रहा था। लंबे सफर के दौरान हमारी बस सिर्फ एक बार रात के खाने के लिए रुकी।

 हमारी बस में हम चारों के अलावा देश के अलग अलग हिस्सों से आए लोगों के ग्रुप से भरी थी, जिनमें मुख्यतः लड़कियां ही थी। लोगों में काफी उत्साह नजर आ रहा था। सभी लोग गानों का आनंद लेते हुए रात के अंधरे में सफर कर रहे थे। 

रात के खाने के लिए बस जिस रेस्टोरेंट पर रुकी थी वहां का खाना बहुत लज़ीज़ था। हम चारो काफी भूखे थे बिना किसी देर के पेट भरके खाना खाया। खाने के बाद हम लोगों ने सिगरेट जलायी ही थी कि बस ने हॉर्न बजा दिया। हड़बड़ी में सिगरेट को आधा फेंक कर हम लोग वापस अपनी बस में सवार हो गए।

ऊँची ऊँची बिल्डिंगों और शोर शराबे से कब ऊँचे ऊँचे पहाड़ों में पहुंच गए थे इसका एहसास पूरी तरह से अविस्मरणीय है। यहां ना शोर था ना कोई प्रदूषण दूर दूर तक पहाड़ों से टकराता हुया सन्नाटा और क्षितिज से छूते sanobar के वृक्ष दिखाई दे रहे थे। दिल्ली से कसोल पहुंचने का रास्ता इतना मनमोहक है कि आप एक पल के लिए भी अपनी पलक झपकाना लाजमी नहीं समझेंगे। 

मौसम – 

कसोल का मौसम साल के बारह महीने ही ख़ुशनुमा और सुहावना होता है। सर्दियों के दिनों में दिसम्बर से February तक यहां जमकर बर्फबारी होती है। यदि आप ज्यादा ठंडे मौसम में कसोल पहुच कर बर्फबारी का लुफ्त लेना चाहते हैं तो नवंबर से February के बीच में जाए। लेकिन यदि आप खुल कर प्राकृतिक सौंदर्य और मौसम का आंनद लेना चाहते है तो आपको सर्दियो के महीने छोड़ कर कभी भी जा सकते हैं। 

कसोल में कहां जाए और क्या करें?

सर्दियो में कसोल का दृश्य
सर्दियों के दिनों में कसोल का मनमोहक दृश्य

कसोल में घूमने के लिए तो हर एक जगह ही बेमिसाल है, लेकिन फिर भी अगर कसोल में घूमने के लिए किसी खास जगहों की बात की जाए तो आपको पार्वती नदी के आसपास घूमना चाहिए। 

पार्वती नदी के आनंदित वातावरण का लाभ उठाने के बाद आप Manikaran shahib गुरूद्वारे में जाकर अपना माथा टेक सकते हैं। यहां बने गर्म पानी के तालाबों में नहाने का आनंद ही कुछ अलग है। कॉफी के शौकीन लोगों के लिए यहां स्थित MuZik Café अपनी कॉफी के लिए प्रख्यात है। यहां आप कैरम खेलते खेलते कॉफी का लुफ्त उठा सकते हैं। 

खीर गंगा ट्रेक कसोल की सबसे आकर्षित करने वाली जगहों में से एक है। यहां बने इस्राइली रेस्टोरेंट में आप इस्राइली खाने का स्वाद चख सकते हैं। अंत में सबसे खास, कसोल में रहने वाले गाँव के लोगों द्वारा इनके विशेष त्यौहारों पर celebrate करते है जो लगभग सालभर चलता रहता है।

फोटो खींचने के लिए यह जगह सबसे उम्दा है, इसलिए ढेर सारी फोटो खींचे और उत्साहपूर्ण वातावरण का पूरा लुफ्त उठाए। 

कसोल में घूमने की 12 खूबसूरत जगह 

कसोल में घूमने के लिए जगह क्यों जानी जाती है? 
मलाना गाँव Malana गांव अपने इतिहास और लंबे trek के लिए जाना जाता है। यहां मिलने वाली चरस दुनिया भर के लोगों का आकर्षण का केंद्र है, जिसे malana cream के नाम से जाना जाता है।
पार्वती नदी यह नदी राफ्टिंग, इत्यादि के लिए प्रख्यात है। 
Tirthan घाटी हिमालय राष्ट्रीय पार्क यहां का मुख्य स्थल है। 
खीर गंगा यह जगह लम्बे ट्रेक के लिए जानी जाती है। 
कुल्लू सभी तरह के रोमांचक स्पोर्ट के लिए चर्चित जगह है। 
तोशबर्फ़ से ढके हुए पहाड़ और बेतरतीब रूह को सुकूं पहुँचाने वाला नजारा। 
छाललकुदरत के हसीन नजारे और पहाड़ ।
नागर ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक सौंदर्य। 
पुल्गाCamping करने के लिए और पहाड़ी जंगलों का लुफ्त लेने के लिए। 
Manikaran sahib गुरुद्वारा। 

Malana गाँव – (world Most Oldest Democracy) 

मलाना गाँव, कसोल हिमाचल प्रदेश
मलाना गाँव, हिमाचल प्रदेश

मलाना गाँव का एक विशेष इतिहास है, कहां जाता है कि इस छोटे से गाँव का लोकतंत्र दुनिया में सबसे पुराना लोकतंत्र है। और इस गाँव में आज तक उसी पर अमल होता है। पहाड़ों की गोद में बसा यह छोटा सा गाँव अपने आप में प्राकृतिक सुंदरता की मिसाल है। यहां आने वाले अधिकतर टूरिस्ट इस्राइल से ही आते हैं। में malana में अपनी दोस्त  @hempvati (priya mishra) के पास गया और वहां उनके साथ गांजे की खेती देखी। नजदीक में ही हमारा होटल था जिसमें हर तरह के रूम उपलब्ध थे। शाम के समय होटल को बाल्कनी से मनोरम पहाड़ों का अद्भुत दृश्य को निहारते हुए manala चरस के कश लगाए। 

Malana ना सिर्फ एक प्राचीन गाँव होने की वज़ह से प्रख्यात है, इसके अतिरिक्त यहां स्थित Jamlu Devta का प्राचीन मंदिर भी पर्यटकों को बेहद लुभाता है। malana गाँव का एक अनोखा कल्चर भी अब देश विदेश के लोगों से छिपा नहीं है। यहां साल के लगा लगभग हर महीने में ही पर्यटकों का तांता लगा रहता है। 

Malana गाँव में रहने वाले लोगों ने खुद को अपने दायरों और उनकी खुद की संस्कृति में ढाल लिया है। उन्हें ऐसा लगता है कि बाहर से आने वाली कोई भी नयी प्रथा या नयी चीजे उनके गाँव को और उन्हें पतन की ओर ले जाएगी इसलिए बाहरी दुनिया से उन लोगों का तालमेल बहुत कम ही रहता है। गाँव के अपने कायदे कानून और नियम है यदि इन्हें कोई तोड़ता है तो Jamlu Devta के सिद्ध स्थान पर ही फैसला किया जाता है। किसी भी पर्यटक को वहाँ के स्थानीय लोगों को या उनसे जुड़ी चीजों को छूने की इजाजत नहीं है। malana गाँव के रहवासी अपने घर की दीवारों को buffalo के खून से धोते है। वे अपने आप को अलेक्जेंडर the great के वंशज मानते है। इस गाँव को भारत का छोटा Greece भी कहा जाता है।

Manikaran Sahib Gurdwara – (कसोल) 

Manikaran sahib गुरुद्वारा
Manikaran sahib गुरुद्वारा

पहाड़ों की गोद में बना सीख गुरुओं का Manikaran sahib गुरुद्वारा कसोल से मात्र 6km की दूरी पर स्थित है। गुरूद्वारे को साल के हर महीने में लाखों हिन्दू और सिख पर्यटकों द्वारा घूमा जाता है।

beas और पार्वती नदी के बीच में बना यह गुरुद्वारा प्रकृति की असीम सुंदरता और शांति का प्रतीक प्रतीत होता है। लोग यहां सच्ची श्रद्धा से आते हैं और अपना माथा टेकते है।

गुरूद्वारे में लंगर हमेशा चालू रहता है। मैं जब Manikaran sahib पहली बार पहुंचा था तो मैंने खुद के अंदर एक अलग तरह की सकारात्मक ऊर्जा महसूस की। 

Manikaran sahib गुरुद्वारे की खास बात यह है कि गर्म पानी का प्राकृतिक झरना है जिसमें श्रद्धालू एक डुबकी लगाना पड़ता पुण्य का कार्य समझते हैं। 

गुरुद्वारा चारों तरफ से ऊँचे पहाड़ों से घिरा हुआ है। प्रकृति की सुंदरता और ईश्वर से मिलने की शांति मेरा यह अनुभव अविस्मरणीय है। 

आपको भी एक बार जरूर यहां जाना चाहिए। यह गुरुद्वारा ईश्वर द्वारा दिया गया एक वरदान साबित होता है।

पार्वती नदी की सैर – 

पार्वती नदी
पार्वती नदी की सैर

The Moonlit Parvati River flowing beside the Kasol Town, Himachal Pradesh.jpg” by Jan J George is licensed under CC BY-SA 4.0.

कसोल में पार्वती नदी की सैर करना एक खूबसूरत सपने जैसा एहसास दिलाता है। हसीं वादियों के बीच शांति और सुकून का निर्मल संगम, आपको सपने रूपी इस हकीकत से परे रखता है कि आप असलियत में इतनी खूबसूरत जगह पर है। लंबे ऊँचे और घने पहाड़ों के बीच से गुजरती हुयीं पार्वती नदी का अविस्मरणीय नज़ारा आपको, पूरे हिमाचल प्रदेश में कहीं और नहीं मिल सकता। 

प्राकृतिक सौंदर्य को करीब से महसूस करने के लिए कसोल की इस खूबसूरत जगह की कोई तुलना नहीं की जा सकती। यहां आप कई तरह के एडवेंचर स्पोर्ट का आंनद ले सकते हैं। यदि आपने कभी राफ्टिंग नहीं की है, तो राफ्टिंग करने के लिए यह जगह सबसे बेहतर है। नदी के बीच किसी बड़े पत्थर पर बैठ कर अपने पैरों को नदी के निर्मल जल में डुबोते हुए एक फोटो खींचे, जो आपके सभी करीबियों को jealous महसूस कराने के लिए पर्याप्त है। 

खीर गंगा ट्रैक – कसोल की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक 

कसोल ,खीर गंगा
कसोल ,खीर गंगा

समूचे कसोल क्षेत्र में खीर गंगा ट्रेक ही चढ़ाई करने के लिए सबसे सुगम ट्रेक है। अधिकतर पर्यटक जिन्हें trekking का कोई अभ्यास भी नहीं है, वे लोग भी यहां आसानी से trekking का रोमांच उठा सकते हैं। 

कसोल के भीतर खीर गंगा घूमने के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन हो सकता है। यहां पहुँचने पर आपको चारों तरफ से खुला और पहाड़ों से घिरा हुआ ज़बर्दस्त नज़ारा देखने को मिलता है। करीब 9 km लंबा यह ट्रेक अपनी पूरी जटिलताओं के बाद भी 4 से पाँच घण्टों में पूरा ट्रेक किया जा सकता है। 

मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर लोगों के लिए यह ट्रेक बंद ही रहता है। पांच घण्टे की कड़ी मशक्कत के बाद जब आप खीर गंगा की चोटी पर पहुंचते है तो नज़ारा वाकई देखने लायक होता है। इतनी ऊचाई पर पहुंचने के बाद आपको गर्म पानी का कुंड मिलता है, जिसमें नहा कर आप अपने तन बदन को थकान रहित कर सकते हैं।

चैन की लंबी साँस लेने के साथ साथ जब आप खीर गंगा का नज़ारा देखते है तो आप पल भर के लिए भी अपनी पलकों को झुकाना पसंद नहीं करेंगे। अधिकतर पर्यटकों द्वारा यहां ढेरों फोटो और वीडियो क्लिक किए जाते हैं। आखिर कौन नहीं चाहेगा की स्वर्ग सी खूबसूरती को हमेशा के लिए अपनी आँखों में क़ैद कर लिया जाए? 

खीर गंगा की चोटी पर पहुँचने के बाद यदि आप वही रात गुजारना चाहते है तो यह आपके लिए सबसे बेहतर ऑप्शन हो सकता है। वहाँ ठहरने के लिए पूर्ण व्यवस्था है। वहां रहने वाले गाँव के लोगों कम पैसों में बेहतर रुकने की जगह उपलब्ध कराते और उनके हाथ का बना हुआ देहाती खाना आपके मुँह में पानी लाने के लिए काफी है। 

खीर गंगा घूमने और आंनद करने के लहजे से दुनिया की खुबसूरत जगहों में से एक है, आप को यहां एक बार जरूर जाना चाहिए। 

छालल गाँव – 

Photo by:  Dhillon 89, Creative Commons Attribution Licence

छालल पार्वती नदी के किनारे पर बसा एक छोटा खूबसूरत गाँव है। छालल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनिया भर में मशहूर है। हालांकि छालल गाँव के बारे में लोग उतना नहीं जानते लेकिन bag packers के लिए यह जगह बिल्कुल अनजान नहीं है। कसोल के मुकाबले छालल में घूमना रहना और खाना सस्ता है। छालल में पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या सीमित है। 

हालांकि, अब धीरे धीरे यहां कुछ दुकाने रुकने के लिए होटल, कैफे इत्यादि खुल गए हैं। यहां का शांत वातावरण आपको हकीकत में पहाड़ी सुंदरता को महसूस करने का मौका देती है। छालल कसोल से नजदीक है यदि आप पैदल भी यहां जाना चाहें तो 35 से 40 मिनट में छालल पहुच सकते हैं। छालल के छोटे trek है, इसलिए कसोल आने वाले अधिकतर लोग यहां जरुर जाते हैं। Chalal गाँव में भी आपको कसोल की तरह ही इसराईली कल्चर की झलक मिलेगी। यहां के café रेस्त्रां इत्यादि खास तौर पर इसराईली संस्कृति से प्रेरित है। छालल से ही रशोल ट्रेक की शुरुआत होती है। 

तीर्थन घाटी – 

Tirthan river Banjar Khundan bridge” by Sheena Thakur @thebluesheeep is licensed under CC BY-SA 4.0.

कसोल से तकरीबन 60 या 62 किलोमीटर दूरी पर स्थित ‘ तीर्थन घाटी ‘ अस्ल में एक छोटा सा पहाड़ी गाँव है, जो प्राकृतिक खजाने को समेटे हुए है। यहां स्थित झील और झरने आपको इस जगह का दीवाना बना देंगे। तीर्थन घाटी से 1.7 km की मामूली दूरी पर स्थित “chehni kothi” देखने लायक ऐतिहासिक जगह है। 

तीर्थन घाटी में कोई भी पक्की सड़क नहीं है। यहा पहुंचने वाला हर पर्यटक यहां के मनोरम प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर चकित रह जाता है। देवताओं की भूमि माने जाने वाले हिमाचल प्रदेश में तीर्थन घाटी जाने वाले पर्यटकों के लिए, यह खास जगह उनके जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ती है। तीर्थन घाटी से करीब 0.5km ki दूरी पर स्थित “chhoie Waterfall” और 6km दूर “jibhi waterfall” प्राकृतिक सुंदरता की पराकाष्ठा को दर्शाते हैं। ऊँचे नीचे पहाड़ों से गुजरते हुए आप नदी पर आराम कर सकते हैं या जंगल के बीच में प्राकृतिक झरनों को देखने का लुफ्त उठा सकते हैं। 

आप अकेले, अपने दोस्तों के साथ या अपने पार्टनर के साथ तीर्थन घाटी में कुछ दिन जरूर गुजारे। यहां गुजारा हुआ एक एक लम्हा आपकी जिंदगी की सुनहरी यादो में जुड़ जाएगा । 

तोष गाँव – 

तोष गाँव ,कसोल

File: View of mountains from Tosh village.jpg” by Deepak G Goswami is licensed under CC BY-SA 3.0.

कसोल से सटा हुआ एक और पहाड़ी गाँव, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनिया भर में मशहूर है। दुनिया भर से हिमाचल आने वाले पर्यटकों के लिए तोष गाँव एक उपहार की तरह है। यहां पहुँचने वाला कोई भी व्यक्ति खुद को खुशनसीब समझेगा की उसकी आँखों ने तोष गाँव के प्राकृतिक दृश्य का अवलोकन किया है। 

तोष गाँव में पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका है, कि आप पहाड़ी की ट्रेकिंग (चढ़ाई) करते हुए तोष पहुंचे। हालांकि वहाँ तक जाने के लिए आपको निम्न किराये पर टैक्सी या कैब भी मिल जाती है। पार्वती नदी के किनारे पर बसा यह खूबसूरत पहाड़ी गाँव आपको मंत्रमुग्ध सा कर देता है। यहां बने सेब के बगीचों में सुंदरता मानो कण कण में व्याप्त है। यहां रहने वालों लोगों का आय का मुख्य स्रोत यहां आने वाले पर्यटकों और सेब के बागानों से ही है। 

तोष गाँव में कहा जाए क्या करें? 

चंद्राताल

तोष में पहुंचकर आपको जरा भी ऐसा एहसास नहीं होगा कि आप जिस जगह है वहां से कहीं और जाए। यहां आप नेचर walk का आंनद उठा सकते हैं। ट्रेकिंग और camping के लिए भी आपको यहां पूरा बंदोबस्त मिल जाता है। आसपास के गाँवों में घूमे वहां की संस्कृति को समझे और पहाड़ों में बने खूबसूरत प्राकृतिक झरनों को देखे। आप यहां बना एक प्रमुख ताल चंद्राताल घूमने के लिए जरुर जाए। 

पुल्गा गांव

पुल्गा , हिमाचल प्रदेश
पुल्गा , हिमाचल प्रदेश

File: Pulga village, Parvati Valley.png” by Imdgod is licensed under CC BY-SA 4.0.

भारत के हिमाचल प्रदेश में स्थित यह गांव अपने खूबसूरत जंगल और बर्फ से ढके पहाड़ों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। कसोल से महज 16 किमी दूर स्थित यह पहाड़ी गांव यहां बने लकड़ी के खूबसूरत होटलों और रेस्टोरेंट के लिए भी मशहूर है।

पुल्गा एक ऐसा गांव है जिसकी संरचना पहाड़ी की ढलान पर है जिसके कारण यहां पर्यटकों का आकर्षण हमेशा बना रहता है। साल के हर महीने में दुनिया भर से पर्यटक यहां आते हैं। कहने को गांव होते हुए भी यहां हर तरह की छोटी-बड़ी सुविधाओं का ख्याल रखा गया है।

पुल्गा अपने घने जंगलों और हिमालय के बर्फ से ढके पहाड़ों के दृश्यों के लिए जाना जाता है। कैंपिंग के लिए इससे अच्छी जगह शायद ही कोई हो। 

भुंतर टाउन – 

भुंतर टाउन
भुंतर टाउन

Bhuntar o1” by RameshSharma1 is licensed under CC BY 2.0.

कसोल से तकरीबन 30km की मामूली दूरी पर बसा यह नगर प्रकृति की असीम सुंदरता को समेटे हुए है। यहां के घने जंगल और पहाड़ी क्षेत्र भुंतर को हिमाचल की सबसे खास और खूबसूरत जगह बनाते हैं। सरल शब्दों में कहा जाए तो भुंतर की प्राकृतिक मनोरमता इतनी अद्भुत और बेमिसाल है कि लोग इसकी तुलना स्वर्ग से करते हैं। 

यदि आप कसोल से भुंतर आना चाहते तो रास्ते में आपको बड़ी सावधानी से गाड़ी चलानी होगी। ऊँचे नीचे पहाड़ों पर सकरा सा रास्ता कसोल से भुंतर तक का रास्ता पेचीदा बना देते हैं। लेकिन प्रकृति की सुंदरता के मामले में भुंतर का कोई तोल नहीं। 

भुंतर हिमालय में बसा एक खूबसूरत सा कस्बा है जो अपनी ताजा जलवायु और बेमिसाल प्राकृतिक सौंदर्य के लिए दुनियाभर में मशहूर है। 

ऐसे लोग जो सालभर सिर्फ ऑफिस और दूषित शहर से ऊब चुके है, उनके लिए भुंतर आना एक सबसे बेहतर प्लान हो सकता है। 

नागर गाँव – 

नागर गाँव , हिमाचल
नागर गाँव , हिमाचल

Naggar View” by Grey cells is licensed under CC BY-NC 2.0.

धार्मिक मंदिरों, museums और आर्मी द्वारा बनाए गए कुछ अद्भुत ढांचों को समेटे यह गाँव कसोल की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। नागर गाँव हाल ही में पर्यटन उद्योग को लेकर सजग हुआ है, इसलिए यहाँ कम ही लोग पहुचते है। यदि आप ग्रामीण क्षेत्रों की संस्कृति को समझने और देखने में लुफ्त उठाते है तो यह जगह आप जैसे लोगों के लिए ही बनी है।

हालांकि यह गाँव काफी छोटा है, लेकिन यहां की प्राकृतिक मनोरमता अद्भुत है। यहां बने गौरी शंकर मंदिर पर भी श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है। नागर में बने खूबसूरत मंदिर और यहां के गाँव की संस्कृति इस जगह को वाकई घूमने लायक बनाती है।

नागर गाँव यहाँ बने नागर Castle, के लिए जाना जाता है जो ना सिर्फ एक ऐतिहासिक जगह है बल्कि यहां से दिखने वाला पहाड़ों का निर्मम प्राकृतिक नज़ारा भी अद्भुत है। आप यहां आकर खूबसूरत photography कर सकते हैं।

कुल्लू  – 

कुल्लू
कुल्लू

भला कुल्लू और मनाली से कौन वाकिफ़ नहीं होगा! हिमाचल के दो सबसे बड़े टूरिस्ट प्लेस जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्व में बेहद मशहूर है। कसोल से कुल्लू की दूरी 49.7km है। 

यदि आप कसोल घूमने का मन बना रहे हैं तो कुल्लू जैसी खूबसूरत जगह जाने से वंचित रह जाना दुर्भाग्य ही होगा। कुल्लू का मन मोह लेने वाला पहाड़ी दृश्य अवश्य ही आपके चित्त पर गहरी छाप छोड़ जाएगा। 

हालांकि कुल्लू और मनाली दोनों ही जगह पर्यटकों का हॉट स्पॉट मानी जाती है इसीलिए यहाँ सालभर भीड़ भाड़ रहती है। नए नए जोड़े यहां अपना हनीमून मनाने के लिए खास तौर से आते हैं। कुल्लू में घूमने के लिए कई ऐतिहासिक जगह, मंदिर और नदियां हैं। 

यहां आप किसी भी तरह के adventures sport का लुफ्त उठा सकते हैं। बड़े बड़े रेस्टोरेंट और coffee café के साथ कुल्लू की मन मोह लेने वाली प्राकृतिक सुंदरता इस जगह को पर्यटकों के लिए सबसे सुखद जगह बन जाती हैं। 

कौनसी जगह ज्यादा बेहतर मनाली या कसोल? 

छुट्टियों में घूमने की बात हो या ऑफिस और घर से तंग आकर घूमना हो दोनों ही परिस्थितियों में हमे घूमने के लिए ऐसी जगह की तलाश रहती है जो सबसे बेहतर हो। लोगों के मन में हमेशा यह विचार आते है कि कौनसी जगह ज्यादा बेहतर है। दरअसल कसोल और मनाली दोनों की प्राकृतिक सुंदरता की पराकाष्ठा पर खरे उतरते है। यहां इनकी सुंदरता को लेकर तुलना कभी नहीं की जा सकती है। 

मनाली और कसोल में सुंदरता के मामले में कोई अन्तर नहीं है लेकिन कसोल ऐसी जगह है, जहां आपको शांत वातावरण अधिक मिलेगा। यदि आप दोस्तों के साथ घूमने जा रहे है तो कसोल सबसे बेस्ट option है और यदि आप अपने परिवार या रिश्तेदारों के साथ घूमने जा रहे है तो मनाली से बेहतर जगह कोई नहीं। उम्मीद है आप समझ गए होंगे कि प्रकृति की कोई तुलना नहीं की जा सकती। 

क्या कसोल अकेले घूमने के लिए सुरक्षित जगह है? 

कसोल अकेले घूमने वाले लोगों के लिए पूरी तरह सुरक्षित जगह है। कसोल में रहने वाले लोग बेहद शांतिप्रिय और सम्मानजनक है। कसोल साल के हर मौसम घूमने के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित जगह है। 

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By Nihal chauhan

मैं Nihal Chauhan एक ऐसी सोच का संरक्षण कर रहा हू, जिसमें मेरे देश का विकास है। में इस हिंदुस्तान की संतान हू और मेरा कर्तव्य है कि में मेरे देश में रहने वाले सभी हिंदुस्तानियों को जागरूक करू और हिंदी भाषा को मजबूत करू। आपके सहयोग की मुझे और हिंदुस्तान को जरुरत है कृपया हमसे जुड़ कर हमे शेयर करके और प्रचार करके देश का और हिंदी भाषा का सहयोग करे।

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