भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी | UNKNOWN FREEDOM FIGHTERS OF INDIA भारत देश की आजादी में जाने कितने ही वीर पुत्रों के लहू की कहानी बयां करती है। अब कुछ कहानियां हम सब जानते है कि किस तरह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी प्राणों की आहुति दी थी। (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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आज हम आपको कुछ उन लोगों के बारे में बताना चाहते है जिनका नाम किताबों में देखने को नहीं मिलता और ना ही ज्यादतर हमारे लोग इनके बारे में जानते हैं। (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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इन लोगों देश की आजादी के लिए हर संभव कोशिश की परंतु दुर्भाग्यवश यह लोग इतने मशहूर नहीं है कि भारत के सभी लोग इन्हें जान पाते पर फिर भी उनकी कहानियाँ अमर है।
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बेशक हमारे माध्यम से पर आपको उनके बारे में जानकारी तो मिल ही गयी है। और हमारा इस देश के नागरिक होने के नाते यह कर्तव्य बनता है कि हम अपने लोगों को बताये कि हमारी आजादी में इन लोगों का महत्वपूर्ण योगदान है और हमे इनका सम्मान सदैव जिवित रखना होगा। (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
यही रीत है, यही हमारी परंपरा है, इसीलिए हम भारतीय है और हमे गर्भ है। हमारे भारतीय होने पर और हमारे सभी जाने अनजाने गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों पर।
हमारे देश के इन अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों का बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता और ना हम किसी को भूलने देंगे।
हम सभी जानते हैं कि भारत की स्वतंत्रता एक लंबे संघर्षों की कहानी है। स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वालों लोगों की एक बड़ी संख्या है ।
अमूमन हम यही सोचते हैं कि सिर्फ नेहरू, गांधी, सुभाष चंद्र बोस और कुछ अन्य प्रख्यात लोगों ने ही स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी होगी अगर आप ऐसा सोंचते है तो गलत सोचते हैं क्योंकि कुछ अज्ञात और गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी ऐसे भी थे जो इतिहास के पन्नों में गायब हो गए।(भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
यहां हमने काफी खोज करने के बाद इतिहास के पन्ने में गायब होने वाले 10 अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों का खुलासा किया है।(भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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1. मातंगिनी हाजरा
मातंगिनी हाजरा का जन्म 19 अक्टूबर 1870 को हुआ था। वह शुरू से बहुत ही निडर और निर्भीक भारतीय क्रांतिकारी थीं, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। उन्होंने भारत की आज़ादी के लिए कई आंदोलनों में हिस्सा लिया जिनमें से भारत छोड़ो आंदोलन और असहयोग आंदोलन मुख्य थे । (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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एक जुलूस के दौरान, उन्हें 29 सितंबर 1942 को तमलुक पुलिस स्टेशन के सामने ब्रिटिश पुलिस के द्वारा उनकी गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई, तीन गोलियां लगने के बाद भी वीरांगना भारतीय ध्वज के साथ घाव के बावजूद मार्च करना जारी रखा।गोली लगने के बाद भी, उन्होंने वह ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाती रही। वह अपने हाथ में तिरंगा फहराते हुए वीरगति को प्राप्त हुयी। ऐसी महान आत्मा का बलिदान हम भारतीय कैसे भुला सकते है? (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झंडे के साथ मर गई पर वह लोगों के दिलों में और भारत के सम्मान के लिए हमेशा जिंदा रहेगी देश उनका यह बलिदान कभी नहीं भूल पाएगा। स्वतंत्रता सेनानी से संबंधित कोलकाता में स्थापित पहली महिला मूर्ति 1977 में हाज़रा की ही थी। वह मूर्ति ठीक उसी स्थान पर बनाई गयी है जहां तामलुक ने उनकी निर्मम हत्या कर दी गई थी।
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2. बेगम हजरत महल
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अवध की बेगम कही जाने वाली बेगम हजरत महल का जन्म 1820 में हुआ था। 1857 में, उन्होंने भारतीय विद्रोह के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ जमकर विरोध किया। बेगम के पति को जब कलकत्ता से निर्वासित कर दिया गया उसके बाद उन्होंने अवध राज्य में मामलों की कमान संभाली और विद्रोह के दौरान लखनऊ पर नियंत्रण कर लिया। (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
हालांकि बाद में बेगम को नेपाल वापस जाना पड़ा, जहां 1879 में उनकी मृत्यु हो गई। 15 अगस्त 1962 को, बेगम को हजरतगंज के पुराने विक्टोरिया पार्क में सम्मानित किया गया।
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10 मई 1984 को भारत सरकार ने बेगम के सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। बेगम के बलिदान व्यर्थ नहीं गया देश की आजादी में बेगम का नाम हमेशा के लिए अमर रहेगा। (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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3. सेनापति बापती
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जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है “सेनापति” पांडुरंग महादेव बापट को लोकप्रिय रूप से सेनापति बापट के नाम से जाना जाता है, उनका जन्म 12 नवंबर 1880 को हुआ था। सेनापति बापट का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है । मुलशी सत्याग्रह के नेता होने के कारण उन्हें सेनापति की उपाधि से सम्मानित किया गया था । (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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1921 से सेनापति ने टाटा कंपनी द्वारा मुलशी बांध के निर्माण के खिलाफ सेनापति बापट ने तीन साल तक किसान के साथ विरोध का नेतृत्व किया।
15 अगस्त 1947 को-भारतीय स्वतंत्रता दिवस पर -सेनापति बापट को पहली बार पुणे शहर पर भारतीय ध्वज फहराने का सम्मान दिया गया। 28 नवंबर 1967 को उनका निधन हो गया। (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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4. अरुणा आसफ अली
अरुणा आसफ अली का जन्म 16 जुलाई 1909 को हुआ था। वह एक निडर भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता थीं। हालांकि उनके बारे में बहुत कम लोगों ने ही सुना है, परंतु जब महज 33 वर्ष की थीं, तो उन्होंने 1942 में बॉम्बे के गोवालिया टैंक मैदान में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का झंडा फहराते हुए बड़ी प्रमुखता हासिल की।(भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
अरुणा आसफ अली को बचपन से ही देश के प्रति प्रेम भावना थी तो जैसे ही उनकी शादी हुयी उसके बाद वह कांग्रेस पार्टी की सक्रिय सदस्य बन गईं।(भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
उन्होंने नमक सत्याग्रह के दौरान सार्वजनिक जुलूसों में भी भाग लिया। 1942 में, उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झंडे की मेजबानी की। 29 जुलाई 1996 को उनका निधन हो गया।
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5. तिरोट सिंग
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लोग उन्हें यू तिरोत सिंग के रूप में भी जानते है, उनकी बहादुरी और देश और जमीन के प्रति सच्ची निष्ठा देश के लोगों के लिए मिसाल है।
वह खासी (एक पहाड़ी जाति ) लोगों के प्रमुख थे। वह अपने कबीले के बीच एक नायक थे क्योंकि वह खासी पहाड़ियों पर कब्जा करने के प्रयास के दौरान अंग्रेजों से लड़ते हुए मर गए थे। (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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6. पोट्टी श्रीरामुलु
पोट्टी श्रीरामुलु का जन्म 16 मार्च 1901 को हुआ था। वह एक निडर और निष्पक्ष देशभक्त और भारतीय क्रांतिकारी थे। वे महात्मा गांधी के प्रिय अनुयायी थे। उन्होंने दलित समुदाय के समर्थन के कई मानवीय कारणों के लिए काम किया। ” पोट्टी श्रीरामुलु का मानवीय उद्देश्यों और राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव को देखते हुए , गांधी जी ने कहा:
“यदि मेरे पास श्रीरामुलु जैसे ग्यारह और अनुयायी होते , तो मैं सिर्फ एक वर्ष के भीतर ही स्वतंत्रता संग्राम जीत लूंगा “
पोट्टी श्रीरामुलु जी की मत्यु 15 दिसंबर 1952 को हुयी ।(भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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7. तिरुपुर कुमारानी
तिरुपुर कुमारन का जन्म 4 अक्टूबर 1904 को हुआ था। वह एक महान भारतीय स्वतंत्रता क्रांतिकारी थे। उन्होंने कई भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। इसके साथ ही कुमारनी जी ने देसा बंधु युवा संघ की स्थापना की थी। (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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11 जनवरी, 1932 को औपनिवेशिक (ब्रिटिश) सरकार के खिलाफ विरोध मार्च के दौरान अंग्रेजों द्वारा प्रतिबंधित भारतीय राष्ट्रवादियों के झंडे को धारण करने के लिए उन्हें बेरहमी से मार दिया गया था।गोलियां लगने के बाद भी उन्होंने अपना झंडा नहीं छोड़ा और अपने ध्वज को पकड़े हुए मृत पाए गए । भारत हमेशा तिरुपुर कुमारन जी का ऋणी रहेगा। (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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8. भीकाजी कामा
भीकाईजी कामा का जन्म 24 सितंबर 1861 को हुआ था। शायद आपने यह नाम पहले भी सुना हो भीखाजी कामा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा थीं, और इतना ही नहीं उन्होंने भारत जैसे कट्टर देश में लैंगिक समानता की बात उठाई । (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
इसके लिए उन्होंने कई आंदोलन किए और अँग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जमकर सामने आयी भारत में कई सड़कों और पुलों का नाम भीकाईजी के नाम पर सम्मान में रखा गया है।
भीखाजी कामा ने अपना अधिकांश व्यक्तिगत सामान भी अनाथ लड़कियों के लिए एक अनाथालय को दान कर दिया। 1907 में, उन्होंने जर्मनी के स्टटगार्ट में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में भारतीय ध्वज फहराया। 13 अगस्त 1936 को उनकी मृत्यु हो गई।
(भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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9. तारा रानी श्रीवास्तव
बिहार के एक छोटे से कस्बे में उन्होंने अपने पति के साथ सीवान थाने के सामने स्वतंत्रता जुलूस का नेतृत्व किया। अँग्रेजी हुकूमत ने उनपर गोलियों बरसाई हालाँकि उन्हें गोलियां लगी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी परवाह ना करते हुए अपने घावों पर पट्टी बांधी और निरंतर आगे बढ़ती रही।(भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
दुर्भाग्य से काफी ज्यादा खून बह जाने के कारण जब तक वह लौटी तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। उन्होंने आखिरी साँस तक , आगे बढ़ने की ठान ली थी और और अपनी मजबूत इच्छा शक्ति से मजबूत थी और वह झंडा ऊँचा उठाकर अंग्रेजों से लड़ती हुयी शहीद हो गयी ।(भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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10. वेलु नचियार
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शिवगंगा की 18वीं सदी की भारतीय रानी वेलु नचियार बचपन से ही युद्ध कला में निपुण थी । महारानी अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध लड़ने वाली पहली रानी थीं। जब उनके पति मुथुवदुगनाथपेरिया उदयथेवर को ब्रिटिश सैनिकों ने क्रूरता से मौत के घाट उतार दिया । तभी से वेलू नचियार अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ खड़ी हुई और युद्ध में शामिल हो गयी । (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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अंग्रेजों का संहार कर के वह अपनी बेटी के साथ आठ साल तक विरुपची में पलायकारर कोपाला नायकर के संरक्षण में रही। उन्होंने अपनी गोद ली हुई बेटी “उदैयाल” के सम्मान में “उदैयाल” नाम की एक महिला सेना का गठन किया। वेलु नचियार की मृत्यु की सही तारीख आज तक ज्ञात नहीं हुई है (यह लगभग 1790 थी)।(भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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11. कमलादेवी चट्टोपाध्याय
श्री मती कमलादेवी चट्टोपाध्याय का जन्म 3 अप्रैल 1903 को हुआ था। कमलादेवी महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक के रूप में उभर कर सामने आयी थीं। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपने शानदार और प्रशंसनीय योगदान के लिए जानी जाती हैं। (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
वह भारत में विधायक सीट के लिए लड़ने वाली पहली महिला थीं अथवा वह ब्रिटिश शासन द्वारा गिरफ्तार होने वाली पहली महिला थीं। उन्होंने आजादी ही नहीं बल्कि भारतीय महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक स्तर के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । दुर्भाग्यपूर्ण तरह से 29 अक्टूबर 1988 को उनका अकस्मात निधन हो गया।(भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
12. बादल, बिनॉय, दिनेश की तिकड़ी
भारत इन तीन जवानों के अमूल्य योगदान को कभी नहीं भूल पाएगा। बेनॉय बसु, बादल गुप्ता और दिनेश गुप्ता क्रमशः 22, 18 और 19 वर्ष के थे, उस समय अंग्रजी सरकार का अत्याचार चरम पर था और देश की मिट्टी के सपूत देश की आजादी के लिए अपनी जान की बाजी लगाने को तैयार थे।(भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
एक गोपनीय योजना बना कर उन्होंने यूरोपीय पोशाक पहनी और राइटर्स बिल्डिंग में प्रवेश किया। (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
उनका निशाना उस समय का सबसे अत्याचारी और क्रूर पुलिस महानिरीक्षक कर्नल एनएस सिम्पसन थे। यह तिकड़ी उसे मारने में सफल रहीं परंतु वह लोग योजना के अनुसार अधिक संख्या में थे।
बेनॉय ने साइनाइड की गोली निगल कर अपने प्राण न्यौछावर किए , जबकि बादल और दिनेश पकड़े ना जाने के लिए खुद को गोली मारकर देश के लिए प्राण तज दिए। सब देश को आजाद देखना चाहते थे सबको आजादी पंसद है लेकिन आजादी और अपने देश के लिए प्राणों की बाजी लगाने वाले ही सच्चे देशभक्त और देश प्रेमी है।
(भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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13. राज कुमारी गुप्ता
महान राजकुमारी गुप्ता और उनके पति दोनों ने मिलकर आजादी की लड़ाई में बड़ी भूमिका अदा की। उनके पति ने आजादी के लिए महात्मा गांधी और चंद्रशेखर आजाद के साथ काम किया।(भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
राजकुमारी जी ने काकोरी मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । वह इस ऑपरेशन में शामिल लोगों को रिवॉल्वर की आपूर्ति करने की प्रभारी थी।
राज कुमारी ने आग्नेयास्त्रों को अपने अंडरगारमेंट में छिपा कर अपने 3 साल के बेटे के साथ उन्हें देने चली जाती थी । विडंबना यह है कि गिरफ्तार होने पर, उन्हें अपने वैवाहिक घर से वंचित कर दिया गया था।(भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
14. अल्लूरी सीताराम राजू
सीताराम राजू ने अपने अन्य स्थानीय आदिवासियों वीरों के समर्थन से 1922-1924 में दुर्भाग्यपूर्ण “रम्पा विद्रोह ” का नेतृत्व किया। उनके साथियों ने अँग्रेजों से खूब संघर्ष किया और वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी बहादुरी और वीरता के लिए, उन्हें ‘मन्यम वीरुडु’ (जिसका अर्थ है ‘जंगलों का नायक’) उपनाम दिया गया था।(भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
15. खुदीराम बोस
एक ऐसा नाम जो आपके रोंगटे खड़े कर दे खुदीराम बोस ने अपनी छोटी सी उम्र में ही आजादी के लिए देश को अपनी जान दे दी।
वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे युवा क्रांतिकारियों में से एक थे। जब उन्हें फांसी दी गई तब वह मात्र 18 साल, 8 महीने और 8 दिन के थे। (भारत के 15 गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी )
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दोस्तों आपको हमारा यह लेख कैसा लगा? और अब आपकी यह जिम्मेदारी है कि यदि आप सच्चे देश भक्त है तो इस लेख को कम से कम 5 लोगों को शेयर करेगे ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी और लोग हमारे इन गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों को जान सके। धन्यावाद।।
Jai Hind