स्तनों को स्वस्थ्य रखना महिलाओं के लिए आज सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। हम अपने स्तनों को किस प्रकार स्वस्थ्य रख सकते हैं, हर नारी के जहन में ये सवाल उठता रहता है। स्तनों को स्वस्थ्य रखना नारीत्व का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है। आयुर्वेद में हमारे स्तनों के स्वास्थ्य को सुविधाजनक और बेहतर बनाने के लिए घरेलू उपचार, व्यायाम, मर्म मालिश बिंदुओं से लेकर कई उपाय हैं। इस लेख में, हम तीन मुख्य जड़ी-बूटियों पर ध्यान केंद्रित करने जा रहे हैं – एलोवेरा, अनंतमूल, शतावरी।
यदि आपके पास सुडौल आकार के स्तन है तो यह ना सिर्फ आपके आत्म विश्वास को बढ़ाता है बल्कि आप लोगों का ध्यान आकर्षित कर लेती है। हालांकि चिकित्सकों का मानना है कि स्तनों में ढीलापन आना यह आम प्रक्रिया का हिस्सा है लेकिन यह प्रक्रिया 40 की उम्र के बाद शरू हो सकती है। लेकिन यदि आप 40 की उम्र से पहले ढीले स्तनों के साथ रह रहीं है, तो यह एक समस्या है जिसे ठीक किया जा सकता है।
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आज के दौर की स्तनों से संबंधित बड़ी समस्याओं में से एक है स्तनों का ढीला होना। युवावस्था में स्तनों के ढीले होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे कि खराब जीवनशैली, वजन का बढ़ना या कम होना और आपके सोने का तरीका भी स्तनों को ढीला कर सकता है। आप किस तरह सोते है इससे आपके स्तनों की मजबूती कम हो सकती है।
ढीले स्तन महिलाओं को कम आकर्षित बनाते है। इसलिये स्तनों का ढीलापन कम करने के लिये हम आपको कुछ आयुर्वेदिक उपचार और उत्पाद बतायेंगे जिनके उपयोग से आप अपने स्तनों का ढीलापन दूर कर सकती हैं।
हाइलाइट –
- रोजाना स्तनों की ऐलोवेरा से मसाज करे इससे आपके स्तनों के शरीर की फीमेल चैनल्स को ठंडक और पोषण मिलता है।
- स्तनों में Lymphatic drainage (लसीका के प्रवाह) को सुचारू रखने के लिए रोजाना गर्म दूध में आधा चम्मच अनंतमूल का सेवन करें।
- गर्म दूध के साथ शतावरी का सेवन करने से स्तन के ऊतकों का निर्माण होता है, जिससे स्तनों का आकार सुडौल होता है, स्तनों का आकार ऊँचा होता, स्तनों को पोषण मिलता है और स्तन और भी अधिक चिकने हो जाते है।
शायद आप इस बात से परिचित ना हो लेकिन दुनिया में हर आठवीं महिला स्तन कैंसर से पीड़ित हैं। इसीलिए हमे हमारे स्तनों के स्वास्थ्य के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं वर्तनी चाहिए, योग और आयुर्वेद मिलकर हमे स्वस्थ्य स्तनों की सौगात दे सकते हैं। महिलाओं के पूरे शरीर में सबसे पहले यदि कुछ आकर्षित करता है तो वह उसके स्तन ही है इसीलिए यदि आप अपने स्तनों को स्वस्थ रखते है तो आपको, एक अलग जगह मिलती है। इसके लिए आयुर्वेद में घरेलू उपचार, व्यायाम, मर्म मसाज पॉइंट और आज हमारा ध्यान जड़ी-बूटियों से लेकर ढेर सारे उपाय हैं।
यहाँ आयुर्वेद द्वारा स्तन स्वास्थ्य के लिए शोधकर्ताओं और आयुर्वेद चिकित्सा द्वारा सुझाई गयी, कुछ जड़ी-बूटियाँ दी गई हैं:
ऐलोवेरा –
ऐलोवेरा के औषधीय गुणों की शायद कोई सीमा नहीं है इसीलिए यह महिलाओं के स्तन स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने के लिए सुरक्षित और फायदेमंद रूप से उपयोग किया जा सकता है। महिलाएं प्रतिदिन ऐलोवेरा की पत्तियों में से निकले हुए गूदा का उपयोग, अपने स्तनों पर मालिश करके करे। ऐलोवेरा से हुयी यह मालिश महिला शरीर के महिला चैनलों को साफ करने, पोषण देने, ठंडा करने और स्तनों को मजबूत करने में उत्कृष्ट भूमिका निभाती है।
आप चाहे तो ऐलोवेरा की पत्तियों के भीतर से प्राप्त ताजा जेल का उपयोग करें या हमारे द्वारा सुझाए गए आयुर्वेदिक ऐलोवेरा उत्पाद मंगवाए दोनों ही प्रकार से आपके स्तनों में प्रभाव देखने को मिलेगा। लगातार दो महिने के बाद आपको फर्क नजर आने लगेगा आप पायेगे की आपके स्तन पहले से बड़े सुडौल और चमकदार और चिकने हो गए हैं। ऐलोवेरा के शीतलन गुण इसे प्रभावशाली वात वाले लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ बनाते हैं।
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शतावरी –
प्राचीन आयुर्वेदिक लेखों में शतावरी के औषधीय गुणों को विस्तार से बताया गया है जिसमें महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए शतावरी कितना आवश्यक और फायदेमंद है, यह पता चलता है।
यह आयुर्वेदिक जड़ी बुटी आपके यौन स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने के लिए उपयोग की जाती है। यदि आप अपने पार्टनर के साथ अधिक समय तक टिकना चाहती है तो शतावरी का नियमित रूप से सेवन करे। शतावरी आपके स्तनों के ऊतकों का निर्माण करती है और उन्हें पोषण देकर चिकना करने में मदद करती है।
गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी बेहद उपयोगी खासकर उन महिलाओं के लिए जिनके स्तनों से दूध कम निकलता है या बिल्कुल ही नहीं निकलता। शतावरी के सेवन से दूध प्रचुर मात्रा में निकलने लगता है और आपके स्तन पूरी तरह स्वस्थ्य हो जाते हैं।
सर्वोत्तम परिणामों के लिए इसे गर्म दूध में मिलाएं, या जीवा शतावरी की गोलियां आजमाएं। यदि आप शतावरी से होने वाले सर्वोत्तम परिणामों को पाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको इसे गर्म दूध में मिलाकर सेवन करना चाहिए , या फिर हमारे द्वारा बताई गई शतावरी की गोलियां आजमाएं।
आयुर्वेदिक शतावरी उत्पाद –
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अनंतमूली (कृष्णसारिवा) –
Aantmuli को कृष्णसारिवा भी कहा जाता है, यह एक प्राचीन आयुर्वेदिक जड़ी बुटी है जिसका उपयोग कई तरह के रोगों के लिए औषधि के रूप में होता था। प्रसव के बाद Aantmuli का सेवन करने से स्तनों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है, महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान बवासीर की समस्या होती है ऐसे में इस जड़ी बुटी के सेवन से आप खुद को बवासीर जैसी स्थिति से बचा सकते हैं। यह महिलाओं की पेशाब से संबंधित किसी भी रोग को उपचारित कर सकता है। स्तनों को कैंसर के खतरे से बचाता है।
स्तन मुख्य रूप से मेदा धातु (फैट ) और रस धातु (लिम्फ) से बने होते हैं। इसलिए इनका स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। एक कप गर्म दूध में आधा चम्मच अनंतमूल का सेवन प्रजनन और मूत्र पथ के माध्यम से लसीका के प्रवाह को स्वस्थ रखता है।
आयुर्वेदिक अनंतमूली के उत्पाद –
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